ख़ूबसूरती / उपमा शर्मा
ऑपरेशन थियेटर में चिकित्सक की आवाज कानों में पड़ने पर काजल ने धीरे से आँखें खोलीं। चिकित्सक का हाथ उसके पेट पर था। वो टांके लगा रही थी। साथ ही परिचारिका को कुछ हिदायत देती जा रही थी।
दर्द की तीव्र लहर से काजल की आँखों में आँसू आ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कौन-सा दर्द ज़यादा है? शरीर पर लगे कट का या अपनी खूबसूरती खत्म होने का। सहेलियों की बातें रह-रहकर याद आ रहीं थीं।
"अब तेरे पेट पर बर्थ मार्क बन जायेंगे।"
"तू अब सुंदर नहीं रही।"
देख तो मोटापे से सारी खूबसूरती का सत्यानाश कर लिया। "
" यामिनी तेरे सामने कहीं नहीं ठहरती थी। अब तेरे सारे प्रपोजल उसके पास हैं। तूने ख़ुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है।
"बैडोल शरीर, बढ़े हुए पेट के साथ कौन तुझसे मॉडलिंग करायेगा। अरी मूर्ख बच्चा ही चाहिए था सरोगेसी से कर लेती।"
"शीर्ष पर आ सब कुछ छूटने का दर्द तुझे बाद में समझ आयेगा काजल।"
"देखना सुंदर मॉडल देखकर एक दिन राज भी तुझे भूल जायेगा।"
काजल की आँखों के आँसू कुछ दर्द की शिद्दत और कुछ सहेलियों के आने वाले दिनों के खाके से और तेज़ हो गये। बच्चा तेज़ आवाज में रो रहा था।
"क्या हुआ काजल? दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा है? अभी तुझे पेन किलर के इंजेक्शन लगवाती हूँ।"
"डॉक्टर! क्या मैं अब सुंदर नहीं रही।" काजल के आँसू रूक ही नहीं रहे थे।
"किसने कहा?"
काजल के आँसुओं में और तेजी आ गई। डॉक्टर ने स्टिच लगाना छोड़ उस नर्स को इशारा किया जो बच्चे को चुप कराने की कोशिश में थी। नर्स ने मुस्कुरा कर बच्चे को काजल के सीने पर लिटा दिया।
बच्चा पहचानी हुई धड़कनों को सुन चुप हो गया।
अपने बच्चे को अपने सीने से लगाये वह ख़ुद को दुनिया की अब सबसे खूबसूरत औरत लगी।