क्या आमिर खान कंगना रनोट को पूंजी देंगे? / जयप्रकाश चौकसे

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क्या आमिर खान कंगना रनोट को पूंजी देंगे?
प्रकाशन तिथि : 12 मई 2018


खबर है कि 'क्वीन' कंगना रनोट की फिल्म में आमिर खान पूंजी निवेश करने जा रहे हैं। अभी मुलाकातों का दौर जारी है और कोई पुष्टि नहीं हुई है। आमिर खान अनुशासित व्यक्ति हैं और किसी भी फिल्म की योजना बनाते समय सारी संभावनाओं और खतरों को तौल लेते हैं। उनके विपरीत कंगना किसी नियम का पालन नहीं करतीं और विद्रोह का मैनीफेस्टो उनके ललाट पर अंकित रहता है। आमिर खान पहाड़ की तरह अटल हैं परंतु कंगना पहाड़ी नदी की तरह सारे कूल-किनारे तोड़ती हुई बहती हैं। इन दोनों के मिज़ाज में जमीन और आसमान का अंतर है परंतु यह प्रस्तावित फिल्म उस क्षितिज की तरह है, जहां जमीं और आसमां मिलते से नज़र आते हैं। दोनों फिल्म माध्यम के सेतु पर मिल सकते हैं। दोनों में यह बात समान है कि वे बेमिसाल फिल्में बनाना चाहते हैं और फिल्म की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं करना चाहते।

'दंगल' के क्लाइमैक्स में आमिर खान कमरे में बंद हैं और उनकी पुत्री अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कुश्ती लड़ रही है। कोई और नायक यह बात पसंद नहीं करता। ठीक ऐसे ही 'नाम शबाना' के क्लाइमैक्स में नायिका अपने बलबूते पर ही खलनायक को मारती है, जबकि अक्षय अभिनीत पात्र वहां मौजूद है। गुजश्ता दौर में नायक हर दृश्य में मौजूद होना पसंद करते थे। उनका कद इतना बड़ा था कि वे फिल्म की फ्रेम में समा नहीं पाते थे, फिर भी मौजूदगी की ज़िद थी।

कंगना अपने मध्यम वर्ग के परिवार की सुरक्षा को तजकर कलाकार बनने मुंबई आईं और फाकाकशी के दौर में फुटपाथ पर भी रातें गुजारीं। महेश भट्‌ट ने अपने प्रमुख सहायक अनुराग बसु के निर्देशन में 'गैंगस्टर' नामक फिल्म बनाई, जिसका टाइटल कथा के साथ न्याय नहीं करता। 'गैंगस्टर' एक प्रेम-कथा थी, जिसमें भावना की तीव्रता वैसी ही थी जैसी लैला-मजनू, शीरीं-फरहाद और रोमियो-जूलियट में। सारी प्रेम कथाएं त्रासदी होती हैं। विवाहित जीवन में प्रेम का अलख जगाए रखना बड़ा कठिन होता है। प्रेम में विरह और मिलन निभाने के लिए समान रूप से कठिन होते हैं। मिलकर मिल नहीं पाते, जुदा होकर जी नहीं पाते। इस गुड़ का स्वाद गूंगा व्यक्ति कैसे बयां करें? आमिर खान दशकों से 'महाभारत' की योजना पर काम कर रहे हैं और एक माह के लिए अमेरिका गए थे। संभवत: वह महाभारत के विशेष प्रभाव वाले दृश्यों के विषय में शोध करने गए कि उन्हें किस तरह फिल्माया जाएगा।

एसएस राजामौली की 'बाहुबली' भी महाभारत की प्रेरणा है परंतु कान सीधे नहीं पकड़े गए हैं। कई दशक पूर्व पेरिस में सीन नदी के तट पर महाभारत मंचित किया गया था और प्रस्तुति में सीन को गंगा की तरह प्रस्तुत किया गया था। बहरहाल, वेदव्यास की महाभारत को एक ही कालखंड में अनेक फिल्मकार बना सकते हैं परंतु सबके जमा जोड़ के बाद भी महाभारत के अनेक प्रसंग अनछुए रह जाएंगे। आधुनिक जीवन का कोई पक्ष ऐसा नहीं, जिसका स्पर्श महाभारत में नहीं है। जैसे अज्ञात वास में अर्जुन का स्त्री रूप धारण करके उत्तरा को नृत्य की शिक्षा देना और महसूस करना कि उत्तरा उससे प्रेम करती है। फिर सबकुछ बताकर विवाह का प्रस्ताव रखना और उत्तरा का उसे यह कहकर ठुकराना कि वह तो अर्जुन के स्त्री स्वरूप को ही प्यार करती है। महाभारत की बुनावट उस स्वेटर की तरह है, जिसे बुना गया है 'ख्बाब दम-ब-दम।'

यह लगता है कि कंगना रनौत कोई पटकथा लेकर आमिर के पास गईं और आमिर खान को उस पटकथा में महान संभावना नज़र आई है। ज्ञातव्य है कि 'तनु वेड्स मनु' और 'क्वीन' की सफलता के बाद कंगना रनौत अमेरिका गई थीं, जहां उन्होंने पटकथा लेखन का एक कोर्स किया है। इसके बाद हंसल मेहता का 'सिमरन' नामक हादसा घटा था। पटकथा लेखन सीखा जा सकता है परंतु कथा की नींव मजबूत न हो तो पटकथा के भवन में दरारें उभर आती हैं। मुद्‌दा यह है कि आप फिल्म में क्या कहना चाहते हैं? कहने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। आमिर खान अनेक बार विचार करके कोई कदम उठाते हैं और कंगना कदम उठाने के बात सोचती हैं।

फिल्म उद्योग इस समय अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। सिनेमाघरों की कमी के कारण आय अधिक नहीं होती। क्या यह कम आश्चर्य की बात है कि हमारी सफलतम फिल्म को सिनेमाघरों में पांच करोड़ से अधिक दर्शक नहीं देखते। टेलीविजन पर प्रसारण के समय अधिकतम दर्शक देखते हैं। सरकार उद्योग की कोई सहायता नहीं करती। इस समय भव्य एवं सार्थक फिल्म ही रूठे हुए दर्शक को सिनेमाघर तक ला सकती है। आमिर खान और कंगना का आपसी सहयोग महत्वपूर्ण फिल्म दे सकता है परंतु 'महाभारत' ही उद्योग को असली राहत दे सकता है।