खिसयानी बिल्ली से खंभा बचाओ / सुशील यादव

Gadya Kosh से
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एक बिल्ली चूहे के ताक में अक्सर रहा करती थी। चूहा देखते ही झपट के दबोच लेना उसकी शिकार कला के प्रशिक्षण का अहम पाठ था। उनके माँ-बाप ने उसी भाँती ट्रेंड भी किया था। शिकार करते वक्त कहीं चूक होने का सवाल नहीं था। मगर एक बार ऐसा हो गया। चूहे के पीछे बिल्ली भागते हुए आई। आगे-आगे चूहा पीछे-पीछे बिल्ली ,चूहा छुपने का सहारा ढूढ़ रहा था अचानक सामने एक खंभा आया जिसके पीछे पाइप रखे थे भयभीत चूहा पाइप में घुस कर जान बची और लाखो पाए वाली, गहरी-गहरी साँसे लेने लगा|बिल्ली ,नजरों से ओझल हुए चूहे को घात लगाये खम्भे के चारों ओर चक्कर लगा के देखती रही। उसे यूँ लगा कि हो न हो चूहा इसी खंभे में घुस गया है। वो खंभे को हांफते दम तक नोचने-खुरचने में लगी रही।

आजकल यही खेल अपने इन्द्रप्रस्थ में हो रहा है। प्रजातंत्र का बीचो-बीच खंभा गडा है|इर्द-गिर्द चूहे-बिल्ली के रोल माडल विधायक दौड़ रहे हैं।

दिल्ली वाली जनता ने ‘भगत’ को हिसाब से पसाद बाटे थे|जैसी सेवा वैसी मेवा के अनुरूप जिसने जैसे भी वादे किये उन पर आँख मुद कर विश्वास जताते हुए अपना वोट दे बैठी। नतीजा में एक को 34 , दूसरे को 28 तीसरे को 8 विधायक मिल सके। यानी बहुमत 34 से सब दूर। आठ वाले ने कहा हमसे ले के छत्तीस कर लो। अगला लेने को तैय्यार नहीं। सोचा इतने सारे वादे किये बैठे हैं कहाँ तक निपटा पायेंगे। वे जनता के पास गए। जनता बोली ,’जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा’रोके ज़माना चाहे रोके खुदाई तुमको सत्ता मे आना पड़ेगा ।

वे महत्वाकान्छी जीव थे ,कसमे तोड़ के जीत वाली हार पहन लिए। इस तरह कहते हैं, बिल्ली के भाग्य से उन दिनों छिका टूटा था।

सहज में छिका टूटते देख लगा चलो ऊपर लटकी दही हांडी फोडे|वे दलबल के साथ छीका जैसी तुच्छ चीज को छोड़ दही-हांडी की तरफ लपक पड़े।

ये दही-हांडी वाले बड़े उस्ताद होते हैं। इनाम का लालच जबरदस्त रखते हैं। उपर उठो। सारा तुम्हारा है। नौसिखिया अक्सर इस मायाजाल में फंस जाते हैं। उंचाई से गिर कर हाथ पैर लहुलुहान करवा लेते हैं। अपने वाले का भी कुछ इसी के आस-पास हुआ। वे लुटे-पिटे इंद्रप्रस्थ लौट आये।

जिसने गंगा नहा लिया, वे दिल्ली प्रजातंत्र के सबसे बड़े खंभे को सम्हालने लगे। उधर २८० इधर मात्र २८। २८० की नीयत छोटे खंभे पर आ गई।

आलाकमान की बिल्लियाँ ,दो –चार चूहों को पकड़ना चाहती हैं?

भाई साहब ,आप इस बारे में क्या सोचते हैं,क्या कमजोर चूहे पकड़ में आ जाएंगे?या खिसयानी बिल्ली प्रजातंत्र के खम्भे को खुरच-खुरच के खोखला कर देगी?