कोख का किराया / तेजेन्द्र शर्मा
आज मनप्रीत हारी हुई सी, घर के एक अंधेरे कोने में अकेली बैठी है। वह तो आसानी से हार मानने वालों में से नहीं है। आज तो पूरा कमरा, पूरा घर ही उसकी पराजय का पर्याय सा बना हुआ है। सूना, अकेला, सुनसान सा घर। अभी कल तक तो घर में सब कुछ था - खुशी, प्रेम, विश्वास! हत्या हुई है! भावनाओं की हत्या! किन्तु मनप्रीत ने कब किसकी भावनाओं का आदर किया है? अपने वर्तमान के लिये वह किसे उत्तरदायी ठहराये?वर्तमान कोई किसी साधु महात्मा द्वारा जादू के बल पर अचानक हवा में से निकला हुआ फल या प्रसाद तो हैं नहीं।अतीत की एक एक ईंट जुडती है तब कहीं जा कर बनता है वर्तमान।
अतीत! कैसा था मनप्रीत का अतीत? कैसा था उसका बचपन; कैसी थीं वो गलियाँ जहाँ वह खेली थी? भला लंदन में भी कोई गलियों में खेलता है? यँहा तो प्रत्येक काम पूरे कायदे और सलीके से होता है। यदि खेलना हो तो लेजर सेन्टर जाओ। वहाँ स्विमिंग करो, बेडमिन्टन खेलो, जिम में व्यायाम करो, जो भी करो एक दायरे में बंध कर। दायरे से नियम से बाहर कुछ नहीं कर सकते। यही बंधकर रहना ही तो मनप्रीत को मंजूर नहीं था। यदि उसका बस चलता तो संसार के सारे नियमों को ध्वस्त कर देती, कानून की किताबों को जला देती।
मनप्रीत की सोच तो सदा से ही यही रही है , यह मनुष्य जन्म क्या बार बार मिलता है? अरे जीवन के मजे ले लो! नहीं तो भगवान भी वापस धरती पर भेज देगा कि जाओ, अभी कितने काम करने बाकी हैंतुमने चरस नहीं चखी, सिगरेट का धुंआ नहीं उडाया, शराब का स्वाद नहीं जाना यू बोर! गो बैक अगेन!
क्या वह जीवन की घडी क़ो वापस चला सकती है? क्या जो कुछ घट गया है, उसे जीवन की स्लेट से पौंछा जा सकता है? क्या उसे पश्चाताप की अनुभूति हो रही है? नहीं नहीं उसने कोई गलत काम नहीं किया। भला वह गलत काम कर ही कैसे सकती है?
“नी प्रीतो! सुधर जा। एह मुण्डयां नाल घुमणा फिरणा बन्द कर दे। कुल्च्छणियें, सारी उमर पछतायेंगी।
मां उसे तो बस एक ही काम था कि वह प्रीतो को समझा सके कि वह पछताएगी। क्या यह मां की बद्दुआ है जो उसे पश्चाताप के आंसू पिला रही है। मां को प्रीतो का गोरे लडक़ों से मेल-जोल कभी भी सहन नहीं होता था।
“ओए तू गाय के मीट खाणे वालों से कैसे बोल लेती है?
दुनिया आवाज क़ी गति से तेज उडान भर रही है और मां अब तक गाय के चक्कर में पडी है। कितनी अनपढ है मां भी, बीफ को बीफ न कह कर गाय का मीट कहती है।
मनप्रीत तो आज भी खाना पकाने के लिये रसोई में जाने के मुकाबले मैकडॉनल्ड का हैम्बरगर मंगवाना पसंद करती है। हैपी मील! बिग मैक! बेकन डबल चीज बर्गर! क्र्वाटर पाऊण्डर ! और जाने क्या-क्या ?
शुरू में तो गैरी भी बुरा नहीं मानता था। फिर वह भी बाजार का बना खाना खा-खा कर बोर हो गया। गैरी स्वयं भी तो अपने परिवार का पहला विद्रोही था। उसके माता-पिता तो पूरे विक्टोरियन जमाने के उसूल मानने वाले ब्रिटिश परिवारों में से एक थे। गैरी अंग्रेज और काली लडक़ियों में अधिक रुचि नहीं लेता था। उसके दिमाग में बस एक ही बात बैठी हुई थी कि इन लडक़ियों में संस्कारों का क्षय होता जा रहा है। गैरी ब्रिटिश रेल्वे में ड्राइवर है। बस जी सी एस ई तक पढाई की है यानि कि एस एस सी। इंग्लैण्ड में डिग्रियों के पीछे भागने का सिलसिला भी तो भारतीय मूल के लोगों ने ही आकर शुरू किया है। मध्यमवर्गीय भारतीय अपनी संतान को जमीन-जायदाद तो दे नहीं पाता, बस पढाई और डिग्री ही उनके लिये जायदाद हो जाती है। अंग्रेज तो स्कूल की अनिवार्य शिक्षा के पश्चात किसी न किसी हाथ के काम में दीक्षा हासिल कर अपना जीवन शुरू कर देते हैं।
गैरी की पहली गर्लफ्रेण्ड लिजा तो एक गोरी लडक़ी ही थी। स्कूल में उससे दो क्लास आगे थी- यानि उससे दो वर्ष बडी थी। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ वे दोनों एक-दूसरे को यौनशिक्षा में भी पारंगत करने लगे। जब गैरी के माता-पिता ने आपत्ति की तो दोनों अलग-अलग रहने लगे। इंग्लैण्ड का भी अजब सिलसिला है कि सोलह वर्ष से कम उम्र की लडक़ी दुकान से सिगरेट नहीं खरीद सकती, किन्तु मां बन सकती है। वयस्क हुए विवाह नहीं हो सकता किन्तु मां बना जा सकता है। दोनों अभी काम तो करते नहीं थे। एक और टीनएजर माता-पिता। सोशल-सिक्योरिटी की सहायता जिन्दाबाद। दोनों को लगा कि जीवन की गाडी पटरी पर बैठने लगी है। पर ऐसे बचकाने रिश्तों की गाडी क़ब तक चलती?
