खिड़की / फ़्रांज काफ़्का
Gadya Kosh से
जीवन में अलग-थलग रहते हुए भी हर व्यक्ति जब-तब कहीं न कहीं किसी हद तक किसी से जुड़ना चाहता है । दिन के अलग-अलग समय में, अलग-अलग मौसम और अलग-अलग काम-धन्धा होने के बावजूद भी हर आदमी कम से कम एक स्नेहिल बाँह की ओर खुलने वाली खिड़की चाहता है और इसलिए वह उसके बगैर बहुत अधिक समय तक नहीं रह पाएगा । कुछ भी न करने की मन:स्थिति के बावजूद वह थके कदमों से खिड़की की ओर बढ़ जाता है और बेमन से कभी लोगों और कभी आसमान की ओर देखने लगता है, उसका सिर धीरे से पीछे की ओर झुक जाता है। परन्तु इस स्थिति में भी सड़क पर दौड़ते घोड़े, उनकी बग्घियों की खड़खड़ और शोरगुल उसे अपनी ओर खींच लेंगे और अन्त्तत: वह जीवन-धारा से जुड़ ही जाएगा।