कोण /अशोक भाटिया
भूमिका -
इस शहर में वह माँ से मिलने के लिये आई है। दोपहर को उसे चले जाना है।
उसके भाई-भाभी भी इसी शहर में अलग रहते हैं। उसने भाई को फोन लगाया है कि आकर मिल जाओ। फोन मिलते ही वे दोनों भी पहुंच गए हैं।
संवाद -
बहन - आज सुबह ही प्रोग्राम बना दिल्ली जाने का। शाम को वहां एक रिंग - सेरेमनी है। सोचा, रास्ते में मिलती जाऊं।
भाई - पहले पता होता तो दाल-सब्जी बनाकर ले आते। थोड़ी देर में तू जा भी रही है, तो घर जाने को भी नहीं कह सकते।
बहन - नहीं भैया, बस अभी खाना खाकर निकल जाऊंगी।
भाभी (पति से) - आप घर से आलू-बैंगन की सब्जी ले आओ।
ननद - नहीं रहने दो भैया, मत जाना। दाल है, वही काफी है।
असर - भाई जाकर सब्जी ले आया।
बहन को ख़ुशी हुई। वह आलू-बैंगन नहीं खाती, सो प्याज के टुकड़े चुनकर खा लिए।
भाभी को तसल्ली हुई कि खाने में एक से दो चीज़ें हो गयीं।
माँ को गुस्सा था कि बहू के कहने पर बेटा क्यों सब्जी लेने गया?