खुशी का मंत्रालय और मुस्कराहटों का बंटवारा / जयप्रकाश चौकसे

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खुशी का मंत्रालय और मुस्कराहटों का बंटवारा
प्रकाशन तिथि :07 जुलाई 2016


मध्यप्रदेश सरकार एक हैप्पीनेस विभाग खोलना चाहती है परंतु इसके दायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हो पा रहे हैं, अत: विचार जारी है। प्रसन्नता विभाग अवाम को खुश रखने का कार्य करेगा। इस मुद्‌दे से जुड़े कई पक्ष हैं। क्या वस्तुओं के दाम कम करने से अवाम खुश होगा? क्या रहवास की समस्या के निदान से जनता खुश होगी या हास्य कलाकारों द्वारा गांव दर गांव, शहर दर शहर यात्रा करने से अवाम को खुश रखा जा सकता है? सर्कस में विविध कार्यक्रम के बीच दो जोकर आकर दर्शकों को हंसाते हैं। किसी दौर में राजा या नवाब के दरबार में विदूषक का पात्र होता था। वर्तमान के केंद्रीय व राज्य के मंत्रालयों में भी कुछ लोग विदूषक की तरह काम करते हैं। अवाम की गंभीर समस्याओं पर मंत्रिमंडल में विचार-विमर्श के दौर में कोई विदूषकनुमा मंत्री हंसी-मजाक छेड़ देता है और चटखारे लेकर इसका मजा लेते हुए मंत्रिमंडल की बैठक बिना कोई निर्णय लिए रद्‌द हो जाती है। इस बैठक में मौजूद विदूषकनुमा मंत्री मुख्यमंत्री का खास अादमी होता है, जो निर्णयहीनता की यथास्थिति बनाए रखने में मुख्यमंत्री की परोक्ष रूप से मदद करता है। कुछ मंत्रिमंडल के सदर ही विदूषक होते हैं।

पारम्परिक विदूषक की नाक पर एक नकली लंबी नाक लगाई जाती है। वह अपने साइज से बड़े या छोटे कपड़े पहनता है। याद आता है कि चार्ली चैपलिन एक साइज छोटा जैकेट और दो साइज बड़ी पतलून पहनते थे। उनका हैट बड़ा और जूते छोटे होते थे। इसलिए वे लड़खड़ाते थे। धक्का लगाए बगैर चलते नहीं और थप्पड़ खाए बगैर बोलते नहीं थे। अमेरिकी कवि हार्ट केन ने चार्ली चैपलिन को इस तरह आदरांजलि दी है, 'तुम्हारा बार-बार गिरना कोई झूठ नहीं था। छड़ी के सहारे बैले नर्तक की तरह घूमना कोई भ्रम नहीं था, हमारी चिंताओं को तुमने सजीव प्रस्तुत किया, हम तुम्हें भूलना चाहते हैं परंतु दिल है कि मानता नहीं।' सरकार लोगों की खुशी के लिए नया विभाग खोलना चाहती है। इस विभाग के संचालन के लिए योग्यता का क्या मानदंड होगा? क्या सिनेमा के हास्य कलाकार आमंत्रित किए जाएंगे या टेलीविजन पर हास्य के नाम पर फूहड़ता प्रस्तुत करने वालों का चयन होगा। हास्य कवि सम्मेलन से भी लोग चुने जा सकते हैं। सरकारों को बीरबल की तलाश है परंतु बीरबल बिना अकबर उपलब्ध नहीं होता और अनारकली के रक्स के बिना अकबर का दरबार बेरौनक बियाबान होगा। सरकार के सामने बहुत-सी चुनौतियां हैं और वह 'खुशी' को चुनौती नहीं मानेगी। उसकी एकमात्र चिंता सत्ता में बने रहना है। उनकी खुशी, उनका आबेहयात, उनकी प्रार्थना और पीड़ा सत्ता ही है। आजकल अनेक लोग सुबह सैर पर जाते हैं। वे तमाम लोग एक जगह, एक साथ ठहाके लगाते हैं, स्वयं को लाफ्टर क्लब का सदस्य मानते हैं। यह एक शिगूफा है कि अच्छी सेहत के लिए सब ठहाका लगाएं। इस तरह तयशुदा कार्यक्रम के तहत सामूहिक ठहाका जाने कैसे अच्छी सेहत दे सकता है? ठहाका तो निर्मल हृदय की सहज स्वाभाविक धड़कन है। यह कोई प्रायोजित कार्यक्रम नहीं है। हैप्पीनेस विभाग खोलने का विचार जरूर ठहाके का हकदार है।

कुछ विकसित देशों में बेरोजगारी भत्ते पर अनेक लोग जीते हैं। इसी तरह विदेशों में उम्रदराज लोगों के रहन-सहन के लिए संपूर्ण सुविधायुक्त घर होते हैं। बेरोजगारी भत्ते से जीवन यापन करते लोग या सर्वसुविधा संपन्न घरों में रहने वाले उम्रदराज लोग संभवत: खुश नहीं हैं। उम्रदराज लोगों से मिलने उनके अपने नहीं आते अौर इस अवहेलना से उन्हें अपार दु:ख होता है। बेरोजगारी भत्ते पर जीने वाले के हलक में मुफ्त के निवाले अटक जाते हैं। इसके विपरीत जेल में सजा काटने वालों से जब उनके अपने मिलने आते हैं तो जेल में रहने का अवसाद कम हो जाता है। किसी के दिल में आपके लिए दर्द और प्यार है यह बात ही सच्ची खुशी देती है। अाप तन्हा नहीं हैं- यही सबसे बड़ी खुशी है। कोई व्यक्ति अपने आप में एक द्वीप नहीं है और इस तरह के द्वीप के किनारों पर अजनबी लहरों के टकराने से द्वीप में वृक्ष लहलहाते हैं, पौधों में कोपलें फूट पड़ती हैं। सारांश यह है कि मनुष्य और मनुष्य के बीच के अदृश्य सेतु ही उसकी खुशी है। इस महान रिश्ते को धर्म की दीवारों द्वारा बांटने वाले लोग खुशी का मंत्रालय बनाना चाहते हैं गोयाकि खुशी को लाल फते में बांधना चाहते हैं और आला अफसरों को तबाह करने के लिए एक और विभाग मिलने वाला है। खुशी मनुष्य अवचेतन की दुरुह गुफा है और िकसी सरकारी सर्च लाइट से उसके कोने-कोने को प्रकाशित नहीं किया जा सकता। मनुष्य के हृदय का जुगनू ही उसे रोशन कर सकता है।

शैलेंद्र का लिखा अनाड़ी का गीत है-

किसी की मुस्कराहटों पर हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, रिश्ता दिल से दिल के एेतबार का, हमी से जिंदा है नाम प्यार का, मरकर भी याद आएंगे, किसी के आंसुओं में मुस्कराएंगे, जीना इसी का नाम है।