गन्दी मछली / मनोज चौहान
रूप लाल कटोच बहुत ही कर्मठ और जुझारू चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी थाl ऑफिस में बड़े से लेकर छोटे अधिकारी सभी उसकी कार्य निष्ठा से प्रसन्न थेl वह सभी के टेबल पर पानी भर लाता था और कागज़ एवं अन्य छोटा–मोटा सामान एक टेबल से दुसरे टेबल पर फट से पहुंचा देताl उसकी ऊँची मगर विनम्र आवाज ऑफिस में अक्सर गूंजती रहतीl
इधर कुछ दिनों से कामचोर और चमचागिरी में माहिर जोलण प्रसाद का तबादला दुसरे कार्यालय से उसी कार्यालय में हो गया था, जिसमें कि रूप लाल कटोच कार्यरत थाl जोलण बातों का धनी तो था ही और साथ ही दंभी भी थाl किसी को नमस्ते भी ऐसे बोलता जैसे कि सामने वाले पर अहसान कर रहा होl वह रूप लाल कटोच को भी बातों में लगाये रखता थाl अपने सारे गुण वह रूप लाल में भी धीरे-2 रोपित करता जा रहा थाl रूप लाल अब अपने कार्य में कोताही बरतने लगा थाl वह अब सिर्फ़ चुनिन्दा अधिकारियों की ही कॉल बेल अटेंड करता और उनके कार्यों में ही लगा रहताl
ऑफिस के समय और लंच टाइम में उसे जोलण चापलूसी और कामचोरी के गुण सिखाता हुआ दिख जाता थाl जिस तरह से एक गन्दी मछली के आने से पूरा तालाब गन्दा हो जाता है, वैसे ही रूप लाल कटोच की मानसिकता भी बदलने लगी थीl गन्दी मछली ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया थाl रूप लाल कटोच की साख अब कार्यालय में गिरने लगी थीl