केतन-कंगना : झांसी की रानी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :02 जुलाई 2015
केतन मेहता की पटकथा कंगना रनोट ने पसंद कर ली है और अगले वर्ष फिल्म की शूटिंग शुरू होगी। इसी वर्ष केतन मेहता की 'माउंटेन मैन' का प्रदर्शन होगा, जिसके केंद्रीय पात्र नवाजुद्दीन हैं। यह सत्य घटना से प्रेरित फिल्म है कि एक व्यक्ति ने अकेले अपने प्रयास से एक पहाड़ काटकर एक मार्ग बनाया ताकि उसके गांव वालों को यात्रा में अधिक समय नहीं लगे। यह मनुष्य के पहाड़ी साहस की कथा है। पहाड़ स्थायी होने के प्रतीक हैं और साथ ही मनुष्य को चुनौती भी देते हैं और अनेक साहसी लोगों ने पहाड़ लांघे हैं। महिलाओं ने भी पहाड़ चढ़ने के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हिमालय भारत की शक्ति का प्रतीक रहा है और हमारी मायथोलॉजी में भी इसका महत्व शिव के निवास का रहा है। विगत कुछ समय में अनंत सौंदर्य के प्रतीक हिमालय के अंचलों में बसे अनेक क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएं आई हैं और इन पर शोध किया है दैनिक भास्कर जयपुर संस्करण के हमारे संपादक श्री पंत ने और वे किताब भी लिख रहे हैं। सारी प्राकृतिक आपदाओं के पीछे मनुष्य के लालच और क्रूरता की कहानियां छुपी हैं। नदियों के पार को संकुचित करके वहां पांच सितारा होटलें खड़ी की हैं और पर्यटन के बढ़ावे के नाम पर प्रकृति को लूटा गया है। कुमार अंबुज की कविता 'उजाड़ का सौंदर्य' पढ़िए। मनुष्य ने निर्मम होकर धरती को लूटा है। पहले पांच हजार साल में धरती का दस प्रतिशत दोहन किया गया परंतु विगत 150 वर्षों में चालीस प्रतिशत उसे लूटा गया है। कुछ इस आशय का शेर भी उर्दू के कवि ने लिखा है कि गऊ माता के सिर पर टिकी पृथ्वी किसी दिन उस गैया के करवट लेने से नष्ट हो जाएंगी। धरती के सारे दर्द की चिंता केवल कवियों के हिस्से आई है, अन्य सब तो लूटेरे हैं और आज कविता ही जीवन से खारिज है।
बहरहाल, केतन मेहता ने कंगना रनोट से बात की है और संभावना है कि अगले वर्ष उनकी 'झांसी की रानी' में वे अभिनय करेंगी। आज दीपिका पदुकोण, कंगना रनोट और प्रियंका चोपड़ा अपने दमखम पर फिल्म का आर्थिक उत्तरदायित्व ले सकती हैं और इस मायने में वे नायक के समान हो गई हैं। यह सही है कि इतिहास आधारित होने के कारण बड़ा बजट होगा परंतु कल्पनाशील निर्माता श्याम बेनेगल की तरह 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' भी किफायत से बना सकते हैं। जिस 'महाभारत' के सीरियल रूप पर करोड़ों व्यर्थ गए, उसकी झलकियां श्याम बेनेगल ने कम दाम में गढ़ी और विश्वसनीयता को भी कायम रखा।
बहरहाल, कंगना रनोट इस तरह की भूमिका के लिए अपनी तैयारी में ही एक वर्ष लेंगी। उन्होंने तो हरियाणवी लड़की के मेकअप में कुछ समय कॉलेज की छात्रा की तरह गुजारा और सहपाठियों को लगा कि कंगना से मिलती शक्ल वाली नई लड़की आई है, क्योंकि उन्हें यह कल्पना ही नहीं थी कि यह कंगना ही है। केतन मेहता की फिल्म के लिए तलवार बाजी व घुड़सवारी सीखना होगी। दीपिका, कंगना, प्रियंका भूमिका के लिए समर्पित कलाकार हैं। केतन मेहता भवनी भवाई, मिर्च मसाला, माया मेम साहब इत्यादि फिल्मों के साथ ही 'मंगलपांडे' भी बना चुके हैं। वे संवेदनशील फिल्मकार है तथा इतिहास आधारित 'सरदार' भी बना चुके हैं।
कंगना विशाल के साथ 'रंगून' कर रही हैं और उनकी डायरी एक वर्ष के लिए भरी पड़ी है, अत: क्वीन कंगना 'झांसी की रानी' के लिए समय 2016 के अंतिम चरण में ही निकल पाएंगी। बहरहाल, आज से पैंसठ वर्ष पूर्व इतिहास आधारित फिल्मों के विशेषज्ञ सोहराब मोदी ने अपनी पत्नी मेहताब के साथ गेवाकलर में 'झांसी की रानी' बनाई थी और मेहताब के ही कारण वह फिल्म इतनी बुरी तरह असफल हुई कि सोहराब मोदी की मिनर्वा के प्रतीक शेर ने दहाड़ना ही बंद कर दिया। संजय भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' में भी यह दर्ज होगा कि रानी झांसी ने ही मस्तानी बाजीराव को भेंट स्वरूप दी थी। पूना के दरबार में बाजीराव-मस्तानी प्रेम प्रकरण ने तूफान खड़ा कर दिया था। पूना और झांसी के शांसकों के बीच गहरे सम्बध रहे हैं।