गर्दिश में तारे रहेंगे सदा / जयप्रकाश चौकसे

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गर्दिश में तारे रहेंगे सदा
प्रकाशन तिथि : 18 अक्टूबर 2018


ढाई एकड़ जमीन में बने आरके स्टूडियो को बेचने का निर्णय उनके परिवार ने लिया है परंतु अभी तक खरीदने वाला नहीं आया है। श्रीमती कृष्णा राज कपूर के देहांत के बाद कपूर निवास में रणधीर कपूर नितांत अकेले रहते हैं। सेवक अनेक हैं परंतु कोई आत्मीय नहीं है। छोटा भाई राजीव कपूर पुणे में रहते हुए मुंबई आता रहता है। अतः यह संभव है कि कपूर निवास भी बेच दिया जाए और रणधीर कपूर बांद्रा में रहने लगे। कुछ वर्ष पूर्व कृष्णाजी व ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर ने बांद्रा में हिल रोड पर एक भवन के दो माले खरीदे थे जहां कुछ दिन तक असहज महसूस करने के कारण वे लोग चेंबूर लौट आए। बंगले में रहना और अपार्टमेंट में रहना अलग-अलग अनुभव है।

बहरहाल, रणधीर कपूर की सुपुत्रियां बांद्रा में रहती है, छोटा भाई ऋषि कपूर भी पाली हिल में रहता है। ऋषि कपूर ने अपने बंगले के स्थान पर बहुमंजिला इमारत का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। ज्ञातव्य है कि विगत माही ऋषि कपूर इलाज के लिए अमेरिका गए हैं। दरअसल आरके स्टूडियो सिनेमा संस्कृति की धरोहर है। राज कपूर ने स्टूडियो में नौ श्याम श्वेत फिल्में, नौ रंगीन फिल्में बनाई। अपने 48 वर्ष के कॅरिअर में 18 फिल्में बनाई और अन्य निर्माताओं की फिल्म में अभिनय भी किया। उनके ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर ने पिता की मृत्यु के बाद उनके द्वारा अकल्पित 'हिना’ बनाई राजीव कपूर ने 'प्रेम ग्रंथ’ बनाई और ऋषि कपूर ने 'आ अब लौट चलें’ निर्देशित की है। गोयाकि राज कपूर की मृत्यु के बाद के 30 वर्षों में उनके पुत्रों ने महज तीन फिल्में बनाई। कपूर बंधु फिल्म निर्माण जारी रखते तो आरके स्टूडियो बेचने का निर्णय नहीं लिया जाता। शांताराम, महबूब खान, बिमल रॉय और गुरुदत्त के पुत्रों ने भी फिल्में नहीं बनाई और यह जरूरी भी नहीं है कि पुत्र पिता का व्यवसाय ही करें। सभ्यताओं का भी विनाश होता है, कोई वंश हमेशा नहीं चलता। हमें श्रीराम के लव-कुश के बाद वंश का ज्ञान नहीं है। श्रीकृष्ण का यादव वंश भी समाप्त हुआ है। ग्रीक और रोमन साम्राज्य भी समाप्त हुए हैं। एक शंका यह है कि गुजश्ता सभ्यताएं अज्ञान के कारण नष्ट हुई तो मौजूदा जानकारियों की अधिकता के कारण नष्ट हो सकती हैं। विनाश और नवनिर्माण सतत जारी रहते हैं।

राज कपूर की असली विरासत उनकी फिल्में है, जो आज भी देखी जा रही हैं। उनका गीत-संगीत आज भी सुना जा रहा है। जमीन बिक सकती है, कभी-कभी वह सरकती-सी लगती है परंतु बौद्धिक संपदा का कभी नाश नहीं होता। सृजन संसार सदैव गतिमान रहता है। प्राय: इस तरह की बात की जाती है कि पहले जैसी फिल्में अब नहीं बनती परंतु 'विक्की डोनर’, ‘पान सिंह तोमर’, '3 ईडियट्स’, ‘पीके’, 'अ वेडनेसडे’ जैसी फिल्में विगत दशक में बनी हैं। आमिर खान ने 'लगान’ से अब तक कुछ महान फिल्मों की रचना की है। अजय देवगन, अक्षय कुमार और यशराज फिल्म निर्माण संस्था सतत फिल्में बना रहे हैं। 'शुभ मंगल सावधान’ जैसी साहसी फिल्म का बनना भी एक महत्वपूर्ण घटना है।

ऋषि कपूर के सुपुत्र रणबीर कपूर 'जग्गा जासूस’ के सह निर्माता थे और वे अपनी फिल्म निर्माण संस्था बना रहे हैं। राजकुमार हिरानी की सारी फिल्में सफल रही हैं। आनंद एल. राय निरंतर फिल्में बना रहे हैं। बोनी कपूर भी काम कर रहे हैं। इतिहास समय का दस्तावेज होता है। अर्नाल्ड टॉयनबी कहते हैं कि नाटक, उपन्यास की तरह माइथोलॉजी से प्रेरित रहा है इतिहास। अगर आप महाभारत को काल्पनिक महाकाव्य की तरह पढ़े तो उसमें उस कालखंड के इतिहास को पढ़ने का आभास होगा और अगर आप उसे इतिहास की तरह पढ़े तो गल्प पढ़ने का एहसास होगा। दरअसल कल्पना और यथार्थ के बीच क्षीण सी रेखा है।

राज कपूर को भी समय का अहसास शिद्दत से रहा है। उनके प्रिय गीतकार शैलेंद्र ने लिखा है 'हम ना रहेंगे तुम ना रहोगे, फिर भी रहेंगी निशानियां, दसों दिशाएं दोहराएंगी हमारी कहानियां’ और यह भी लिखा है ‘कल खेल में हम हो ना हो गर्दिश में तारे रहेंगे सदा, भूलोगे तुम, भूलेंगे वो पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा’ आरके स्टूडियो रहे न रहे उनका निवास स्थान रहे न रहे परंतु आम आदमी के दिल में वे सदैव कायम रहेंगे।