खा गई नई सदी पेड़ जंगल और नदी / जयप्रकाश चौकसे

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खा गई नई सदी पेड़ जंगल और नदी
प्रकाशन तिथि : 06 मार्च 2021


आदित्य चोपड़ा और निर्देशक मनीष शर्मा की फिल्म ‘टाइगर 3’ के लिए सलमान खान और कटरीना कैफ को दक्षिण अफ्रीका व दक्षिण कोरिया से आए विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं और ये कलाकार कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं ताकि किरदार में पूरी तरह से उतर सकें। गौरतलब है कि इस फिल्म की शूटिंग भी विदेश में होगी। ज्ञातव्य है कि ‘एक था टाइगर’ में दो पड़ोसी दोस्त-दुश्मन देशों के जासूस एक मिशन में एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। ‘टाइगर भाग दो’ में कैद की गई नर्सों को छुड़ाने के प्रयास की कथा प्रस्तुत की गई थी। ‘भाग-3’ में भी अब विश्व शांति के लिए 2 जासूसों की संघर्ष कथा प्रस्तुत की जा सकती है। इस तरह की फिल्मों में एक्शन निर्देशक और नृत्य निर्देशक फिल्म की अधिकांश शूटिंग करते हैं। मूल निर्देशक को चंद सीन शूट करने होते हैं परंतु खास बात यह है कि सारे विभाग, निर्देशक के आकल्पन के अनुरूप ही काम करते हैं। अमिताभ बच्चन और रेखा अभिनीत फिल्म फिल्म ‘मि.नटवरलाल’ में खलनायक का प्रशिक्षित शेर, गांव वालों को डरा कर रखता है और उन सभी को बेगारी के लिए बाध्य करता है। फिल्मों की शूटिंग में शेर का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। हॉलीवुड की फिल्म ‘टू ब्रदर्स’ में जुड़वां शेरों में एक शेर को शहरी लोग पकड़ कर सर्कस वालों को बेच देते हैं। कुछ समय बाद शेर का दूसरा भाई भी पकड़ा जाता है।

इत्तेफाकन सर्कस में बिछुड़े हुए दो शेर भाइयों का मिलन होता है। वे आपसी चर्चा करके एक दिन सर्कस की कैद भरी जिंदगी से भागने में सफल हो जाते हैं। जुड़वां भाइयों के बचपन में बिछुड़ने और जवानी में मिलने का लॉस्ट एंड फाउंड वाला फॉर्मूला शशधर मुखर्जी ने प्रस्तुत किया था। उनके शिष्य नासिर हुसैन ने ताउम्र इसी सूत्र का पालन किया।

नासिर हुसैन की बेटी के पुत्र मंसूर खान और उनके भाई के पुत्र आमिर खान ने इस लीक से हटकर फिल्में बनाईं। मंसूर खान ने अपनी सारी संपत्ति बहन के बेटे के नाम कर दी और स्वयं एक सुदूर जगह बस गए। अब वे वहां ऑर्गेनिक खेती करते हैं। उनके फॉर्म हाउस में उन्होंने स्वयं बिजली नहीं ली है। कोई टेलीविजन और रेडियो के उपयोग का प्रश्न ही नहीं उठता। वे प्रकृति की गोद में रहते हैं। पुत्र का पिता से अलग प्रकार का काम करना ही विकास को जन्म देता है। भौतिकता में आकंठ आलीन पिता का पुत्र आध्यात्मिकता को साधने के रास्ते पर चल पड़ता है। भौतिक सहूलियतों को पूरी तरह जीने के बाद ही आध्यात्मिकता का द्वार खुलता है। एक अंग्रेजी कथा ‘द डोर इन द वॉल’ में इसका संकेत दिया गया है। बंद कमरे की छोटी सी खिड़की से आकाश को देखकर उसकी व्यापकता का आकलन नहीं किया जा सकता।

केदार शर्मा की अशोक कुमार, मीना कुमारी, प्रदीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘चित्रलेखा’ के लिए साहिर लुधियानवी ने गीत लिखा है…. ‘संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे, इस लोक को भी अपना न सके, उस लोक में भी पछताओगे। ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या, रीतों पे धर्म की मुहरें हैं हर युग में बदलते धर्मों को कैसे आदर्श बनाओगे। ये भोग भी एक तपस्या है, तुम त्याग के मारे क्या जानो, अपमान रचयिता का होगा, रचना को अगर ठुकराओगे। हम कहते हैं ये जग अपना है, तुम कहते हो झूठा सपना है, हम जन्म बिता कर जाएंगे, तुम जन्म गंवा कर जाओगे।’

हमने अपने जंगल गंवा दिए कई प्रजातियां विलुप्तप्राय हैं। अब जंगल ही नष्ट कर दिए तो शेर केवल सिनेमा में ही देखे जा सकते हैं। अब दहाड़ने का काम केवल नेता कर रहे हैं। गौरतलब है कि हॉलीवुड की फिल्म निर्माण कंपनी एमजीएम की फिल्मों का प्रारंभ दो शेरों के दहाड़ने के सीन से ही होता रहा है।