क्रिकेट प्रबंधन पाठ्यक्रम की स्थापना / जयप्रकाश चौकसे

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क्रिकेट प्रबंधन पाठ्यक्रम की स्थापना
प्रकाशन तिथि : 17 मार्च 2021

ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट खिलाड़ियों ने यह विचार अभिव्यक्त किया है कि न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में क्रिकेट को विधिवत ढंग से पढ़ाया जाए। 3 वर्ष का स्नातक कोर्स होगा, 5 वर्ष में डॉक्टरेट दी जाएगी। डी.फिल छात्र की आयु 35 से कम नहीं होनी चाहिए। प्रतिभाशाली छात्र 25 की वय में डी.फिल कर जाए तो उम्रदराज शिक्षकों को बुरा लगता है। मोजार्ट ने बचपन में ही संगीत रचना कर दी तो दरबारी गायक सेलरी ने उसकी हत्या का षड्यंत्र रचा। उसने ऊपर वाले को कोसा कि सारी प्रतिभा मोजार्ट को दी और असीमित महत्वाकांक्षाएं सेलरी को दी।

यह संभव है कि यह सुझाव इसलिए दिया गया है कि क्रिकेट की कमाई पर संस्थाओं का अधिकार है और खिलाड़ियों को लाभ में हिस्सेदारी नहीं मिलती। क्रिकेट को विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाएगा तो लाभ में खिलाड़ी को जायज अधिकार मिलेगा। कुल मिलाकर लाभ, लोभ के सर्प अवचेतन में लहराते रहते हैं। खिलाड़ियों ने लाभ के खजाने तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाने का प्रयास किया है। यह कॉरपोरेट संगठन में पलीता लगाने के प्रयास जैसा है। नादान परिंदा जानता नहीं है कि यह जाल भी उन्होंने बिछाया है, जिनसे बचने का वह प्रयास कर रहा है।

क्रिकेट पाठ्यक्रम में पिच बनाने की कला पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सारे छात्रों को मौसम, ज़मीन और अवाम के मिजाज को समझने के गुर सिखाए जाएंगे। छात्रों को जगह-जगह की यात्रा कराई जाएगी। पिच डॉक्टरिंग और मैच फिक्सिंग का सीक्रेट पाठ्यक्रम अबूझ भाषा में लिखा जाएगा। मनोज बसु के उपन्यास रात के मेहमान में एक संगठन चोरी की कला का प्रशिक्षण देता है। सेंध बनाना, सुरंग शास्त्र का गुटका है। पाठ्यक्रम में शामिल है। सेंध मारने के लिए शरीर पर तेल मलना चाहिए। सेंध में पहले पैर डाले जाएं। सजग मकान मालिक के हाथ सिर नहीं आना चाहिए। पैर छुड़ाए जा सकते हैं। इसी उपन्यास में गुरु अपनी बहू से त्रस्त है। वह अपने सबसे अच्छे छात्र से कहता है कि गुरु दक्षिणा के रूप में वह उस अहंकारी बहू के गले का हार चुराकर लाए। उसे तरकीब सिखाई जाती है कि आधी रात के बाद महिला की बांह पर हल्के से स्पर्श करे उसे लगेगा कि पति है। स्पर्श की मात्रा रत्ती दर रत्ती बढ़ाकर उसको नशे में गाफिल कर दिया जाए। इस तरह अंतरंगता का इस्तेमाल सभी क्षेत्रों में किया जाता है। राजनीतिक क्षेत्र कोई अपवाद नहीं है।

गुरु गच्चा खा जाते हैं, क्योंकि उन्हें ज्ञात नहीं था कि उनकी युवा विधवा बहू और उनके शिष्य के बीच प्रेम अंकुरित हो चुका है। वे दोनों सब कुछ लेकर भाग जाते हैं। यह कम्बख्त प्रेम जाने कैसे जाग जाता है।

कुछ वर्ष पूर्व चरित्र भूमिकाओं को अभिनीत करने वाले व्यक्ति से एक उभरता हुआ नेता विपुल धन देकर भाषण देने की कला सीखता है। आने वाले समय में कलाकार को संसद की सदस्यता गुरु दक्षिणा स्वरूप मिली। अब कलाकार प्राय: खामोश रहता है। क्या वह पश्चाताप कर रहा है? कथा कुछ कुछ फ्रेंकस्टीन और भस्मासुर की तरह हो जाती है। अंग्रेजी साहित्य के एक नाटक में चोरी के कार्य को 64वीं कला कहा गया है। राजा भी चौर्य कला सीखने जाते थे। चोरों को दण्ड देने के लिए विद्या का ज्ञान आवश्यक है। क्रिकेट व्यवसाय में इतना लाभ है कि वह कोरोना काल खंड में भी जारी रखा जा रहा है। टेलीविजन पर इसे दिखाने के अधिकार 5 वर्ष के लिए बेचे जाते हैं। उनके दबाव में निर्णय लिया गया हो, ऐसी संभावना है। क्रिकेट संगठन में नेताओं के संगे संबंधी, पदों पर विराजमान हैं। कभी अपने आक्रामक खेल के लिए प्रसिद्ध एक खिलाड़ी, पदासीन होकर कितना निरीह हो गया है। दरअसल इस पूरी व्यवस्था से अवाम को कोई शिकायत नहीं है। इसलिए आलोचना का कोई महत्व नहीं है। सब अपनी जगह ठिकाने पर हैं, फिर क्यों परेशां है दिल।