मनप्रीत के जीवन की गाडी भी तो अब पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। गैरी की भाषा में डी-रेल हो गई है। गैरी और मैनी। हाँ गैरी और मनप्रीत के सभी दूसरे मित्र तो उसे मैनी कह कर ही पुकारते हैं। मैनी अब अकेली मैना हो गई है। गैरी अपनी बेटी रीटा और पुत्र कार्ल को अपने साथ ले गया है। विद्रोही प्रवृत्ति का गैरी भी मैनी के इस निर्णय का साथ अधिक दिनों तक नहीं दे पाया।
मनप्रीत ने यह निर्णय लिया ही क्यों? यह बात भी सच है कि इंग्लैण्ड के अधिकतर युवावर्ग की ही भा/ति वह भी फुटबॉल के खेल की पागलपन की सीमा तक दीवानी है। आर्सेनल उसकी प्रिय टीम है और उसका सेन्टर फॉरवर्ड खिलाडी बीफी डेविड उसका प्रिय खिलाडी। ड़ेविड गैरी का मित्र भी है और ठीक गैरी की तरह उसे भी भारतीय मूल की लडक़ियां विवाहित जीवन को अधिक स्थायित्व प्रदान करने वाली लगती हैं। गैरी और डेविड एक ही स्कूल से पढे हैं। यदि मैनी गैरी को पसंद थी तो डेविड को जया। जया भी मैनी की भांति लन्दन में जन्मी थी। किन्तु उसकी परवरिश अधिक संस्कारयुक्त है। उसके माता-पिता ने बहुत नपे-तुले ढंग से अपनी पुत्री के व्यक्तित्व में इंग्लैण्ड और भारत के संस्कारों का मिश्रण पैदा कर दिया है। जया के व्यक्तित्व में एक ठहराव है, जबकि मैनी तो इतनी विरोधी प्रकृति की रही है कि डॉक्टर द्वारा तय किये गए समय से छ: सप्ताह पहले ही दुनिया में आ धमकी थी।
कभी-कभी उसे जया से इर्ष्या भी होती। जया के चित्र समाचार-पत्रों की सुर्खियां बन जाते हैं। लाखों की आमदनी, महलनुमा घर। जया है भी तो भारतीय संगीत में पारंगत। भारतीय और पश्चिमी संगीत के फ्यूजन के शो करती है। उसके सी डी और कैसेट्स भी लाखों की संख्या में बिकते हैं। बेचारी मैनी। रेल्वे ड्राइवर की पत्नि। गैरी तो बस किसी तरह तीन बैडरूम का घर ही खरीद पाया है वह भी किश्तों पर। हर महीने पांच सौ पाउण्ड तो मॉर्गेज की किश्तों में निकल जाते हैं। मॉर्गेज और किश्तों का जीवन। मैनी स्वयं भी तो डेबेन्हेन्स में सेल्स एडवाइजर है। कितना विशाल स्टोर है। अस्थिरता मैनी के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है। जब जी चाहा नौकरी की, जब चाहा छोड दी। पिछले दस वर्षों में सात नौकरियाँ बदल चुकी है। दो बार तो बच्चे होने पर ही नौकरियां छोडनी पडी थीं। कभी गैरी के साथ विदेश यात्रा पर जाने की छुट्टी नहीं मिली तो नौकरी से त्यागपत्र!
आज तो सारा जीवन ही उसे त्यागपत्र थमा कर आगे बढ ग़या है। भूख, प्यास, भावनाएं एकाएक उसका साथ छोड क़हीं छुप से गए हैं। क्या अपनी गलतियों को स्वीकार करने का माद्दा मनप्रीत में है? उसने तो जीवनभर वही किया है जो उसके मन ने चाहा है। सामाजिक नियमों की उसने परवाह ही कब की?
जया की खुशियों से मन ही मन त्रस्त रहने वाली मैनी जब रीटा और कार्ल को देखती तो मन में विचित्र सी प्रसन्नता का आभास होता। डॉक्टरों ने घोषित कर दिया था कि जया मां नहीं बन सकती है। प्रकृति के नियम भी तो विचित्र हैं। भगवान सबकुछ देकर भी कहीं न कहीं तो कटौती कर ही लेते हैं। डेविड को बच्चों का बहुत शौक है। उसका बस चलता तो गोलकीपर से लेकर सेन्टर फॉरवर्ड तक पूरी टीम ही घर में बना लेता। किन्तु उसका जया के प्रति समर्पण इतना संपूर्ण है कि उसने अपने मन की बात को जया तक कभी पहुँचने ही नहीं दिया।
जया और डेविड के साथ अपनी दोस्ती का रौब मैनी सब पर गांठती ही रहती। जया को भी बालसखि मैनी और उसके बच्चों से मेलमिलाप भाता है। एक विचित्र अपनेपन का अहसास होता उसे। वह कार्ल और रीटा के लिये क्रिसमस के उपहार खरीदना कभी नहीं भूलती, और यह दोनों बच्चे भी बेसब्री से अपने जन्मदिन और क्रिसमस की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि जया आंटी मंहगे-मंहगे उपहार जो देती हैं। डेविड कहीं भी मैच खेलने जाता तो जया के साथ मैनी और गैरी भी सदा ही मैच में उपस्थित रहते। डेविड जब गेंद लेकर विपक्षी पाले की ओर भागता तो तीनों लगभग पागलों की भांति तालियां बजा-बजा कर प्रसन्नता का प्रदर्शन करते। मैच जीतने के पश्चात डेविड जया को गले मिलता और उसका चुम्बन लेता। गले वह गैरी और मैनी के भी मिलता और मैनी को गाल पर चुम्बन देने का प्रयास करता तो मैनी अतिउत्साह का प्रदर्शन करते हुए डेविड के होंठों को चूम लेती। गैरी अपनी पत्नी के पागलपन से परिचित था, किन्तु इस बात को लेकर उसके मन में कभी संदेह या विशाद नहीं होता है। डेविड सदा से मैनी का हीरो रहा है। और वह, हर प्रकार से उसे रिझाने का यत्न करती, किन्तु सामने से कोई अनुकूल प्रतिक्रिया न मिलने के कारण मन मार कर रह जाती है। यदि डेविड मैनी में थोडी सी भी रुचि दिखाए तो वह एक बार फिर सारी सीमाएं तोडने को तैयार है।
कभी-कभी हैरान भी होती है मैनी कि अंग्रेज होकर भी डेविड पारिवारिक बंधन और सीमाओं का इतना आदर कैसे कर लेता है। यँहा तो हर कोई किसी भी दूसरे के बिस्तर में घुसने को तैयार रहता है। वैसे भी डेविड के बारे में खासी चटपटे समाचार तो वह समाचारपत्रों में पढती ही रहती है। फिर भी वह समझ नहीं पाती कि जया में ऐसा क्या आकर्षण है जो कि डेविड को उसके व्यक्तित्व के साथ बंधे रहने पर मजबूर कर देता है?
“मैनी मुझे हमेशा एक अपराध बोध सालता रहता है । पांच वर्ष हो गए हमारे विवाह को। हम दोनों परिवारनियोजन के लिये कोई सावधानी नहीं बरतते रहे फिर भी। पिछले एक वर्ष से तो नार्थविक पार्क हस्पताल, प्राईवेट नर्सिंग होम और जाने कहाँ-कहाँ चक्कर लगा चुकी हूँ। डेविड को बिना बताए भारत से कितने गण्डे-तावीज भी मंगवा चुकी हूँ। अब तो डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया है कि मैं माँ नहीं बन सकती हूँ।
तो तुम दोनों कोई बच्चा गोद क्यों नहीं ले लेते?
मैं तो इसके लिये तैयार हूँ किन्तु डेविड को आपत्ति है। उसके हिसाब से बच्चा अपना ही होता है। उधार के बच्चे में वो बात नहीं होती। उसे शक है कि वह उस बच्चे के साथ कभी भी उतना नहीं जुड पाएगा जितना कि एक प्राकृतिक लालन-पालन के लिये आवश्यक है।
तो क्या हल सोचा है तुम दोनों ने?
मैं ने तो यँहा तक सुझाया था कि हम किराये की कोख का इस्तेमाल कर सकते हैं।
किराये की कोख!
