गहराई / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

जब ईश्वर ने मुझे एक कंकड़ी के रूप में संसार रूपी इस अद्भुत झील में फंेका तो मैंने असंख्य लहरों से इसकी शान्त सतह को अस्त-व्यस्त कर दिया।

लेकिन जब में इसकी गहराइयों में उतरा तो एकदम शान्त हो गया।