क्या नाम ही एकमात्र पहचान है? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :29 अप्रैल 2017
प्राय: नवजात शिशु के नामकरण के समय माता-पिता के मन में यह कामना होती है कि नाम में उनके नाम के पहले या आखिरी अक्षर जुड़ जाएं तो एक सिलसिला बन सकता है। अपने जाने के बाद अपने बने रहने की इच्छा बलवती होती है। समय के साथ नाम में कुछ बदलाव भी आ जाते हैं जैसा कि जन्म के समय रखा नाम सुयोधन बाद में दुर्योधन हो गया। कभी-कभी शिशु जवान होने पर अपने नाम से खिन्न भी हो सकता है। विदेशों में बसे भारतीय अपने नाम में परिवर्तन कर लेते हैं। मसलन, सुगनू जेठवानी विदेश में संपन्न होते ही स्वयं को सैम कहलाना पसंद करते थे। जन्म के समय नाम रखा जाता है परंतु घर में एक घरेलू नाम भी होता है। मसलन, राज कपूर के ज्येष्ठ पुत्र का नाम रणधीर कपूर है परंतु बचपन में उन्हें परिवार के सदस्य डब्बू कहकर पुकारने लगे तो आज तक वे प्राय: इसी नाम से संबोधित किए जाते हैं। प्राय: खूबसूरत शिशु को नज़र नहीं लगे इसलिए उसे बेहूदा पुकारता नाम भी दिया जाता है। गोरा रंग हमारे समाज की कमजोरी है। अत: नज़र न लगे, इसलिए गोरे-चिट्टे व्यक्ति को 'कालू' कहकर भी पुकारा जाता है। हमारा समाज इतना निष्ठुर है कि पैर में कोई विकार होने वाले व्यक्ति को लंगडू़ कहकर पुकारते हैं। कई व्यक्तियों को काना या ठिंगनू कहकर भी पुकारा जाता है। 'वैष्णव जन तो तेने कहिए रे, पीर पराई जाणे रे' जैसे महान भजन का जाप करने वाला समाज कितना निर्मम है। सबसे बड़ी बात यह कि व्यक्ति इस निर्ममता का बुरा भी नहीं मानते, जो उनकी सहनशीलता का परिचय देता है। मान्यता है कि कौरवों का मामा शकुनी भी लंगड़ा था और इसी एक पैर को उसने अपनी बहन के वंश में ऐसे गाड़ा कि वंश ही नष्ट हो गया।
प्राय: जन्म के समय कुंडली बनाई जाती है और नवजात शिशु के जन्म समय के ग्रह-नक्षत्र की दशा भी नाम रखने में मदद करती है। कभी-कभी शिशु का जन्म जिस दिन होता है, उसी दिवस के आधार पर नाम रख देते हैं जैसे मंगलनाथ या रवि प्रकाश। गुरुदत्त की 'साहब, बीबी और गुलाम' में 'गुलाम' का जन्म नाम भूतनाथ है,जो उसकी बुआ ने रखा था। सुपवित्र उस चरित्र का नाम है, जिससे वहीदा रहमान अभिनीत पात्र का विवाह करने की मंशा जाहिर होती है। आज ग्वालियर के कवि पवन करण की सुपुत्री महादेवी का विवाह संजय भगत के सुपुत्र मिल्टन से होने जा रहा है। जॉन मिल्टन अंग्रेजी साहित्य में अपने महाकाव्य 'पैराडाइज लॉस्ट' एवं 'सैमसन एगोनेस्ट' के लिए विख्यात है। क्या पवन किरण के कवि होने के कारण ही उन्होंने अपनी सुपुत्री का नाम तो महादेवी रखा और दामाद के रूप में मिल्टन को स्वीकार किया गोयाकि विवाह हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के बीच हो रहा है? विवाह पश्चात दंपती 'पैराडाइज रीगेन्ड' कर सकते हैं, जो कि जॉन मिल्टन के आखिरी महाकाव्य का नाम है।
पात्रों का फिल्म में नामकरण भी प्रतीकात्मक हो सकता है। मसनल, राज कपूर की 'श्री 420' में नायिका का नाम विधा है तो खलनायिका का नाम माया है और खलनायक का नाम सेठ सोनाचंद धरमानंद है, जो एक दृश्य में इलाहाबाद से ईमानदारी का गोल्ड मेडल जीतकर मुंबई में काम की तलाश में आए नायक से कहता है कि उसे सफल होने के लिए 'विधा' की नहीं 'माया' की आवश्यकता है। इसी फिल्म से प्रेरित होकर अजीज मिर्जा ने शाहरुख खान अभिनीत 'राजू बन गया जेंटलमैन' बनाई थी। अजीज मिर्जा और कुंदन शाह पर 'श्री 420' का इतना प्रभाव था कि उन्होंने 'नुक्कड' नामक सीरियल में सभी पात्र इस फिल्म की प्रेरणा से लिए थे। ज्ञातव्य है कि दूरदर्शन पर सामाजिक प्रतिबद्धता वाले सीरियल दिखाए गए थे और प्राइवेट चैनलों के आते ही सारी बागडोर एकता कपूर ने अपने हाथ में लेकर सास-बहू सीरियलों की भरमार कर दी। ज्ञातव्य है कि श्याम बेनेगल ने भी नेहरू की 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' पर आधारित 'भारत एक खोज' का निर्माण किया था। भारत के पौराणिक आख्यानों का सटीक प्रस्तुतीकरण हुआ है। श्याम बेनेगल ने भारत एक खोज प्रस्तुत करके सिद्ध किया कि पौराणिक आख्यान किफायत से भी बनाए जा सकते हैं। दूरदर्शन के उस स्वर्णकाल में रमेश सिप्पी की 'बुनियाद,' 'हम लोग' का पुन: प्रसारण किया जा सकता है।
बहरहाल, शेक्सपीयर ने लिखा है कि गुलाब के फूल को किसी भी नाम से पुकारो व तो अपनी खुशबू ही देगा। ज्ञातव्य है कि राजकपूर के जन्म के समय कुंडली के अनुरूप यह सुझाया गया कि नवजात का नाम सृष्टिनाथ रखा जाए परंतु पृथ्वीराज को नाम में अहंकार का भाव ध्वनित हुआ तो उन्होंने राज कपूर रखा परंतु राज कपूर ने फिल्मों के माध्यम से अपनी एक सृष्टि की ही रचना कर डाली। राज कपूर का फिल्म सृजन आज भी दर्शकों को प्रभावित करता है।