हाँ! आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि आर्टिफिशल इनसेमिनेशन के जरिये कुछ भी हो सकता है।
इस पर डेविड की क्या प्रतिक्रिया है? मैनी का दिल जोरों से धडक़ने लगा था।
जया भी स्थिति को समझ रही थी। उसने बात आगे बढाई-
“तुम तो जानती हो कि डेविड चाहे तो गोरी लडक़ियों की कतार लग जाएगी, उसके बच्चे की माँ बनने के लिये। दरअसल उसे इन गोरी लडक़ियों पर थोडा भी विश्वास नहीं है। क़ल क्या गुल खिलाएं । कोर्ट में कोई केस फाइल कर दें यँहा तो पैसे के लिये बात-बात पर अदालत के दरवाजे पर पहुँच जाते हैं लोग।
मैंने तो सुना है कि ऐसे मामलों में सब कुछ पहले से ही लीगल तरीके से तय कर लिया जाता है।
“डेविड सोचता है कि यदि मेरा और डेविड का बच्चा होता तो एंग्लो इंडियन शक्ल का होता। इसलिये वह किसी इंडियन लडक़ी की तलाश में है, ताकि देखने में भी वह बच्चा हमारा बच्चा लग सके।”उडान को धरती पर ले आई जया, किस सोच में डूब गई ? यार ये काम तू क्यों नहीं कर लेती? तेरा बच्चा तो वैसे भी मुझे अपना सा लगेगा। सोच तेरा और डविड का बच्चा हमारा वारिस बनेगा।
जया चली तो गई, परन्तु मैनी के पूरे व्यक्तित्व को झिंझोड ग़ई। चार-पाँच दिनों तक मैनी अपने परिवार से कटी रही। गैरी ने सोचा शायद मासिक धर्म के कारण ऐसा है। महीने के इन चार-पाँच दिनों मैनी या तो ऐसे ही चुप हो जाया करती है या फिर चिडचिडी। चिडचिडेपन के मुकाबले चुप्पी कहीं बेहतर है। मैनी जैसे भीतर ही भीतर अपने आप से लड रही थी। डेविड को देख कर उसके मन में हमेशा ही कुछ कुछ होता रहा है। वह समाज के दकियानूसी नियमों को वैसे ही कब मानती है? किन्तु गैरी डेविड का मित्र है और डेविड ने इस मित्रता का सम्मान सदा ही बनाए रखा है। जया की एक बात बार-बार सुनार की ठुक-ठुक की तरह उसके दिमाग पर प्रहार कर रही थी, सोच तेरा और डेविड का बच्चा हमारा वारिस बनेगा।
क्या गैरी मान जाएगा? और फिर एकाएक उसके भीतर एक निर्लज्ज कामना जाग उठी, क्या डेविड उसे प्राकृतिक तरीके से गर्भवती बनाने पर राजी हो जाएगा? यदि ऐसा हो तो उसे कोई एतराज नहीं। बल्कि वह तो जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का अहसास पा जाएगी। परन्तु क्या डेविड?
बात पहले डेविड से करे या गैरी से? कभी दूध वाला भैया हुआ करता था गैरी। डूध की गाडी में लोगों के घरों तक दूध पहुंचाया करता था। वह हिन्दी का एकमात्र शब्द ही समझ पाता था दूधवाला। एक भारतीय घर में वह जब दूध की बोतलें छोडने जाया करता था तो वहां एक बच्चा अपनी मां को आवाज देकर कहता, मम्मी दूध वाला आया है। दूध वाला गैरी अचानक ब्रिटिश रेल्वे में डा्रइवर बन गया। यही तो कमाल है इस देश का। मनुष्य अपने जीवन की गाडी क़ी पटरी कभी भी बदल सकता है। भारत की तरह नहीं कि एक नौकरी पकडी तो सारा जीवन उसीसे जुडे रहे। आज गैरी का रेस्ट डे है यानि कि छुट्टी। पर आज भी गैरी ओवर टाईम के चक्कर में गया हुआ है। उसे जब जब छुट्टी के दिन काम पर बुलाया जाता है तो वह अवश्य जाता है। इसी तरह थोडी अतिरिक्त कमाई हो जाती है और परिवार की छोटी-छोटी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। गैरी की रेल पटरी पर चल रही है और मैनी का वैचारिक द्वन्द्व कल्पना की उडान भरने में व्यस्त है।
उसने निर्णय ले लिया। वह डेविड से बात करेगी।
फोन जया ने उठाया था। "जया, मैं मैनी।"
जया के कान कुछ सुनने को बेचैन हो रहे थे। उसने जानबूझ कर इतने दिन मैनी को फोन नहीं किया था ताकि मैनी को सोच-विचार करने का समय मिल जाए।
“हाँ जी, क्या हो रहा है? बच्चों के क्या हाल हैं?
बाकि सब तो ठीक है, बस मुझे तुम जिस भंवर में छोड ग़ई हो, मैं उससे बाहर नहीं निकल पा रही हूँ।
फिर क्या सोचा तुमने? गैरी से बात की?
नहीं। गैरी से पहले मैं कुछ बातें डेविड के साथ करना चाहती हूँ।
ठीक है, कल शाम को डेविड घर पर ही होगा। आ जाओ।
नहीं जयाबात यह है कि मैं डेविड के बच्चे की मांमेरा मतलब है कि यदि मैं डेविड के बच्चे को जन्म देने वाली हूँ तो कम से कम हम दोनों को अकेले में कुछ बातें साफ करनी आवश्यक हो जाती हैं।
कुछ पलों के लिये सोच में डूब गई जया, ठीक है तुम दोनों अकेले में बातें कर लेना। वैसे भी मुझे रिहर्सल के सिलसिले में जाना था, आने में देर भी हो सकती है।
आज मैनी ने अपनी सबसे प्रिय ड्रेस पहनी है। बाल भी विशेष रूप से पर्म करवाए हैं और चश्मे के स्थान पर कॉनटेक्ट लैन्स लगाए हैं। ईमान डिगाने का पूरा प्रयत्न किया है मैनी ने।
“नहीं मैनी यह संभव नहीं है। जो तुम कह रही हो वह ठीक नहीं, फिर गैरी मेरा दोस्त है। उससे छिप कर यह करना मॉरली गलत होगा। मैंने जब से जया के साथ विवाह किया है मेरे कदम नहीं डगमगाए। तुम बहुत सुन्दर हो, कोई भी इन्सान तुम्हारे शरीर को पाकर गर्व का अहसास करेगा। पर यहां हालात एकदम अलग हैं।
यह तुम किस सदी की बातें कर रहे हो डेविड? मैनी का निर्लज्ज अहम आहत हो गया था।
मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूँ। निर्णय तो तुम्हें और मुझे करना है, इसमें जया और गैरी की तो कोई भूमिका है ही नहीं।
मैनी, तुम एक बात भूल रही हो। तुम केवल गर्भधारण कर मेरे बच्चे को जन्म दोगी। उस बच्चे की माँ तो जया ही होगी। हाँ हम दोनों तुम्हारा पूरा खयाल रखेंगे, तुम्हें स्नेह देंगे, और इस काम पर होने वाले खर्चे के अतिरिक्त तुम मुझसे जो चाहोगी मिलेगा। डेविड ने आगे बढक़र एक हल्का सा चुम्बन मैनी के होंठों पर अंकित कर दिया। आज पहली बार ऐसा हुआ है कि डेविड ने स्वयं मैनी के होंठों को चूमा है। अन्यथा तो मैनी ही ऐसे अवसरों की तलाश में रहती थी।
डेविड, क्या यह बच्चा उस एक पल की निशानी नहीं बन सकता जिसकी मुझे एक लम्बे अर्से से प्रतीक्षा है? क्या तुम्हारा यह स्नेह, कुछ पलों के लिये ही सही प्रेम या वासना ही सहीनहीं बन सकता?
