खातों से बदलते मौसम और मिजाज / जयप्रकाश चौकसे

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खातों से बदलते मौसम और मिजाज
प्रकाशन तिथि : 26 दिसम्बर 2020


ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस के अगले दिन हर परिवार अपने डाकिए को भेंट देता है। इस कारण इसे बॉक्स डे कहा जाता है। यह धन्यवाद देने का काम है। आम आदमी के जीवन में डाक सेवा का बड़ा महत्व रहा है। हमारी डाक सेवा और रेल सेवा पूरी दुनिया में सराही गई है। रेलगाड़ी में एक कक्ष डाक विभाग का होता था। हर स्टेशन पर शहर से प्राप्त डाक को शहर दर शहर अलग-अलग बॉक्स में रखा जाता था। जिन लिफाफों पर डाक टिकट नहीं लगा होता था उन्हें भी पते पर देते समय डाक टिकट के पैसे ले लिए जाते थे। पत्र प्राप्त करने वाले द्वारा पैसे में असमर्थता जताने पर उस पत्र को भेजने वाले के घर पहुंचाया जाता था। दोनों जगह से इनकार किए जाने पर उसे डैड लेटर बॉक्स में डाल दिया जाता था। साधनहीन पति की पत्नी बिना डाक टिकट लगा खत डालता था और पत्नी समझ लेती थी कि पति खैरियत से है। इस तरह के बिना टिकट लगे ख़त को बैरंग खत कहते थे। साधनहीन लोग इस तरह बिना खर्च किए एक दूसरे की खैरियत जान लेते थे। साधनहीन व्यक्ति हर समस्या का निदान निकालने में समर्थ रहा है। उनके जीवन का प्रेरणा गीत तो बिस्मिल ने लिख दिया था कि ‘देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।’

यह संभव है कि भगत सिंह का पुनरागमन हो। जलियांवाला बाग सड़क पर भी घटित हो सकता है। राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म में गीत था डाकिया डाक लाया खुशी की खबर लाया। ज्ञातव्य है कि उस दौर में मृत्यु का समाचार देने वाले पोस्ट कार्ड का एक छोटा सा अंश काट दिया जाता था। जनरल पोस्ट ऑफिस के दफ्तर के बाहर वे खत एक बोर्ड पर पिन लगाकर रखे जाते थे कि गुमशुदा खत को खोजने वाला उसे प्राप्त कर सके। प्रेम पत्र लिखने की कला भी लोप हो गई है। आज एस एम एस की भाषा में भी नया आविष्कार कर दिया है। एकता कपूर ने इस विषय पर फिल्म भी बनाई है डर्टी एस एम एस। खाकसार ने अपने पढ़े-लिखे अनपढ़ मित्रों के प्रेम पत्र लिखकर कुछ पैसे भी कमाए हैं। एक विश्व प्रसिद्ध कथा है कि एक जांबाज़ व्यक्ति अपने मित्र से अपने प्रेम पत्र लिखवाता था। प्रेमिका पत्र में साहित्य का स्पर्श पाकर खुश हो जाती थी। उनका विवाह होने के बाद उसे सत्य का ज्ञान हुआ। एक युद्ध में उसका पति और पत्र लिखने वाला दोनों ही मारे गए तो उस महिला ने कहा कि उसने एक बार प्रेम किया और दो बार खोया।

एक दौर में 10 पैसे का पोस्टकार्ड 25 पैसे का इंग्लैंड इनलैंड और 50 पैसे का लिफाफा आता था। बाजार की ताकतों ने महंगी कुरियर सेवा प्रारंभ की। महंगाई ईश्वर द्वारा रची गई समस्या नहीं है। लाभ लोभ के लालच में बाजार ने रची है। बाजार ने राजनीतिक विचारधारा का निर्माण किया है। इस तरह संकीर्णता कोई दैवी प्रकोप नहीं है। बाजार द्वारा रची गई व्यवस्था ने महंगाई को रचा है। गरीबी और महंगाई दोनों ही एक-एक कारखाना में बने उत्पाद है।

साहित्य और सिनेमा दोनों ही माध्यमों ने पत्र का इस्तेमाल किया है। हसरत जयपुरी ने अपनी प्रेमिका को खत में एक नज्म भेजी थी इसे ही राज कपूर ने संगम में गीत बनाया कि ‘मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कहीं तुम नाराज ना होना...।’

फिल्म में एक स्टॉक सीन है कि पत्र कालीन के नीचे चला गया और प्रेमियों में गलतफहमी हो गई। कालांतर में पत्र मिल जाता है परंतु इस दरमियान जीवन का बसंत बीत जाता है। फिल्मों में प्रेम पत्र केंद्रित गीत प्रमुख हुए हैं। लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में सितारे बन गए नजारे बन गए। निदा फ़ाज़ली का गीत- ‘यह खत है कि बदलती हुई रितु नींव की क्यारी में खिले चांदी के कंगन।