कोलाज़ / सुकेश साहनी
एक सर्वें के मुताबिक गर्भपात के लिए नर्सिंग होम लाई जाने वाली कुंआरी माँओं की औसत आयु उन्नीस से घटकर हुई चैदह (अमेरिका की ‘बार्बी’ गुड़िया की तर्ज पर जापान में बनने वाली गुड़िया ‘रीका चान हुई गर्भवती,बच्चों के बीच दिनोंदिन हो रही लेाकप्रिय) लगातार तीसरी बच्ची पैदा होने पर एक व्यक्ति ने अपनी तीनों बेटियों की गोली मारकर कर दी हत्या......पत्नी के बेटा पैदा न कर पाने से खिन्न था पति (टैक्नेलॉजी हैज नाउ बीन एबल टू इनश्योर दैट द गर्ल चाइल्ड विल नाट इवन बी कंसीव्ड) दो जून रोटी के लिए खेतों में जुलाई के लिए हल को बैलों की जगह खींच रही महिलाएँ और लड़कियाँ। सोनीकोल ने गरीबी और भुखमरी के कारण बेच दिया अपने इकलौते एक वर्षीय कलेजे के टुकड़े को (हंग्री क्या? डायल हंग्री हैल्पलाइन! आधे घण्टे में होम डिलिवरी) देवास जिले के सुदूर बसे गाँव के दरबार सिंह के अनुसार गाँव में आज तक किसी ने नहीं देखा कोई स्कूल और न ही कोई मास्टर (घर बैठे शिक्षा पाएँ,जस्ट लॉग आन टू टीचर्स डॉट काम)दूसरों का मैला ढोने पर मजबूर दलित महिलाएँ गाँव से दूर गंदे तालाब का पानी पीने पर मजबूर। गलती से जब कभी उनका घड़ा दूसरे घड़े से छू जाता है, दूसरी महिलाएँ फोड़ देती हैं उनका घड़ा (याहू!! वाटर वर्ल्ड में रहूँगा मैं .....दिन-दिन भर घूमूँगा....मस्ती में झूमूँगा...घर नहीं जाऊँगा मैं) मुम्बई की लोकल ट्रेन में दिन दहाड़े बालिका से हुआ गैंग रेप (चैट विद रियल ‘टीन’ लीजा हू सेटस् द हार्ट ऑन फायर। अवर डॉल्स नेवर से ‘नो’) बिहार के मरबल जिले के तीरा गाँव में सविता देवी की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई, क्योंकि वह काली थी (दो हफ्तों में मनचाहा गोरापन पाएँ, मिल्की व्हाइट अपनाएँ) विज्ञापनों में महिलाओं को उपभोग की वस्तु के रूप में दिखाने से महिला सांसद नाराज। सर्वदलीय बैठकर बुलाकर सख्त कानून बनाने की अपील(पश्चिमी अफ्रीका में आयोजित क्वीन कोन्सेटस् के मानकों के अनुसार नारी का शरीर गिटार जैसा होना चाहिए। आदर्श क्वीन की देह का आकर्षण उसके भरे-पूरे नितम्ब हैं। नारी चले तो इन नितम्बों का हिलना अपने आप में आकर्षक होना चाहिए) स्टैण्डर्ड एण्ड पुअर्स ने भारत की रेटिंग घटाई। दूसरी बड़ी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने भी एस एण्ड पी की हाँ में हाँ मिलाई। साम्राज्यवादियों की ये दोनों वित्तीय संस्थाएँ विश्व पूँजीवाद और खासकर साम्राज्यवाद की आवश्यकताओं और भविष्य के मद्देनजर काम करती हैं। इनकी नजर भारत के विशाल बाजार और समृद्ध प्राकृतिक सम्पदा पर है। घटती रेटिंग के दबाव के चलते भारत का ‘शासक वर्ग अपने ही देश के मजदूरों के सस्ते श्रम को निचोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता (इण्डिया एक चमकता हुआ ब्राण्ड है। अगले दशक में ‘शामिल होगा दुनिया की तीन बड़ी ताकतों में। पिछले तीन वर्षों में सरकार की उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी के लिए जस्ट लाग आन टू ‘शाइनिंग इण्डिया डॉट कॉम)