मैनी , मैं एक किराये की कोख की तलाश में हूँ। प्रेमिका सी पत्नी तो मेरे पास पहले से है, जया से मुझे किसी किस्म की शिकायत तो है नहीं। फिर तुम मेरे मित्र की पत्नी हो। मैं अपने मित्र पर वार नहीं कर सकता। हाँ यह तुम्हारा अहसान होगा हम दोनों पर। इसके लिये हम दोनों, मैं और जया, जीवन भर तुम्हारे ॠणी रहेंगे।
स्टार, सन, र्स्पोट्स और डेली मिरर जैसे समाचारपत्र तो डेविड की एक भिन्न प्रकार की छवि दुनिया भर को दिखाते हैं। यह असली डेविड उस छवि से कितना अलग है। समाचारपत्र तो डेविड को कामदेव की तरह प्रस्तुत करते हैं - कभी किसी लडक़ी को चूमते हुए, तो कहीं अपना नग्न वक्ष दिखाते हुए, कभी लडक़ियों से घिरे हुए, कभी जया के वक्ष पर अपनी हथेलियां रखे। मैनी इस गोरखधन्धे को समझ नहीं पा रही है। यदि डेविड अपनी पत्नी के प्रति इतनी निष्ठा रखता है तो जब बच्चा हो जाएगा तो किस प्रकार का पिता बनेगा? जमाने से एकदम अलग। मैनी सोच रही थी कि वह डेविड को उसकी अनुपस्थिति में जी भर कर कोसेगी, किन्तु उसका हृदय इतनी शक्ति बटोर पाने में असफल हो गया। उसे डेविड पर और अधिक प्यार आने लगा। लगता है मैनी जैसे कोई निर्णय ले चुकी है।
“तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया? तुमने यह बात सोची भी कैसे?
अरे! डेविड तुम्हारा मित्र है, अगर हम दोनों मिल कर जया और डेविड की सहायता नहीं करेंगे तो क्या कोई बाहर वाला आकर करेगा।
हम भी बाहर वाले ही हैं। यह उनका आपसी मामला है। वो जो करना चाहें करें। परपर तुम क्यों अपने आप को इन चक्करों में डालती हो?
अपना निजी मामला ही तो लेकर आई थी जया मेरे पास। अगर हम बाहर वाले होते तो हमारे सम्बंध इतने गहरे कभी न बन पाते।
मैनी, तुम हालात को समझने की कोशिश नहीं कर रही हो।आल दिस इज ग़ोईंग टू हर्ट यू। हो सकता है कि तुम इस समय यह सोच कर खुश हो रही हो कि तुम डेविड के बच्चे की माँ बनने वाली हो। मुझे मालूम है कि पूरे इंग्लैण्ड की कोई भी लडक़ी या औरत डेविड के बच्चे के लिये माँ बन कर बहुत प्रसन्न होगी। मगर तुम यह नहीं समझ पा रही हो कि यह फैसला तुम्हें किस कदर तोड सकता है।बात दो दिन की नहीं है। पूरे नौ महीने हमारा सारा घर इस ख्याल के साथ लडता रहेगा कि हमारे घर में एक बच्चा आने वाला है जिसका बाप मैं नहीं डेविड है।यह सब इतना आसान नहीं है, जितना तुम समझ रही हो।
गैरी, मेरे मन में ऐसी कोई बात नहीं है कि मैं डेविड के बच्चे की माँ बन कर कोई महान काम करने वाली हूँ। बात केवल सहायता की है। मैं जया और डेविड की सहायता करना चाहती हूँ। और तुम तो जानते हो कि जया मेरी कितनी प्यारी सहेली है। वह कार्ल और रीटा को कितना प्यार करती है। और सोचो समूचे देश में उन्हें मेरे अलावा किसी पर इतना विश्वास नहीं है। क्या यह हमारे लिये गर्व की बात नहीं है?
इस झूठी शान और छलावे से बाहर आओ मैनी। तुम जया और डेविड के जीवन के बाहरी ग्लैमर के पीछे बौराई सी फिर रही हो।याद रखो, तुम मेरी पत्नी हो, एक रेल्वे ड्राइवर की, पच्चीस हजार सालाना पाउण्ड पगार वाला रेल ड्राइवर। हम इस देश के लाखों लोगों से बेहतर जीवन जीवन जी रहे हैं। रेल में कहीं भी जाना हो मुफ्त यात्रा, हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे हैं और मैं उन्हें अच्छे संस्कार देने की कोशिश में हूँ। तुम, बने बनाए घर की नींव हिलाने की कोशिश कर रही हो। बहुत पछताओगी।
तुम भी गैरी! कैसी मिडल क्लास बातें करते हो। तुम सोचो हमारा बच्चा डेविड की सारी सम्पत्ति का मालिक बनेगा। मेरा बच्चा हमारा बच्चा !
यही तो समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि वो हमारा तो क्या तुम्हारा बच्चा भी नहीं रहेगा।मैनी।यह सब इतना आसान नहीं होता है। कल जब डेविड तुम से डॉक्यूमेन्ट पर हस्ताक्षर करवाएगा कि तुम होने वाले बच्चे से कभी मिलने की कोशिश नहीं करोगी, तुम्हारा उस पर कोई हक नहीं होगा, तुम उसे जताओगी नहीं कि तुम उसकी माँ होऔर बात केवल साइन करने की नहीं , जब वह सचमुच तुम्हें उस बच्चे से दूर कर देगा, तब तुम!
तुम देखते रहना गैरी, मैं कैसे हालात को अपने पक्ष में कर लूंगी।
देन, गो टू हैल!
