खान का भ्रमण / फ़्रांज काफ़्का / अरुण चन्द्र
मुख्य अभियन्ताओं ने खान में हमारी ओर का भ्रमण किया था।
प्रबंधन ने नई गैलरी के विषय में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसलिए आरंभिक सर्वे के लिए अभियन्ता वहाँ आ गए। ये कितने युवा हैं, फिर भी एक-दूसरे से कितने भिन्न। पूरी स्वतंत्रता के वातावरण में ये बड़े हुए हैं, जो उनके चरित्र से स्पष्ट है। युवावस्था में भी इनमें जरा भी अभिमान नहीं है।
उनके दल में एक काले बालों वाला जोशीला आदमी है, जिसकी आँखें इतनी तेज़ हैं कि वे किसी भी चीज को बड़ी जल्दी परख लेती हैं।
अभियन्ताओं के इस दल में दूसरा आदमी वह है, जिसके हाथ में नोटबुक है। वह चारों ओर सबकुछ को बड़े ध्यान से देखता है, और सारी बातें नोट कर लेता है, फिर उनकी आपस में तुलना करता है।
इस दल में शामिल तीसरे आदमी के दोनों हाथ उसकी कोट की जेब में हैं। उसके बारे में ज़्यादा कुछ साफ़ नहीं हो पाया। बस, इतनी ही जानकारी है कि वह सीधा चलता है; अपना सिर अभिमान से उठाए रखता है तथा अपनी अधीरता तथा जवानी को छुपाने के लिए अपने होंठों को काटता रहता है।
चौथा आदमी, तीसरे को बिना माँगे ही कुछ न कुछ सफ़ाई देता रहता है। वह अन्य सभी की तुलना में कद में छोटा है और उसकी चाल बड़ी आकर्षक और मोहक है। उसकी तर्जनी उँगली हमेशा हवा में लहराती रहती है, मानो वह हर चीज़ की आँखों देखी कमेण्ट्री कर रहा है।
पाँचवाँ आदमी, जो पद में शायद वरिष्ठ है, उसे किसी के साथ की ज़रूरत नहीं है। कभी वह सबसे आगे-आगे चलता है तो कभी सबसे पीछे रह जाता है। दल के अन्य सदस्य उसे अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं। हालाँकि वह शारीरिक रूप से कमज़ोर दिखाई दे रहा है और ज़िम्मेदारियों के बोझ से उसकी आँखें भीतर को धँस गई हैं। सोचने की मुद्रा में वह कभी-कभी अपने हाथों से अपने सर को दबाता है।
छठा और सातवाँ थोड़ा आगे झुककर चलते हैं। वे एक-दूसरे के पास खड़े होकर किसी गोपनीय विषय पर बात कर रहे हैं। यदि ये कोयले की हमारी खानें नहीं होतीं और गैलरी में हमारा कार्यालय नहीं होता तो निस्संदेह कोई भी इन दुबले-पतले, बिना दाढ़ी-मूँछ के ऊँची नाक के सज्जनों को पादरी समझता। उनमें से एक तो ज़्यादातर अपने आप पर ही बिल्ली जैसी घर्राहट भरी आवाज़ में हँसता है। दूसरा भी जो बार-बार मुसकरा रहा है, बातचीत में आगे आगे है। अपनी स्थिति से ये दोनों कितने संतुष्ट हैं; वास्तव में हमारे खाने के लिए उन लोगों ने कितने काम किए होंगे कि इतनी युवावस्था में ही वे अपने प्रमुख के साथ यहाँ सर्वे करने आए हैं तथा अपने काम या कम-से-कम ऐसे काम, जिनकी शीघ्र कोई जरूरत नहीं है, उनके लिए निःसंकोच भाव से स्वयं को समर्पित कर देना चाहते हैं। या हो सकता है कि अपनी सारी बेफ़िक्री या मौज़ के बावजूद भी वे इस बात को भली-भाँति जानते हैं कि क्या चीज़ ज़रूरी है? कोई भी शायद ही इन सज्जनों के बारे में कोई निर्णायक फैसला कर सकता है।
