गवाह / अशोक भाटिया
शहर से सटे जंगल में एक भारी-भरकम बाज और कुछ कौए रहते थे। बाज बड़ा ताकतवर था। शहर के लोग किसी काम से जब बाहरी सड़क पर आ निकलते, तो वह किसी कमज़ोर आदमी पर आ झपटता और उसका मांस नोंचकर खाने लगता। इससे आने-जाने वाले लोग आसपास उड़ते कौओं से भी सावधान रहने लगे और नज़र आते ही उन्हें भगाने लगे।
कुछ ही दिनों में बाज और ताकतवर हो गया। ताकत के नशे में वह अब हर राहगीर पर चोंच मारने लगा। लोग अब और भी ज्यादा डरे-डरे रहने लगे। उधर कौए जब भूखे मरने लगे तो किसी तरह मिलकर एक हो गए। एकजुट हो, वे बाज को चोंचें मारने लगे। लोगों ने भी अपने घरों से निकलकर
उस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। लगातार चोट खाकर परेशान बाज एक दिन दूर के पेड़ों की ओर भाग गया।
लोगों ने सोचा–अगर कौए शहर में रहेंगे तो बाज से बचाव रहेगा। उन्होंने कौओं को रोटी डालना शुरू कर दिया। लेकिन कौए इतने से ही संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें बोटियाँ भी चाहिए थीं। सो, एक दिन वे भी मिलकर एक आदमी पर टूट पड़े।
मांस का टुकड़ा मिलते ही वे आपस में झगड़ने लगे। उन्हें आपस में घमासान करते देख बाज बहुत खुश हुआ। कौए जब लड़ते-लड़ते थक गए तो वह तेज़ी से फिर पुराने पेड़ पर आ बैठा। उसे देख कौए डर गए और इधर-उधर छितरा गए।
अब लोग खुश हुए कि बाज ने उन्हें कौओं से बचा लिया।
बाज पुनः मनुष्यों पर झपटने लगा।
लोग अब यह सोचने लगे कि बाज और कौओं, दोनों से कैसे बचा जाए?