हैल!नर्क क्या इसी को कहते हैं? पति और बच्चे छोड ज़ाएं, सभी नाते रिश्तेदार किनारा कर लें और इन्सान अंधेरे बंद कमरे में अपने अस्तित्व से डरता रहे। यही तो है नर्क की वह आग जिसकी तपिश तो महसूस की जा सकती है पर जो दिखाई नहीं देती। आज उसे हर आंख यही प्रश्न करती दिखाई देती है कि तुम यह क्या कर बैठीं। गैरी तो कह ही रहा था कि तुम अभी तक जीवन की विषमताओं को समझ नहीं पा रही हो। जब सच्चाई सामने आएगी तभी तुम्हें मालूम होगा कि क्या कहाँ खो गया।
“सच तो यह है मैनी, कि हर समय कुछ ऐसा अहसास होता रहता है कि कुछ न कुछ, कहीं न कहीं खो गया है। एक विचित्र सी कमी महसूस होती रहती है। मैं भी चाहती हूँ कि हमारे घर में भी एक छोटे बच्चे की किलकारियों की आवाज ग़ूंजे। मगर क्या करें।
जया, क्या तुम भी मुझ से ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाओगी कि मैं होने वाले बच्चे से नहीं मिल सकती? “
“मैनी, भला तुम्हारे और मेरे बीच किसी दस्तावेज की क्या आवश्यकता है? हाँ, डेविड तो गोरा ब्रिटिश है। वह तो हर काम कानूनी ढंग से करने में विश्वास रखता है। अगर उसकी तसल्ली की खातिर कुछ एक जगह दस्तखत करने भी पड ज़ाएं तो क्या फर्क पडता है? और इसी बहाने मेरी सहेली को कुछ पैसों की सहायता भी मिल जायेगी।आखिर तुम साल-डेढ साल की छुट्टी लोगी, तुम्हारा डिलिवरी के दौरान खाने-पीने और डॉक्टर का खर्चा होगा। यह डिलिवरी किसी सरकारी हस्पताल में तो होगी नहीं। इसके लिये तो तुम्हें प्राइवेट नर्सिंग होम में भरती होना पडेग़ा। अब अगर डेविड यह सब खर्चा करना चाहता है तो करने दो न।
प्राइवेट नर्सिंग होम! आज तो लगता है पागलखाने में भरती होना पडेग़ा। कितनी जल्दी सब बदल जाता है। एक अनुभूति मात्र के लिये मैनी ने क्या-क्या खो दिया। सरोगेट माँ बनने के चक्कर में, न वह मां रह पाई और न ही पत्नी। बस सरोगेट ही रह गई। गैरी के बार-बार मना करने के बावजूद भी तो वह नहीं मानी थी। कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र पहुंच ही गई। डेविड के वीर्य और मैनी के गर्भाशय व ओवरी की कई बार जांच हुई। ओव्यूलेशन के सही समय की प्रतीक्षा थी। गैरी असहाय दर्शक बन कर देख रहा था, उसे शिकायत भी थी और आक्रोश भी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मैनी को अपने आपको इस समस्या में उलझाने की क्या आवश्यकता थी? और वह पल आया ही चाहता था जिसकी मैनी को बेसब्री से प्रतीक्षा थी।
“मैनी, तुम एक बार फिर सोच लो। अभी भी कुछ नहीं बिगडा है। कहीं ऐसा न हो कि डेविड और जया को खुशी देते-देते तुम्हारे अपने जीवन में खुशियां हमेशा के लिये गायब हो जाएँ।”
“अब सोचने जैसी स्थिति कहां रह गई है, गैरी? अब तो बस मुझे वो काम कर दिखाना है, जिससे तुम्हारे मित्र के जीवन में खुशियों की हल्की-हल्की गुलाबी सी वर्षा होने लगे। जया के चेहरे की उदासी दूर करनी है मुझे।
बात यह नहीं है मैनी, मैं जानता हूँ कि तुम मन ही मन डेविड को चाहती हो। मैं इसे तुम्हारा कुसूर नहीं मानता, पूरा देश ही उसका दीवाना है। पर इसका यह अर्थ तो नहीं कि तुम र्निलज्ज हो जाओ।
तुम मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो। मैंने सेक्स के मामले में कभी तुम्हें धोखा नहीं दिया है।
तुमने जीवन में सदा अपनी मनमानी की है, और मैंमैं सदा ही तुम्हारी बेहूदगियां बरदाश्त करता आया हूँ। इसका कारण यह नहीं कि मैं कोई कमजोर किस्म का आदमी हूँ। इसका कारण केवल इतना ही है कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। मगर याद रखो कि हर चीज क़ी एक सीमा होती है। ठीक उसी तरह मेरे सहने और तुम्हारे बेतुके व्यवहार की भी कोई सीमा होनी चाहिये। तुम अभी भी न कर सकती हो। मुझे अच्छी तरह मालूम है कि एक बार तुम गर्भवती हो गई तो पीछे नहीं हटोगी। इसलिये बार-बार समझा रहा हूँ, इस आत्महत्या जैसी हरकत से बाज आओ।
गैरी तुम सपने नहीं देखते। जागते हुए सपने देखने का आनंद ही कुछ और होता है। जया और डेविड जिस बच्चे को जीवन भर प्यार देंगे, वो बच्चा मेरी कोख से जन्म लेगा। सोच कर ही मन पगला-पगला जाता है।
इसी पागलपन से बचने को कह रहा हूँ मैनी।
किन्तु मैनी कहाँ मानने वाली है। वह तो एक स्वछंद हवा में उडने वाला पक्षी है। आम मनुष्य के नियम उसे कहाँ बांध कर रख सकते हैं। आम गोरे पुरुषों की तरह गैरी गालियां नहीं देता। यदि वह दे पाता तो आज मैनी को गालियों से नवाज देता। वह आज तक मैनी के माता-पिता से नहीं मिला। उन्होंने मैनी के प्रेम-विवाह के बाद से उन्हें अपने जीवन से निकाल बाहर किया है। मन में आया कि उसके पिता से बात करे, किन्तु
आज गैरी अपने ही विचारों से संघर्ष करता हुआ रेलगाडी चलाए जा रहा है। सिग्नल का रंग लाल है या हराउसे ठीक से सुझाई नहीं दे रहा। बेवन के शब्द उसके दिमाग में बार-बार बज रहे हैं - यदि तुम्हारी मानसिक स्थिति ठीक नहीं तो काम पर मत जाओ। जरा सी सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।और वही हुआ भी। गनर्सबरी से साउथ एक्टन के बीच के लाल सिग्नल को नहीं देख पाया और स्पैड हो गया, यानि कि सिग्नल पास्ड एट डेन्जर। उसके सात साल की बेदाग ड्राइवरी में एक लाल निशान लग गया। अब साली इन्क्वायरी होगी। किसी को क्या मालूम कि गैरी का सारा जीवन ही लाल बत्ती पर आकर ठहर गया है।
मैनी को गर्भ ठहर गया है। वह प्रसन्न हैडेविड खुश हैऔर जया की भावनाओं को तो व्यक्त करने के लिये किसी भी भाषा के शब्दों में सार्मथ्य नहीं है। उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिये तो कोई नई शब्दावली बनानी होगी, नए मुहावरे गढने होंगे। मैनी के माध्यम से वह स्वयं गर्भवती हो गई है। और मैनी! अभी तो केवल यह तय हुआ है कि वह गर्भवती है और उसे अपने भीतर चलता-फिरता डेविड महसूस होने लगा है।
“यदि मैं डेविड के साथ संसर्ग कर भी लेती तो भी अन्तत: होना तो यही थामुझे उसके बच्चे की माँ ही तो बनना था और वह चुम्बन जो डेविड ने मेरे होंठों पर अंकित कर दिया था। क्या आज की स्थिति में मैं उसे ब्लैक-मेल कर सकती हूँ? क्या उसे मजबूर कर सकती हूँ कि वह मुझसे शारीरिक सम्बंध बनाए? आज तो उसकी सारी आशाएं मुझ पर आ टिकी हैं परन्तु डॉक्टर ने तो उसके सामने ही कहा है कि मैं अगले तीन महीनों तक सेक्स से दूर ही रहूँअन्यथा गर्भपात हो सकता है।मैं तो गैरी की बांहों में भी डेविड की कल्पना कर लेती हूँ। डेविड का प्रिय कोलोन 'कूल वाटर ही गैरी के लिये भी खरीदने लगी हूँ। दोनों के शरीर से एक सी गन्ध आने लगी है। किन्तु फुटबॉल के मैदान में खेल समाप्ति के पश्चात उसके पसीने की गंध तो मुझे दीवाना बना देती है। क्या डेविड मुझे एक गहरा चुम्बन भी नहीं दे सकता?