दूसरी ओर इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि आठवाँ आदमी, उदाहरण के लिए, अतुलनीय रूप से उन दो व्यक्तियों में, बल्कि उन सभी में काम के प्रति अधिक समर्पित है। वह हर चीज को स्पर्श करता है तथा अपने छोटे हथौड़े से हिलाकर देखता है, जो वह बार-बार अपनी जेब से निकालता है और वापस अपनी जेब में रखता है। अपनी शानदार पोशाक के बावजूद कभी-कभी वह घुटने के बल जमीन पर कीचड़ में बैठकर जमीन को ठोकक र देखता है, कभी चलते-चलते दीवार को ठोककर देखता है या अपने सिर के ऊपर छत क ो। एक बार वह पूरी तरह अपने हाथ-पैर फैलाकर जमीन पर स्थिर लेट गया तो हम यह सोचने लगे कि इसे कुछ परेशानी है। फिर अचानक अपने छरहरे शरीर के साथ वह अपने पैरों पर उछल पड़ा। वह एक अन्य जाँच-पड़ताल कर रहा था। हम यह कल्पना करते हैं कि हमें अपने खान तथा इसकी चट्टान संरचना का ज्ञान है, लेकिन इस अभियंता का आचरण हमारी समझ से बाहर है।
नौवाँ व्यक्ति एक प्रकार की छोटी पहिएदार गाड़ी में सर्वे का सामान लेकर उसके सामने आता है। अत्यधिक महँगे से उपकरण सबसे मुलायम काटनवुल में लपेटे हुए थे। कार्यालय के चपरासी को वास्तव में इस छोटी गाड़ी को चलाना चाहिए, लेकिन उस पर विश्वास नहीं है। एक अभियंता को यह करना पड़ रहा था और वह अत्यंत सद्भावना से यह कर रहा था। शायद वह सबसे छोटा है और उसे इन उपकरणों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन वह पूरे समय उपकरणों पर नजर रखता है, जिससे कभी-कभी उसकी गाड़ी को दीवार से टकराने का खतरा भी सहन करना पड़ता है।
लेकिन साथ ही एक दूसरा अभियंता भी चल रहा है, जो ऐसा होने से रोकता है। स्पष्टतः उसे इन उपकरणों का पूरा ज्ञान है और वह ही वास्तव में उनके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। समय-समय पर वह गाड़ी को बिना रोके ही किसी उपकरण के एक पुरजे को उठाता है, देखता है, उसका पेंच खोलता और बंद करता है, उसे हिलाता-डुलाता है, ठोकता-बजाता है, इसे अपने कानों के पास लाक र सुनता है और जब इस गाड़ी को ढकेलता व्यक्ति चुपचाप खड़ा हो जाता है, वह सावधानीपूर्वक उस छोटी वस्तु को उसी पैकिंग में रख देता है। यह अभियंता थोड़ा दबंग है, लेकिन सिर्फ इन उपकरणों की सेवाओं के मामले में ही। इस छोटी गाड़ी के दस कदम आगे ही उसके निःशब्द इशारे से हमें उस गाड़ी के लिए जगह बनानी पड़ती है, जहाँ जगह बिल्कुल भी नहीं होती।
इन दो सज्जनों के पीछे ऑफिस का चपरासी खड़ा है, जिसके पास करने को कोई काम नहीं है। सज्जन, जैसा कि व्यापक ज्ञान के ऐसे व्यक्तियों से अपेक्षित होता है, इन्होंने जो भी घमंड कभी रहा होगा उसे छोड़ दिया है, लेकिन लगता है कि इस चपरासी ने उनके व्यक्त घमंड को ले लिया है और उसे सँभाला हुआ है। एक साथ पीछे किए तथा दूसरे हाथ से अपनी वरदी के बटन को स्पर्श करते हुए वह दाएँ-बाएँ ऐसे झुकता है मानो हम उसे सलामी दे रहे हों और वह उन्हें स्वीकार कर रहा है या बल्कि मानो वह यह समझ रहा है कि हमने उसे सलामी दी थी और वह इतना ऊँचा एवं तगड़ा है कि हमारी सलामी को वह देख नहीं पाया।
निश्चित रूप से हम उसे सलामी नहीं देते, फिर भी उसे देखकर कोई भी यह विश्वास कर लेगा कि खान के मुख्य कार्यालय का चपरासी होना एक बड़ी बात है। उसकीपीठ पीछे तो हम लोट-लोटकर हँसे, लेकिन बहुत जोर की आवाज पर भी मुड़कर नहीं देखता, वह हमेशा हमारे लिए एक अजीब पहेली ही रहा।
आज हम बहुत ज्यादा काम नहीं करेंगे; यह व्यवधान अत्यंत रुचिकर था। इस प्रकार के भ्रमण में हमारे काम करने के सारे विचारों को भी लेकर चला जाता है। ट्रायल गैलरी के अँधेरों में इन सज्जनों को गुम होते देखना अत्यंत रोचक है। इसके अलावा हमारी पारी भी जल्द खत्म होनेवाली है। हम उन्हें वापिस आते हुए देखने के लिए तब वहाँ नहीं होंगे।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अरुण चन्द्र