गमलों में बोन्साई रोपण / जयप्रकाश चौकसे

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गमलों में बोन्साई रोपण
प्रकाशन तिथि :13 दिसम्बर 2016


सुनील शेट्‌टी की सुपुत्री अथिया को सलमान खान एक फिल्म में प्रस्तुत कर चुके हैं और अब उनके सुपुत्र अहान को साजिद नडियाडवाला प्रस्तुत करने जा रहे हैं। शेट्‌टी को फिल्म उद्योग में आए दो दशक हो चुके हैं। शेट्‌टी परिवार उड़ीपी रेस्तरां शृंखला का मालिक रहा है और सुनील शेट्‌टी ने इसके साथ ही कपड़ों का व्यापार भी किया है। उन्होंने फिल्म उद्योग में आने के बाद भी अपने पारिवारिक व्यापार को न केवल जारी रखा वरन उसे व्यापक भी बनाया। इसी तरह करण जौहर के पिता यश जौहर ने भी अपना रेडीमेड कपड़ों का पुराना व्यापार ताउम्र जारी रखा। अपनी जड़ों से जुड़े रहने का प्रयास भांति-भांति तरीकों से किया जाता है। टेक्नोलॉजी द्वारा पुराने हरे-भरे वृक्ष को अपनी जड़ों सहित उखाड़कर नई जगह लगाया जा सकता है परंतु स्थान परिवर्तन के कारण कई बार वृक्ष कुछ समय बाद सूख जाता है। इसी तरह कुछ उम्रदराज लोग अपने पुत्रों के आग्रह पर विदेश जा बसते हैं परंतु तमाम सुविधाओं के बाद भी वे खुश नहीं रह पाते। वृक्ष स्थिर मनुष्य की तरह हैं और मनुष्य चलते-फिरते वृक्ष की तरह है। वर्तमान में त्रासदी यह है कि मनुष्य अपने जन्मस्थान में रहते हुए भी उसे इस कदर बदलते हुए देखता है कि वह उसके लिए पूरी तरह अजनबी हो जाता है। अपरिचय और अजनबियत ऐसी व्याधियां हैं, जो अभी केवल समाज के द्वार पर दस्तक दे रही हंै। इनके गृह प्रवेश के बाद हमारा अपना घर हमारे लिए अपरिचित और अनचिह्ना बन जाएगा। इस सामाजिक संकट से अभी हम अपरिचित हैं परंतु क्षितिज पर उभरते इस आसन्न संकट को लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकेगा।

दरअसल, रोटी, कपड़ा और मकान की आधारभूत आवश्यकताएं ही अभी विशाल जनसंख्या को उपलब्ध नहीं हैं, अत: इन संकटों पर अभी कोई विचार नहीं करना चाहता। भारत महान में हजारों गांवों में अभी तक बिजली भी उपलब्ध नहीं है तो वहां एटीएम के होने की बात कैसे सोची जा सकती है। असंख्य समस्याएं हैं परंतु सरकार करेंसी परिवर्तन को साहसिक सुधारवादी कदम सिद्ध करने में जुटी है और अपने सारे प्रचार साधन इसी काम में झोंक दिए हैं। भूख से कमजोर हुए आदमी को पेटदर्द से परेशान देखकर सरकार उसे भोजन नहीं देते हुए जुलाब दे रही है। भूख को बदहजमी बताने वालों को अब आप रोक नहीं सकते।

साजिद नाडियाडवाला और सलमान खान लंगोटिया मित्र हैं। सुनील शेट्‌टी ने अपने बच्चों को अभिनय क्षेत्र में लाने का काम अपने विशेषज्ञों को दे दिया है। रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करने वाला गर्दन का नाप लेकर पूरे शरीर का वस्त्र बना देता है। सुनील शेट्‌टी के खाते में सबसे बड़ा कारनामा यह है कि उनके द्वारा अभिनीत फिल्में प्रमाण देती हैं कि उन्होंने कभी भावाभिव्यक्ति नहीं की। काम नहीं जानकर भी सफलता अर्जित करना मार्केटिंग पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। कक्षाओं में पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम परिवर्तन के लिए बेकरार है। विगत दो दशकों से अभिनय क्षेत्र में प्रवेश करने की इच्छा रखने वाले युवा स्टूडियो जाने के पहले जिम में जाते हैं और डोले शोले (मसल्स) बनने के बाद ही कैमरे के सामने जाते हैं। शरीर सौष्ठव पर ध्यान देने वाले पहले कलाकार पृथ्वीराज कपूर थे। उस दौर में दंड-बैठक और मीलों दौड़ना ही सही तरीका माना जाता था। धर्मेंद्र कभी जिम नहीं गए पर सनी देओल ने जिम जाना शुरू किया लेकिन इसे कल्ट बनाया सलमान खान ने। जिम में घंटों परिश्रम करने वाले को कुछ पौष्टिक पेय पीने होते हैं। प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल आवश्यक हो जाता है। जिम और प्रोटीन इत्यादि पर कम से कम पचास हजार प्रतिमाह का खर्च आता है। सबसे सरल और सस्ता तरीका मीलों पैदल चलना है। देव आनंद दशकों तक चुस्त बने रहे मात्र पैदल चलने के कारण। अभिनय क्षेत्र के लोग मेकअप किट के पहले अपना जिम किट अपनी गाड़ी में रखते हैं।

आजकल राजनीति में भी नीति से अधिक आवश्यक है अपने प्रचार-तंत्र को व्यवस्थित रखना। हर गलत फैसले को प्रचार के कोहरे से ऐसे ढंक दो कि किसी को कुछ दिखे ही नहीं। एक नए किस्म का अंधत्व रचा जा रहा है और इस 'अंधे युग' का बखान करने वाला कोई धर्मवीर भारती कहीं नज़र नहीं आ रहा है। महान लेखक वेदव्यास ने अपने धृतराष्ट्र को जन्मांध पात्र के रूप मंे रचा परंतु उन्हें कल्पना भी नहीं थी कि कलयुग में आंखें होते हुए ी कुछ नहीं देखने वाली पीढ़ियां रची जाएंगी। कलयुग और मशीन युग समान हैं, क्योंकि कल अर्थात मशीन का ही सारा खेल है। नीम और पीपल को बोन्साई रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।