“आज खाना नहीं बनाया क्या? गैरी की आवाज उसे विचारों की दुनिया से खींच कर ठोस सच्चाई के धरातल पर ला पटकती है। वह अपने विचारों में ऐसी खोई हुई थी कि भोजन तैयार करने का तो ख्याल ही नहीं आया।
“गैरी डार्लिंग, मेरी तबियत आज थोडी ढ़ीली लग रही है। पिजा हट से पिजा मंगवा लो न। बच्चों को भी चेन्ज हो जाएगा।
हमने कल रात भी पिजा ही खाया था, मैनी! तुम तो जानती हो कि मुझे बाहर का खाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। तुम मेरे मोबाईल पर फोन करके बता देती कि तबियत ठीक नहीं तो मैं कम से कम आते हुए रास्ते में से कुछ लेता आता। वैसे मैनी, यह रोज-रोज का बाहर का खाना हमारे बजट का तो सत्यानाश करेगा ही हमारे परिवार में गलत परम्पराओं को जन्म देगा। मुझे तो अपनी माँ का तरीका
प्लीज ग़ैरी, अब दोबारा शुरु मत करना। पहले ही मेरी तबियत ठीक नहीं है, तुम तो जानते हो, इन दिनों मुझे कितनी उल्टियां होती हैं। सारा-सारा दिन मैं परेशान रहती हूँ मैं।
क्यों रहती हो परेशान? किसके लिये? मैंने मना किया था न कि पंगा मत लो। अभी तो कुछ हुआ भी नहीं मैनी, तुम्हारा हठ हमारे सारे जीवन को तहस-नहस कर देगा।
हम कितना बडा काम कर रहे हैं गैरी, तुम इस काम की महानता समझ ही नहीं रहे।
देखो, मैनी, मैं सीधा-सादा आदमी हूँ। मेरी महत्वाकांक्षाएं, इच्छाएं बहुत सीमित हैं, मुझे महान या भगवान बनने का कोई शौक नहीं है। मैं केवल एक बात जानता हूँ कि तुमने मेरा कहना नहीं माना बस्स!
अब तो यह कलह हर रोज घर में होनी है। किन्तु मैनी को अभी भी कहीं अपराध-बोध नहीं होता है। वह समझ नहीं पा रही कि आखिर उसका पति इतनी छोटी सी बात पर इतना परेशान क्यों हो रहा है। फिर हर दोपहर जब जया पहुंच जाती है, उसका हाल जानने, तो एक बार फिर वह अपने निर्णय पर अडिग सी खडी हो जाती है। आजकल जया उसका बहुत खयाल रखने लगी है। मैनी क्या खाएगी, क्या पहनेगी, कब सोएगी, कब जागेगी सभी कुछ तो वह तय करती है। जया मैनी के लिये मदरकेयर से ढीले गाउन ले आई है, मैनी के कमरे में सुन्दर से बालक का चित्र टांग दिया है। डेविड भी कभी-कभी फोन कर मैनी का हाल पूछने लगा है। हैरान हो रहे हैं कार्ल और रीटा!
कार्ल और रीटा सहमे रहते हैं। उनके डैडी-मम्मी के बीच चलती तकरार पूरे घर को तनावग्रस्त बनाए रखती है। वे हैरान हैं, परेशान हैं।यह सब क्या हो रहा है, दिमाग छोटे हैं, समस्याएं बडी हैं समझ आएं भी तो कैसे? वे दोनों जानने को बेचैन हैं कि उनके माता-पिता को अचानक हुआ क्या है? मां अचानक बीमार क्यों रहने लगी है, और वो पिता जो मां के छींकने भर से उसके लिये दवाइयां लाने को बेचैन हो उठता था, अचानक उनकी बीमार मां को डांटने क्यों लगा है?मां तो अस्पताल के चक्कर लगा रही है, फिर भी पिता इतना निष्ठुर और कठोर व्यवहार कर रहा है। और मां को अस्पताल ले जाने के लिये विशेष तौर जया आंटी लेने आने लगी हैं।
जया आंटी आजकल कुछ ज्यादा ही घर आने लगी हैं। पहले तो केवल उनके लिये उपहार लाया करती थीं, किन्तु आजकल तो सब ममी के लिये आता है, कभी खाने के लिये तो कभी पहनने के लिये। ममी के पास तो पहले ही इतने अधिक कपडे हैं। और फिर ममी और जया आंटी में आजकल खुसर पुसर बहुत होने लगी है। दोनों खुल कर बात नहीं करती, बस धीमी-धीमी आवाज में ही बोलती हैं। दोनों बच्चे इस बात से प्रसन्न भी हैं कि दो-तीन बार तो डेविड अंकल भी घर आ चुके हैं।मुहल्ले में भी कार्ल और रीटा का रोब-दाब बढ ग़या है - आखिर बीफी डेविड उनके घर आता है। ऌंग्लैण्ड का सबसे बडा फुटबॉल खिलाडी उनके घर आता है।
गैरी आजकल घर आने से कतराने लगा है। घर में आता है तो टेलीफोन से चिपका रहता है।गैरी तो ऐसा नहीं था। वह तो सारा समय बच्चों के साथ हंसी-ठठ्ठा करने वाला व्यक्ति है।फिर अचानक वह ऐसा व्यवहार क्यों करने लगा है? कल ही उसके मोबाइल पर एक रोमांटिक किस्म का संदेश देखा था मैनी ने। शेरिल!हाँ यही नाम तो था।
“यह शेरिल कौन है?
कोई नहीं है।
कल तुम्हारे मोबाइल पर उसने दिल का चित्र बना कर संदेश भेजा था कि आई लव यू।
मैंने तो ऐसा कोई संदेश नहीं भेजा था न ?
यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है।मैं जानना चाहती हूँ कि यह है शेरिल कौन?
कंडक्टर है रेल्वे में। स्ट्रेटफर्ड डिपो में काम करती है।और कुछ?
आजकल गाडियों में कंडक्टर कहाँ होते हैं?
जब तुम्हें रेल्वे के बारे में कुछ पता नहीं , तो हर बात में अपनी टांग मत अडाओ।
कोई कुतिया तुम्हें लव मैसेज भेजेगी तो मैं उसका मुंह नोच लूंगी।”
“और उसके बाद किसी ऐरे-गैरे के लिये बच्चा पैदा करोगी। तुम यह सब नाटक रहने दो। अगर तुम मेरी मर्जी के खिलाफ जाकर डेविड के लिये बच्चा पैदा कर सकती हो, तो तुम्हें मेरे निजी जीवन में दखल देने का कोई हक नहीं बनता। मैं तुम्हें ऐसा हरगिज नहीं करने दूंगा।
तुम्हारा निजी जीवन? इस परिवार के अलावा तुम्हारी पर्सनल लाईफ है क्या गैरी ?
