कोरोना कालखंड : सौर मंडल में ग्रहदशा / जयप्रकाश चौकसे

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कोरोना कालखंड : सौर मंडल में ग्रहदशा
प्रकाशन तिथि : 27 अप्रैल 2020


कोरोना संक्रमित पहला मरीज चीन में गत वर्ष नवंबर में सामने आया था और भारत में जनवरी 2020 में। गौरतलब है कि इस कालखंड के समय सौर मंडल में ग्रहों की दशा क्या थी? क्या शनि गुरु पर वक्री हो रहा था? कुरुक्षेत्र में युद्ध के पहले दिन ग्रहों की दशा क्या थी। अभिमन्यु के लिए चक्रव्यूह किस दिन रचा गया? अठारवें दिन युद्ध समाप्त हुआ तब की ग्रहदशा जानते हुए यह जानना जरूरी है कि अश्वत्थामा ने द्रौपदी के सोए हुए पुत्रों को मारा तब बुध की दशा क्या थी? व्यथित द्रौपदी ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि वह कभी मरेगा नहीं। क्या जीना एक श्राप है और मरने पर चैन न आया तो कहां जाएं? क्या मुक्ति एक भरम है? क्या मृत्यु के साथ ही स्मृति का लोप हो जाता है। कुछ लोग पूर्व जन्म की स्मृति के साथ पैदा होते हैं। जर्मनी के डॉ. वीज ने इस विषय पर शोध किया है।

इस्लाम में कुंडली और समय को पढ़ने पर रोक लगा दी गई, क्योंकि उन्हें भय था कि इस क्षेत्र में असली जानकारों का अभाव होगा और कुछ ठग इसे व्यवसाय बनाकर अवाम को लूटेंगे। सभी अखबार एवं पत्रिकाएं, यहां तक कि वामपंथी विचारों से संचालित अखबारों में भी साप्ताहिक भविष्यफल प्रकाशित किया जाता है। खाकसार के परिचित ज्वाला प्रसाद शुक्ला, मजदूर यूनियन के कर्मचारी रहे और सेवानिवृत्त होने के बाद ‘पृथ्वी धाराचार्य’ के छद्म नाम से भविष्यफल लिखने लगे। मनुष्य के डर और चिंताओं से यह व्यवसाय पनपा है। इस कारण अन्याय, असमानता आधारित व्यवस्था को लाभ पहुंचाता है।

ऐसा माना जाता है कि पंजाब में भृगु संहिता में हर मनुष्य की कुंडली विद्यमान है। पंचांग भी आश्चर्यजनक है। उसमें दी गई गणना आज भी सही सिद्ध होती है। पंचांग और भृगु संहिता के जानकार लोग कुरुक्षेत्र, दूसरे विश्व युद्ध के दिन और पहर का अध्ययन करके बताएं कि क्या कोरोना कालखंड उसी यथार्थ का तीसरा चरण है? इसे हम प्रलय विवरण से नहीं जोड़ सकते? मलेरिया, हैजा और चेचक महामारी से इसकी तुलना केवल मरने वालों की संख्या तक ही सीमित रहेगी। इस तरह के अध्ययन में उस कालखंड की जनसंख्या को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और मेडिकल सुविधाओं पर भी विचार करना चाहिए।