क्षत्रिय, नाई और भिखारी / नारायण पण्डित
अयोध्या में चूड़ामणि नामक एक क्षत्रिय रहता था। उसे धन की बहुत तंगी थी। उसने भगवान महादेवजी की बहुत समय तक आराधना की। फिर जब वह क्षीणपाप हो गया, तब महादेवजी की आज्ञा से कुबेर ने स्वप्न में दर्शन दे कर आज्ञा दी कि जो तुम आज प्रातःकाल और क्षौर कराके लाठी हाथ में लेकर घर में एकांत में छुप कर बैठोगे, तो उसी आँगन में एक भिखारी को आया हुआ देखोगे।
जब तुम उसे निर्दय हो कर लाठी की प्रहारों से मारोगे तब वह सुवर्ण का कलश हो जाएगा। उससे तुम जीवनपर्यन्त सुख से रहोगे। फिर वैसा करने पर वही बात हुई। वहाँ से गुजरते हुए नाई ने यह सब देख लिया। नाई सोचने लगा-- अरे, धन पाने का यही उपाय है, मैं भी ऐसा क्योंन कर्रूँ ?
फिर उस दिन से नाई वैसे ही लाठी हाथ में लिए हमेशा छिप कर भिखारी के आने की राह देखता रहता था। एक दिन उसने भिखारी को पा लिया और लाठी से मार डाला। अपराध से उस नाई को भी राजा के पुरुषों ने मार डाला।