डोन्ट स्पॉइल माई लाइफ एनी मोर, मैनी! मैं पहले ही तुमसे बुरी तरह तंग आ चुका हूँ। तुम्हारे जैसी बददिमाग और बदमिजाज लडक़ियां ही अपने पति का जीवन नर्क बना देती हैं। अपनी इस जिद की तुम्हें कीमत चुकानी पडेग़ी मैनी।
तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।
मैं ! मैं तुम्हारे साथ इससे बहुत ज्यादा कर सकता हूँ मैनी। बेहतर होगा कि तुम अपनी जिन्दगी जियो, और मुझे मेरी जीने दो।
किन्तु हमारे बच्चे? उनका क्या होगा?
तुम बच्चों का नाम लेकर मुझे इमोशनली ब्लैकमेल करने की कोशिश मत करो। वो मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि उनका ध्यान कैसे रखना है।
ग़ैरी, प्लीज !
शटअप मैनी! यू आर डर्टी बिच! यू वोन्ट अण्डरस्टैण्ड लाईफ एट ऑल!
आज मैनी डर गई , घबरा गई है। क्या गैरी उसे छोडने के बारे में सोच रहा है? क्या सचमुच उसका शेरिल के साथ लफडा चल रहा है?उसने तो साफ-साफ लिखा है कि वह गैरी को गर्र्मगर्म चुम्बन भेज रही है। बेशरम! उसे मेरा गैरी ही मिला है? रेल्वे में तो और भी कितने ही कुंआरे ड्राइवर हैं। फिर मेरा गैरी ही क्यों?
क्या गैरी सचमुच नाराज है? क्या उसे मनाया नहीं जा सकता? दरअसल मैंने ही उसे मनाने का ठीक से प्रयास नहीं किया। बस शेरिल का नाम लेकर कटहरे में खडा कर दिया, भिड ग़ई उससे। आज रात उसे मनाने का प्रयास करूंगी।
“गैरी तुम्हें याद है, जब कार्ल होने वाला था तो हम कैसे अपनी दैहिक जरूरतें पूरी करते थे? कितनी मुश्किल हुआ करती थी।
गैरी सो गए क्या?
मैनी, अब मेरी इन सब बातों में कोई रुचि नहीं है। तुमने मेरी इच्छा के विरूध्द जाकर डेविड का बच्चा पैदा करने का निर्णय लिया है मैं इस पूरे ताम-झाम में तुम्हारे साथ नहीं हूँ। वो बच्चा तुम्हारे भीतर कहीं हिलता है तो मेरा पूरा वजूद सुलगने लगता है।मैंने तुम्हें क्या नहीं दिया मैनी? क्या नहीं दिया? मेरे प्यार, मेरे समर्पण में क्या कमी रह गई थी मैनी? तुम्हारे और मेरे बीच कभी कोई दूसरी औरत आई थी मैनी? फिर यह बच्चा कैसे आ गया मैनी, क्यों आ गया? तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मैनी आग लगा दी है तुमने इस घर की खुशियों में।
गैरी मुंह फेर कर सो गया है।मैनी का प्रयास विफल हो गया है। क्या उसका दाम्पत्य जीवन भी ऐसे ही करवट बदल कर सोने वाला है? क्या उसका अपना गैरी पराया होने वाला है? अब तो केवल सुबह तक प्रतीक्षा करनी होगी, सुबह डेविड और जया आने वाले हैं। अब तो डिलीवरी का समय भी निकट आता जा रहा है। डेविड ने अनुबंध की शर्त के अनुसार पचास हजार पाउण्ड मैनी के बैंक खाते में जमा करवा दिये हैं। गैरी को अभी तक कुछ भी नहीं मालूम। गैरी को बताए या ना बताए? अगर यह मुझे कल को छोड ग़या तो? या फिर इन पैसों के लालच में ही रुक जाए। अभी तो प्रतीक्षा करना ही उचित दिखाई देता है।
मैनी की बीमारी का वास्तविक आनंद तो कार्ल और रीटा ही उठा रहे हैं। हर रोज भोजन किसी न किसी रेस्टोरेन्ट से मंगा लिया जाता है। कभी कढाई किंग से तन्दूरी चिकन और सीख कबाब, तो कभी सैम चिकन या फिर पिजा हट या बरगर किंग या फिर केन्टकी फ्राईर्ड बस मौज-मस्ती की बेला!
सोचग्रस्त है तो केवल गैरी। उसे बचपन से भारतीय मूल की लडक़ियां ही पसंद आती हैं। उसे गोरी चमडी हमेशा ही बदरंग और बेजान लगती है।
“जानते हो गैरी भगवान बहुत बडा बेकर है यानि कि कुकीज बनाता है यानि कि बिस्कुट। जो कुकीज ज़ल गईं, वो तो उसने अफ्रीका भेज दीं, जो कच्ची रह गईं वो सब यँहा यूरोप में हैं और जो एकदम सही बनीं वो हम भारतीय हैं। तुम गोरे लोग भी नंगे-पंगे हो कर, लाखों-अरबों पाउण्ड के लोशन लगा-लगा कर सूर्य के नीचे लेट कर टेनिंग कर-कर के हम जैसी चमडी बनाने का प्रयास करते हो और जो अफ्रीकी हैं वो भी फेयर एण्ड लवली लगा-लगा कर हम जितना गोरा होने की कोशिश करने में जुटे रहते हैं। खिलखिला कर हंस पडी थी मैनी।
गैरी की प्रेमिका ने हंसी-हंसी में ही इतनी गहरी बात कह दी थी। गैरी को समझ में आ गया कि क्यों उसे भारतीय लडक़ियां ही सुन्दर लगती हैं। जब से सुष्मिता सेन और ऐश्वर्य राय विश्व सुन्दरियां बनी हैं, उसके विचारों को और अधिक बल मिल गया है। उससे गलती कहाँ हो गई है? जब वह अपनी मैनी को पूर्ण समर्पित है, वह अपने मित्रों के साथ पब तक नहीं जाता, क्योंकि उसे मैनी के बिना कहीं भी जाना अच्छा नहीं लगता है, तो फिर मैनी ने ही उसके साथ ऐसा क्यों किया?
