कैटरीना की खातिर टाइगर जिंदा है / जयप्रकाश चौकसे

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कैटरीना की खातिर टाइगर जिंदा है
प्रकाशन तिथि :28 फरवरी 2017


सलमान खान की कबीर खान निर्देशित फिल्म 'ट्यूबलाइट' की शूटिंग पूरी हो चुकी है और ईद पर प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। फिल्म के नाम से ही नायक का चरित्र-चित्रण स्पष्ट होता है कि उसे बात देर से समझ में आती है परंतु इसे मंदबुद्धि नहीं कह सकते। वह दिल से सोचता है और संभवत: यह सोचता है कि दिमाग दोनों कंधों से बने तराजू का वजन बताने वाला कांटा है। 'बजरंगी भाईजान' की तरह इस फिल्म में भी सलमान एक बच्चे की सहायता करते हुए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इस फिल्म के निर्माण में सलमान खान और कबीर खान भागीदार हैं और प्रदर्शन पूर्व ही उन्हें मुनाफा मिल जाएगा, क्योंकि इसके प्रदर्शन अधिकार खरीदने के लिए अनेक लोग उत्सुक हैं और डेढ़ सौ करोड़ रुपए का प्रस्ताव मिल चुका है। लंबे अरसे तक फिल्म अर्थशास्त्र का आधार यह था कि बजट का 25 प्रतिशत कलाकारों का मेहनताना है और 75 प्रतिशत निर्माण का खर्च परंतु वर्तमान में नायक का मेहनताना ही बजट का 70 फीसदी हो चुका है और निर्माण पर मात्र 30 प्रतिशत लगाया जा रहा है। सारी निर्माण प्रक्रिया ही इसी समीकरण से संचालित है। संभवत: इसी असंतुलन के कारण फिल्में मनोरंजक नहीं बन पा रही हैं।

सलमान खान की अगली फिल्म है आदित्य चोपड़ा की 'टाइगर अभी जिंदा है', दोनों की इससे पहले की फिल्म का ही अगला हिस्सा है। कुछ लोगों का खयाल है कि अपने सामने अाए अनेक प्रस्तावों में सलमान खान ने इसे चुना, जिसका पहला कारण तो उनकी और आदित्य चोपड़ा की मित्रता है परंतु दूसरा कारण यह है कि कैटरीना कैफ को फिल्म मिल जाएगी। इस समय उनके पास कोई प्रस्ताव नहीं है। कहते हैं कि गलती करने वाला अगर भूल सुधार करना चाहता है तो उसकी हिम्मत अफजाई करनी चाहिए। कभी गलती नहीं करने वाले से उस व्यक्ति को अधिक सम्मान देना चाहिए, जिसे अपनी भूल का शिद्‌दत से अहसास है। यहां इसका उल्लेख इसलिए किया जा रहा है कि कैटरीना के कॅरिअर को बनाने में सलमान खान का बहुत योगदान है और उनके बीच अंतरंगता का संबंध रहा है परंतु वे प्रकाश झा की 'राजनीति' की शूटिंग के समय से रणवीर कपूर के निकट हो गईं और उनके रोमान्स की खबरें जोर-शोर से आने लगीं। रणवीर कपूर और कैटरीना कैफ के बीच की अनबन का कारण उजागर नहीं हुआ है। कभी असलियत मालूम ही नहीं पड़ पाती। शैलेंद्र ने 'संगम' के लिए लिखा था, 'प्यार की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समाते हैं, यहां गैर तो क्या अपनों के साये भी न आने पाते हैं, यह धरती है इंसानों की, कुछ और नहीं इंसान है हम, ओ मेरे सनम…' यह तय है कि इस बार कैटरीना की सहायता पुराने मित्र के नाते ही की जा रही है, क्योंकि यूलिया वंतुर अभी भी सलमान खान के साथ ही हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि अब सलमान खान के निकट जाने की प्रतिस्पर्द्धा कैटरीना कैफ और यूलिया में प्रारंभ हो जाए। यह गौरतलब है कि सलमान खान की पहली प्रेमिका संगीता बिजलानी उनके जिम में ही एक्जरसाइज करती हैं और पूरे परिवार से उनका दोस्ताना है। यह सलमान खान की खूबी है कि उनकी विगत में रही प्रेमिकाओं से उनकी मित्रता ताउम्र बनी रहती है। इसमें अपवाद केवल ऐश्वर्या राय बच्चन है, जिसके कारण भी स्पष्ट नज़र आते हैं। सलमान खान की अंतरंग मित्र सोमी अली, जो अब अमेरिका में रहती है, से भी उनका संपर्क बना हुआ है।

कैटरीना कैफ अत्यंत व्यावहारिक और किफायत पसंद हैं। उन्होंने अपने कॅरिअर के प्रारंभ से ही अपनी आय का बड़ा भाग बचाने का काम किया है और अपनी बचत से लंदन में परिवार के लिए मकान खरीदा है, जिसकी तल मंजिल किराये पर दे रखी है और ऊपरी मंजिल परिवार के रहने के लिए है। अनुप्रास के मोह पर काबू करना आसान नहीं है। कैटरीना की कैफियत लिखने से बचना कठिन है। सलमान खान व्यक्तिगत जीवन में बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। अपने भाइयों व बहनों के बच्चों पर वे जान छिड़कते हैं। पचास पार होने के बाद भी वे कुंआरे बने हुए हैं। अनुमान है कि सारे मुकदमों से बरी होने के बाद ही वे विवाह करेंगे। उनके पिता सलीम खान ने जावेद अख्तर के साथ दीवार लिखी थी, जिसमें एक पात्र के हाथ पर गुदना है कि उसका बाप चोर है। यह खलनायक का काम है। बहरहाल, यह संभव है कि सलमान खान के अवचेतन में यह दृश्य जमा बठा है। इसीलिए वे कानूनी मुकदमेबाजी से पूरी तरह छूटकर ही विवाह करेंगे ताकि कोई उनके बच्चे से न कह सके कि तेरा बाप जेल में है। यह केवल एक अनुमान है। यह बताना कठिन होता है कि हमारे जीवन में किस छोटी-सी घटना का कितना प्रभाव कितने लंबे समय तक बना रहता है।

सत्यजीत राय की पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' का बालक अपु रेलगाड़ी देखने के लिए मीलों पैदल चलता है। रेलगाड़ी उसके लिए महान रहस्य है। इसी की अगली कड़ी 'अपुर संसार' में वही बच्चा बड़ा होकर ऐसी जगह रहता है जहां से रेलगाड़ियों का आना-जाना दिखता है और आवाजें भी आती हैं परंतु अब युवा अपु को यह खटकता है, जबकि बचपन में रेल देखने का उसे जुनून था। जीवन इसी तरह विरोधाभासों और विसंगतियों में उजागर होता है।