खुले विचार / रघुविन्द्र यादव
Gadya Kosh से
"रोहित, क्या बात है, आज ग्राउंड नहीं आये?"
"अरे, कल किस डे है न, इसलिए गर्ल फ्रेंड के लिए गिफ्ट लेने चला गया था।"
"तो तुम भी इन पाश्चात्य कुप्रथाओं के चक्कर में पड गए, भाई, यह हमारी संस्कृति नहीं है।"
"भाषण बंद कर यार नीरज, तुम मिडिल क्लास लोगों की यही प्रॉब्लम है, सोच एक दायरे में बंधी हुई है, उससे आगे जा ही नहीं सकते। हम खुले दिमाग और खुले विचारों के लोग हैं। लाइफ को एन्जॉय करते हैं।"
"जिस पार्क में तुम किस डे मनाओगे, अगर तुम्हारी बहन नीलिमा भी वहीँ पहुँच गयी तो?"
"पहली बात तो नीलिमा का इस सप्ताह घर से बाहर जाना बंद है, कॉलेज भी नहीं जाती, पार्क कैसे जाएगी? अगर किसी तरह चली भी गयी तो मैं उस साले का मुंह तोड़ दूंगा जो मेरी बहन की तरफ देख भी लेगा।"
"वाह भाई! खूब खुले विचार है आपके और आपके परिवार के।"