खेल भी जरूरी / पवित्रा अग्रवाल

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सचिन के घर में प्रवेश करते ही पापा ने टोका—'सचिन रोज़ तुम क्लब हाउस में टेबिल टेनिस खेलने जाते हो। उस से क्या मिलना है? देखो तुम्हारे साथ के सभी लडके जम कर पढ़ाई कर रहे हैं ।अरे एक बार कैरियर बना लो फिर ख़ूब खेलना ।'

'पापा सारे दिन पढाई करके मेरा दिमाग़ थक जाता है। सुबह ट्युटोरियल, वहाँ से कालेज फिर ट्युटोरियल ।मेरा सर भन्ना जाता है ।खेल कर मुझे रिलेक्सेशन होता है ।मैं सुबह की सैर पर भी नहीं जाता, जिम जाना भी बंद कर दिया है ।इस से व्यायाम भी हो जाता है ।'

' ठीक है तुम्हारी मर्जी पर मुझे अच्छा रिजल्ट चाहिए ।अपनी हैसियत से अधिक तुम्हारी पढ़ाई पर ख़र्च कर रहा हूँ ।

'पापा मुझे एहसास है पर यह सब बार-बार याद मत दिलाया करिए वैसे ही पढ़ाई का बहुत प्रेशर है, मुझे तनाव होने लगता है'

'सुनो तुम्हारा मोबाइल बज रहा है ।'

' कहाँ है मोबाइल?

'यह तो तुम्हे सचिन के पास से हटाने का बहाना था । हर वक़्त उसे यह अहसास कराना कि तुम्हारे ऊपर हैसियत से ज़्यादा ख़र्च का रहा हूँ, ज़रूरी है क्या? इस से बच्चे पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है ।किसी वज़ह से वह नहीं चुना गया तो वह तुम्हारा सामना करने से कतराने लगेगा और कई बार तो बच्चे ग़लत क़दम भी उठा लेते हैं जैसे अंजली ने किया था ।'

' शायद तुम ठीक कह रही हो, महनत तो वह कर ही रहा है, रिजल्ट भी हमेशा अच्छा आता है पर...

' पर क्या?

'गुप्ता जी का बेटा क्लास में हमेशा इस से आगे रहता है।'

'फिर दूसरे से तुलना, तुम समझते क्यों नहीं? सब बच्चों की अपनी-अपनी क्षमताएँ होती हैं ।ज़रूरत से ज़्यादा आशाएँ भी मत करो ।'

दूसरे दिन बेटे को घर में देख कर माँ ने टोका—'साचिन आज तुम खेलने क्यों नहीं गए?'

'आपने सुना नहीं कल, पापा को मेरे खेलने जाने से भी एतराज है पर मैं हर समय नहीं पढ़ सकता ।मेरा दिमाग़ भन्ना जाता है' घर में रहूँगा तो मोबाइल से खेलूंगा या टीवी देखूँगा ।यदि किसी वज़ह से मुझे मन चाही सफलता नहीं मिली तो पापा तो पागल हो जाएंगे और मुझे भी पागल कर देंगे ।

' नहीं तुम खेलना बंद मत करो बेटा तुम्हारे अच्छे स्वास्थ्य और तनाव से दूर रहने के लिए यह एक अच्छा साधन है।फिर वहाँ कुछ दोस्तों से भी मिलना हो जाता है तो मूड भी चेंज हो जाता है ।

' आपको तो मालूम है माँ, मुझे टेबिल टेनिस खेलना बहुत पसंद है । मैं अच्छा खेलता भी हूँ ।कालेज की तरफ़ से दूसरे कोलेजों से खेला ही नहीं जीता भी हूँ पर मुझे इसे केरियर नहीं बनाना है, इस लिए पढ़ने की वज़ह से कालेज में अब नहीं खेलता । पर अब यहाँ खेलने पर भी पाबन्दी ...

'नहीं बेटा।अभी आफिस से आते ही तुझे घर पर देखा तो तेरे पापा परेशान हो गये और बोले वह खेलने क्यों नहीं गया, उसे रोज़ भेजा करो।वह बिलकुल ठीक कहता है खेलने से शरीर और दिमाग़ दोनों रिलेक्स होते है, स्फूर्ति भी मिलती है, साथ ही व्यायाम भी हो जाता है'

'ठीक है माँ अब कल से जाऊँगा । अभी तो कुछ अच्छा-सा खाने को दे दो या बस एक गिलास मेंगो शेक दे दो ।'

उसकी फरमाइश सुन कर माँ के साथ पापा भी हल्का महसूस कर रहे थे