क्रिकेट: कपिल दा जवाब नहीं / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 07 अगस्त 2021
रिलायंस फिल्म निर्माण कंपनी के लिए निर्देशक कबीर ने फिल्म ‘83’ बनाई है। लंबे समय से इस फिल्म को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने के लिए तैयार रखा गया है। महामारी के कारण सिनेमाघर बंद रहे हैं। जहां खोले गए हैं, वहां भी दर्शक नहीं आ रहे हैं। निर्माण कंपनी ने इतनी अधिक पूंजी से बनाई फिल्म रोक कर ब्याज भरा है। कुछ लोगों ने फिल्म देखी है और उन्हें विश्वास है कि फिल्म सफलता का इतिहास रच देगी। ज्ञातव्य है कि कप्तान कपिल देव निखंज की टीम ने यह इतिहास रचा था। एक लीग मैच में टीम ने 36 रन पर पांच विकेट गंवा दिए थे। कपिल देव ने ताबड़तोड़ रन बनाकर टीम को बचा लिया। विशेषज्ञों का मानना था कि भारत की जीते के अवसर न्यूनतम हैं। उस समय वेस्टइंडीज की टीम सर्वश्रेष्ठ टीम मानी जा रही थी। वेस्टइंडीज ने भारत को कम रनों पर आउट कर दिया था। अतिविश्वास से भरे वेस्टइंडीज के बल्लेबाज हिकारत से भारतीय गेंदबाजों को खेल रहे थे। यही अति आत्मविश्वास वेस्टइंडीज को ले डूबा था।
2002 में महिला हॉकी के कोच मीर रंजन नेगी की शिकायत है कि भारतीय महिला हॉकी की जीत को उस वक्त की मीडिया ने कम स्थान दिया था। क्रिकेट से प्रेरित फिल्में बनी हैं। आमिर खान की ‘लगान’ सफल रही है। फिल्म साधनहीन वर्ग द्वारा साधन संपन्न को मात देने की कथा थी। कबीर की रणवीर सिंह अभिनीत फिल्म ‘83’ यथार्थ से प्रेरित फिल्म है।
ऋषि कपूर, अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘पटियाला हाउस’ में वैचारिक मतभेद यह था कि ऋषि कपूर अभिनीत पात्र दशकों पूर्व लंदन पहुंचकर अपने परिश्रम से दौलत और आदर कमाता है। उन्होंने इंग्लैंड में एक छोटा पंजाब रच दिया है। सारे सदस्यों का सामाजिक व्यवहार ब्रिटिश है, परंतु अपने घर में वे ठेठ पंजाबी अंदाज में रहते हैं।
इस परिवार का ज्येष्ठ पुत्र इंग्लैंड क्रिकेट टीम में बाजी पलट देने की क्षमता रखने वाला गेंदबाज माना जाता है। ऋषि कपूर अभिनीत पिता नहीं चाहता कि पुत्र इंग्लैंड टीम से खेले। वह बार-बार वर्षों तक की गई गुलामी और अंग्रेजों द्वारा दिए गए कष्ट की बात करते हुए यह भूल जाता है कि भारत से इंग्लैंड आने पर ही उसके परिश्रम का फल उसे मिला है। वहां उसे नागरिकता प्राप्त है। यहां तक कि अक्षय अभिनीत उसके पुत्र का जन्म भी वहीं हुआ है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज में शिक्षित हुए हैं। अंग्रेजी भाषा जानने और प्रयोग करने वालों की बड़ी संख्या भारतीय है। एक बार एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के कृष्ण मेनन ने बहुत देर तक भारत का पक्ष अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किया। अंग्रेज उनकी भाषा से प्रभावित हुए। कृष्ण मेनन ने एक प्रश्न का उत्तर यह दिया कि मनुष्य मातृभाषा का प्रयोग करते हुए गलती कर सकता है परंतु ग्रामर के नियमानुसार अंग्रेजी सीखने वाला कोई गलती नहीं करता।
बहरहाल मंसूर अली खान, नवाब पटौदी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई थी। वे अपने विद्यालय की क्रिकेट टीम के कप्तान रहे और काउंटी क्रिकेट भी खेला था। भारत लौटने पर उन्होंने मात्र इक्कीस की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी की और इंग्लैंड की टीम को शिकस्त दी थी। उन्होंने भारतीय टीम को आक्रामक रुख अपनाने को कहा। उस दौर में अनेक मैच अनिर्णित रहते थे। पटौदी ने कहा कि जीत के लिए खेलने में हम हार भी जाएं तो गम नहीं परंतु रक्षात्मक अनिर्णित मैच खेलने से क्रिकेट की भावना को नुकसान पहुंचता है और खेल की लोकप्रियता भी घटती है। एक दुर्घटना में एक आंख खोने के बाद भी उन्होंने क्रिकेट खेला और शतक भी बनाए।
भारतीय क्रिकेट इतिहास में कपिल देव श्रेष्ठ कप्तान रहे हैं। वे सारा समय संयत रहे और कभी साहस नहीं खोया। वे कभी अहंकारी नहीं रहे। आश्चर्य है कि भारतीय क्रिकेट संगठन में उन्हें महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। लेकिन जो भी हो, कपिल दा जवाब नहीं।