कौतुक / बालकृष्ण भट्ट
जिस बात को देख या सुन चित्त चमत्कृत हो सब ओर से खिंच सहसा उस देखी या सुनी बात की ओर झुक पड़े, वह कौतुक है। यह अद्भुत नाम का नौ रसों में एक रस है। गंभीराशय बुद्धिमानों को कभी किसी बात का कौतुक होता ही नहीं या उनके लेखे यह संपूर्ण संसार केवल कौतुक रूप है जिसमें मनुष्य का जीवन तो महा कौतुक है -
अहन्यहनि भूतानि गच्छन्ति यममंदिरम्।
शेषाजीवितुमिच्छन्ति किमाश्चर्यमत: परम्।।
नित्य-नित्य लोग काल से कवलित हो प्रतिक्षण यम मंदिर की यात्रा का प्रस्थान रखे हुए भी जीने की सभी इच्छा करते हैं इससे बढ़ कर कौतुक और क्या होगा! सच है आधि-व्याधि-जरा-जीर्ण कलेवर का क्या ठिकाना? कच्चे धागे के समान दम एकदम में उखड़ जा सकता है मानो सूत का बँधा हाथी चल रहा है। तब हमको अपने जीने का जो इतना अभिमान या फक्र और नाज है सो तअज्जुब तो हई ही। तत्वविद् इस बड़े तमाशे को देख कर भी कुछ क्षुभित नहीं होते और सदा एक-से-स्थिर चित्त रहते हैं तब छोटे-छोटे हादसे उनके लिये कौन बड़ी बात है? अथवा जब कभी ऐसे लोगों का चित्त कौतुक-आविष्ट हुआ तो साधारण लोगों के समान उनका कौतुकी होना व्यर्थ नहीं होता। हम लोग दिन में सैकड़ों बातें कौतुक की देख करते हैं पर उससे कभी कोई बड़ा फायदा नहीं उठाते। गेलिलियो का एक कौतुकी होना बड़े-बड़े साइन्स की बुनियाद डालने वाला आकर्षण शक्ति (अट्रेक्शन ऑफ ग्रेवीटेशन) के ईजाद का बायस हुआ। ऊपर से नीचे को पदार्थ गिरते ही रहते हैं जिसे देख कभी किसी को कुछ अचरज नहीं होता किंतु बाग में बैठे हुए गेलिलियो को सेब का पक्का फल पेड़ से नीचे गिरते देख खटक पैदा हो गई और उसी क्षण से इनके मन में तर्क-वितर्क होने लगा कि क्यों यह फल नीचे गिरा ऊपर को क्यों न चला गया या कोई दूसरी बात इस फल के संबंध में क्यों न पैदा हो गई? बहुत सा ऊहापोह के उपरांत यही निश्चय उनके मन में जम गया कि बड़ी चीज छोटी चीज को सदा अपनी ओर खींचा करती है और यही ऐसी ईश्वरीय-अद्भुत शक्ति है कि जिसके द्वारा यह उपग्रह तारागण इत्यादि संपूर्ण खगोल अपनी-अपनी कक्षा में कायम हैं। यदि यह शक्ति न होती तो ये बड़े-बड़े ग्रह एक दूसरे से टकरा कर चूर-चूर हो जाते। इसी तरह भाप की ताकत प्रकट करने वाले जेम्स वाट को आग पर रखे हुए डेग के ढकने को खटखटाते हुए देख आश्चर्य हुआ था जिसका फल यह हुआ कि इसको अद्भुत शक्ति जान कर उन्होंने उसे काम में लाय अनेक तरह की ऐसी-ऐसी इंजिनें ईजाद की कि आज दिन उसके द्वारा संसार का कितना उपकार साधन किया जाता है। भाँति-भाँति की कलों के द्वारा जो काम होते हैं रेल और जहाज चलाना सब उसी भाप के गुण प्रकट करने का परिणाम है। ऐसा ही और कितने बड़े-बड़े विद्वान विज्ञानविद् लोगों ने साधारण-सी कौतुक की बातों पर कौतुकी ही बड़े-बड़े काम लिये हैं। अस्तु अब हम कौतुक की एक छोटी सी लिस्ट आपको सुनाते हैं उसे भी सुनते चलिये, सरकारी मुहकमों में पुलिस का मुहकमा कौतुक है। हम लोग भद्दी अकिल हिंदुस्तानियों के लिये अंग्रेजी राज्य की कतर-व्योंत कौतुक है। ऐसी ही बुरी तबियत वाले ऐंग्लोइंडियन के लिये हमारा कांग्रेस का करना कौतुक है। गवर्नमेंट की कृपा पात्र बीबी उर्दू के मुकाबिले सर्वथा सहाय-शून्य हिंदी का दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाना भी कौतुक है। हमीं लोगों के बीच से पैदा हो हमारे ही छाती का बार उखाड़ने वाली गवर्नमेंट की छोटी बहन म्यूनिसिपैलिटी एक कौतुक है, इत्यादि। जहाँ तक सोचते जाइये एक से एक बढ़ कर कौतुक आपके मन में जगह करता जायेगा।
(अक्टूबर, 1889)
भट्ट जी ने सेब के नीचे गिरने की जिस घटना का उल्लेख किया है, वह न्यूटन के साथ हुई थी।