गढवाल कि विभूतियाँ भाग-2 / भीष्म कुकरेती
गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी काल से लेकी अब तलक: फडकी -2 )
( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं तैं याद कराण जौंक कारण आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च / गर्व च)
कुलिंद जनपद जुग का गढवाळी बड़ा आदिम (विभूतियाँ )
कुलिंद जुग कु समौ 1400 B.C se 1000 B.C तलक माने जांद . महाभारत को हिसाब से कुलिंद रजवाड़ा हरिद्वार से महा हिमालय तलक थौ.
किरात राज सुबाहु: राजा सुबाहु पांडव सभा पर्व मा शामिल ह्व़े थौ.सुबाहु की सेना न कुरुक्षेत्र मा पांडवों दगड साथ दे छौ. हरिद्वार (गंगाद्वार ) क नाग्कुमारी उलिपी : उलिपि हरद्वार कि नाग्कुमारी छे जेंक ब्यौ पांडव अर्जुन क दगड ह्व़े छौ.
इरवान : उलिपि-अर्जुन कु लौड़ कु नाम इरवान छौ जु बड़ो भड़ ह्व़े
हिडंब : हिडंब भीम (पांडव) की कज्याण हिडंबा क भै छौ अर बड़ो भड़ (बीर) थौ. वैक हौर भायुं नाम थौ- बक अर जटासुर अर सब्बी बड़ा बीर मनिख छ्या
हिडम्बा : हिदम्बा एक बिगरैली बांद छे जेंक दगड भीम न गन्धर्व ब्यौ करी छौ .
घटोत्कच्छ : घटोत्कच्छ हिडम्बा-भीम कु लौड़ छौ अर वैकु भरण -पोषण गढवाल मा ही ह्व़े छौ.
एकचक्रा का ब्राह्मण : महाभारत मा आदि पर्व मा जब पांडव हिमालय अडगें( क्षेत्र )म अग्यात्वास मा ऐं त एकाचक्र्न्गरी क एक बामन का यख शरण ल़े छे . बामण बड़ो भलु मनिख थौ
बकासुर : बकासुर एकाचक्रीनगरी कु अधिपति थौ अर मैस्वाग थौ जय तैं भीम न मारी .
वेदव्यास : वेदव्यास की कर्मस्थली /वेदाश्रम गढवाल हिमालय ही छौ
वेदव्यास का पांच च्याला : महाभाग सुमन्तु , महाबुधिमान जैमुनी, तपसी पैल, वैश्याम्पन अर शुकदेव न गढवाल मा वेद आश्रम मा शिक्षा ल़े छे
भारद्वाज ऋषि : भारद्ववाज ऋषि गढवाळी माने जान्दन जौंक आश्रम गढवाळ मा छौ