कल रात जब वह काम से लौटा तो उसके मन में छुपे मैनी के प्रति प्रेम ने हुलारा लिया और वह बिस्तर में मैनी के पास पहुँच गया।
“नहीं, गैरी नहीं, मेरी तबियत ठीक नहीं है। वैसे भी बहुत इनकन्वीनियेन्स होगी।
गैरी उठ कर नीचे बैठक में पहुँच गया। वहीं वीडीयो पर एक इरॉटिक फिल्म लगा कर देखने लगा। फिर भी दिमाग को चैन नहीं मिल रहा था। जया और डेविड उसे परले दरजे के मक्कार लग रहे थे। उसकी भोली-भाली मैनी को फंसा लिया। क्या उसे मैनी पर नाराज होना चाहिये? क्या सचमुच कुसूर उसी का है? कहीं वह भी किसी चाल का शिकार तो नहीं। अचानक फिल्म में उसे एक चेहरा जाना-पहचाना सा लगा। अरे यह तो बिलकुल उसकी एक गार्ड से मिलता-जुलता चेहरा है, क्या नाम है उसका, नीना और इण्डियन भी है। शेरिल उसे लिफ्ट अवश्य देती है, किन्तु अपने मन का क्या करे जो कि भारतीय चमडी क़ो ही प्यार करना चाहता है। नीना बता रही थी कि वह तलाकशुदा है। शादी के दो वर्ष बाद ही तलाक हो गया था। वह नीना के सपने देखता, शराब के नशे में चूर वहीं सोफे पर लुढक़ गया।
पचास हजार पाउण्ड की गर्मी के बावजूद मैनी के भीतर तक ठण्ड भरी हुई है, डर गई है वह। गैरी अब मैनी से बिलकुल बात नहीं करता। अपना भोजन स्वयं बना लेता है या फिर बाहर से खाकर ही आता है। जब नीना का फोन पहली बार घर पर आया तो मैनी चौंकी। शेरिल से छुटकारा पाना इतना मुश्किल नहीं था, पर भारतीय लडक़ियां तो गैरी की कमजोरी हैं। आज तो मैनी मन ही मन वाहे गुरू से चलीहे की मन्नत मान रही है कि उसके गैरी को नीना से बचा ले। संस्कारों से बच पाना इतना ही आसान है क्या? मैनी और चलीहे की बात!
डिलीवरी को अभी तीन महीने बाकि हैं। रीटा और कार्ल तो नॉर्थविक अस्पताल ही में पैदा हुए थे । अबकि बार तो मैनी प्राइवेट नर्सिंग होम का आनंद उठा रही है। उसे आज भी वो कैलेण्डर याद आ रहा है जो उसके पिता भारत से लाए थे। शायद मर्फी रेडियो का कैलेन्डर था। उसमें एक बेहद खूबसूरत बच्चा बना हुआ था। बच्चे ने अपने बाएं हाथ की अम्गुली अपने होंठों पर रखी हुई थी। उसके बाल लम्बे थे, जैसे अभी मुण्डन हुए ही न हों। कुछ ऐसा ही बच्चा वह डेविड की भेंट करना चाहती है। फिर सोचती है कि चलो मान भी लें कि डेविड इतना क्रूर हो जाए कि उसे बच्चे से मिलने ही न दे , किन्तु उस बच्चे के चेहरे में क्या उसे मेरा चेहरा नहीं दिखाई देगा?
जैसे-जैसे डिलीवरी का समय निकट आ रहा था, जया और डेविड मैनी के निकट आते जा रहे थे और गैरी गैर बनता जा रहा था। कार्ल और रीटा भी मैनी के बिना जीने के आदि होते जा रहे थे। टेलीविजन में कार्टून नेटवर्क, एम टी वी और साथ में चिप्स और पॉपकॉर्न! बस यही तो कर रहे थे।
फिर एक रात अचानक मैनी को पेट में दर्द उठा। दर्द इतना अधिक था कि उसे अपने किये पर आश्चर्य करने का भी अवसर नहीं मिला। गैरी को उठाने के स्थान पर उसने जया को फोन किया। उसके फोन नीचे रखते ही जया और डेविड वहाँ पहुँच गए थे। गैरी तो शराब के नशे में धुत्त गहरी नींद सो रहा था।
पुत्र पैदा हुआ था। अरे यह तो हू-ब-हू तुम्हारी शक्ल की कार्बन कॉपी लग रहा है। जया अपनी प्रसन्नता रोक नहीं पा रही थी। मैनी को तब कहाँ मालूम था कि उसका जीवन भी अब असली जीवन की कार्बन कॉपी बन कर रह जाएगा। मूल प्रति तो कहीं खो जाने वाली है। और यह कार्बन कॉपी भी सत्यापित प्रति नहीं। कार्बन मुडा-तुडा है, कॉपी पर सलवटें साफ दिखाई दे रही हैं।
“जया, कहाँ है बच्चा? मुझे भी तो देखने दो न कैसा लगता है!
वो क्या है कि अभी जेफ़ सो रहा है। जब जागेगा तो तुम्हारे ही पास लाएंगे।
तुमने उसका नाम भी रख लिया? “
“नाम तो उसके पैदा होने से पहले ही रख लिया था। डेविड के दादा जी के नाम पर रखा है।
मुझसे तो कभी बात भी नहीं की!
मैनी तुम आराम करो! तुम्हें आराम की जरूरत है।
वह आराम ही करती रह गई । ड़ेविड और जया अपने जेफ़ को लेकर चले गए, उसे तो पता भी नहीं चला। अब डेविड तो डेविड जया भी टेलीफोन पर बात तक करने नहीं आ रही थी। दोस्ती प्रगाढ होने के स्थान पर सदा के लिये समाप्त हो गई। मैनी को समझ ही नहीं आया कि उसका कुसूर क्या था?
थकी हारी मैनी हस्पताल से मिनी कैंब लेकर घर पहुँची तो घर में कोई नहीं था। उसने अपने पर्स से अपनी वाली चाबियां निकाल कर दरवाजा खोला। घर में एक वीरान, भयभीत कर देने वाली चुप्पी छाई हुई थी। गैरी अवश्य ही कार्ल और रीटा को बाहर ले गया होगा - शायद मैकडॉनल्ड तक।
मैनी फ्रिज खोल कर कोकाकोला की बोतल निकालती है और गिलास में डाल कर घूंट भरती है।
“अरे हमारी मैनी घर आ गई। देखो तो कितना प्यारा बेटा है हमारा। हमारा कार्ल, बडा होकर पायलट बनेगा। बाप रेलगाडी चलाता है तो बेटा हवाईजहाज चलाएगा।
यादों की दुनिया से सच्चाई के संसार में वापिस लौटती है मैनी। टेलीविजन पर कुछ पत्र रखे हैं। सबसे उपर गैरी के हाथ से लिखा रुक्का है। वह अपने दोनों बच्चों को लेकर नीना के साथ रहने चला गया है। अब उसे मैनी में कोई दिलचस्पी नहीं रही। उसने लिखा है कि उसे वापस बुलाने की कोशिश बेकार होगी। अब मैनी चाहे तो अपनी कोख को किराए पर देने का व्यापार कर सकती है। बहुत से ग्राहक मिल जाएँगे।
मैनी एक बार और जया को फोन मिलाती है। इस बार जया फोन पर बात करने के लिये आ जाती है,
“देखो मैनी, मैं आज तक तुम्हें साफ-साफ कहने से बचती रही कि तुम्हारा दिल टूट जाएगा। नाऊ यू मस्ट रियलाईज क़ि जेफ़ हमारा बेटा है, मेरा और डेविड का। हम दोनों अपने बच्चे से बेहद प्यार करते हैं। अगर तुम हमारे बच्चे से मिलोगी तो हम लोगों के बीच कॉम्पलीकेशन्स बढेंग़े। हम सब के लिये बेहतर यही है कि तुम अपना जीवन जियो और हम अपना जियें। ठीक है कि हमने अपने बच्चे के लिये तुम्हारी कोख का इस्तेमाल किया है पर उसका पूरा किराया भी तो हमने दिया है।
कोख का किराया! क्या यही औकात है अब मैनी की? जेफ़ जया और डेविड के पास है और गैरी अपने बच्चों समेत नीना के पास । मैनी के चारों ओर सन्नाटे से भरी चीखती दीवारें हैं।