क्रिकेट, सिनेमा और चीन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 नवम्बर 2014
विराट कोहली अनुष्का शर्मा की अंतरंगता इस समय फिल्म उद्योग और क्रिकेट संसार में एकमात्र प्रेम कहानी मानी जा रही है। इंग्लैंड के दौरे पर उन दोनों का साथ रहना विवाद बना दिया गया था क्योंकि विरोधी के जीतने पर अपनी हार के लिए किसी बहाने की तलाश थी। हमारे देश में तेज गेंदबाजों की सहायता करने वाले पिच नहीं बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है और क्रिकेट बोर्ड की सकारात्मक कामों में कोई रुचि नहीं है। सुनील गावस्कर, द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, बिशनसिंह बेदी और तेंडुलकर की तरह निष्णात खिलाड़ियों के हाथ भारतीय क्रिकेट संघ की बागडोर नहीं है, वह अमीरों और नेताओं के हाथ में है जिन्हें केवल उसके विराट कारोबार में ही रुचि है।
बहरहाल क्रिकेट और सिनेमा उद्योग दोनों ही इस देश में अत्यंत लोकप्रिय हैं। दोनों ही की नियामक शक्ति अनिश्चित होना है जो जीवन की तरह है। अब क्रिकेट के विराट व्यवसाय पक्ष के कारण ही चीन की रुचि जागी है और दूसरी बात यह है कि चीन के अवाम को जिस भयावह दौर में अंग्रेजों के षड़यंत्र के कारण अफीम खाने का लती बनाया गया था, उसी दौर में उनकी रुचि सट्टे में भी जागी थी, क्योंकि नशे की लत के लिए आवश्यक है अनर्जित धन। चीन का यह सटोरियापन इतना प्रबल हुआ कि अंग्रेजी भाषा में असंभव चीज के वर्णन के लिए कहते हैं, यू डोंट हैव चांस लाइक चायनीज। सारांश कुछ यह था कि यह इतनी हारी हुई बाजी है कि कोई चीनी भी इस पर दांव ना लगाए। अभी चीन में क्रिकेट की ओर युवा वर्ग का झुकाव इस कारण है कि उन्हें अभ्यास के बहाने कारखाने में जानलेवा काम से आजादी मिल जाए। वहां क्रिकेट अभ्यास भी उनके लेबर एक्ट के तहत खेला जा रहा है। अभी चीनी युवतियां युवकों से बेहतर खेली रही हैं, परंतु तानाशाही मुल्क में प्रेम भी सरकारी इजाजत के बिना नहीं किया जा सकता। हुकूमत किसी भी तरह की हो, सारी हुकूमतों में समान बात यह है कि वे प्रेम विरोधी हैं और उनका असल खौफ यह है कि प्रेम विचार शैली में प्रकाश बन कर आता है। सारा षड़यंत्र ही केवल अंधेरा फैलाने का है क्योंकि अंधकार का अपना कोई अस्तित्व नहीं है, वह तो महज प्रकाश का अभाव है।
बहरहाल क्रिकेट खिलाड़ियों में कुछ अनन्य प्रेमी हुए हैं। सोबर्स ने केवल एक स्त्री से प्यार पाने के लिए शर्त बदकर एक ओवर में 6 छक्के लगाए थे। सोबर्स को मुंबई में कलाकार अंजू महेन्द्रू से ऐसा इश्क हुआ कि उसने शर्त बदकर पांच दिन का मैच चार दिन में जीता ताकि उसे अंजू के साथ एक दिन की मनमानी छुट्टी मिले। सोबर्स का ख्याल था कि क्रिकेट और प्रेम में एक सी जिद और जीतने की प्रबल आकांक्षा लगती है और अगर आप प्रेम क्षेत्र में असफल हैं तो क्रिकेट मैदान पर आप कुछ नहीं कर सकते। विवियन रिचर्ड्स भी सोबर्स से प्रेरित प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे और उन्हें भी कलाकार नीना गुप्ता से प्रेम हुआ था और उनकी पुत्री मसाबा आज फैशन जगत में खूब नाम कमा रही है। उसके व्यक्तित्व पर ही विवियन रिचर्ड्स का हस्ताक्षर है।
हमारे मंसूर खान पटौदी से भी सुपर सितारा शर्मिला टैगोर को इश्क हुआ और उनकी संतान सैफ अली खान क्रिकेट तो नहीं खेले परंतु प्रेम क्षेत्र में नामी खिलंदड़ हैं। अत: विराट और अनुष्का एक पुरानी परंपरा की नई कड़ी हैं। संसार की श्रेष्ठ गायिका लता मंगेशकर को क्रिकेट बहुत पसंद है और राजसिंह डूंगरपुर से उनकी अंतरंग मैत्री लंबे समय तक रही। दरअसल क्रिकेट में संगीत भी है। बल्ले के बीच से लगे शॉट में ताल है। आजकल के खिलाड़ी धन कूटने में इतने व्यस्त हैं कि प्यार के लिए समय नहीं है। सच तो यह है कि इस संवेदनहीन युग में प्रेम ही खारिज किया जा चुका है।