गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है / जयप्रकाश चौकसे

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गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है
प्रकाशन तिथि : 03 जुलाई 2020


सामान्य हालात में भारतीय रेल में यात्रा करने वालों की संख्या न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया की जमाजोड़ जनसंख्या के बराबर होती है। भारतीय रेल में भारत अपनी विविधता के साथ यात्रा करता है। ‘यहां हर शै मुसाफिर है, सफर में जिंदगानी है।’ अंग्रेजों द्वारा स्थापित रेल व्यवस्था में हर स्टेशन के आसपास की जमीन पर विभाग का मालिकाना हक है। अत: कृषि के बाद रेलवे के पास ही अधिक जमीन है। रेलवे ने अपने कर्मचारियों व अफसरों के लिए निवास स्थान, अस्पताल बनाए हैं। रेलवे के बड़े अर्थ तंत्र का बजट अलग से दिया जाता रहा है।

फिल्मों में रेल हमेशा से शामिल है। ‘पाथेर पांचाली’ के बाल वय पात्र रेल देखने मीलों पैदल चलकर जाते हैं। परंतु जब युवा अप्पू को रेलवे स्टेशन के पास ही घर मिलता है, तो उसके शोर से वह परेशान रहता है। उसके मन में विचार उठता है कि क्या ऐसी शोर भरी ट्रेन को देखने वह इतने मील चलता है? सत्यजीत रे द्वारा रचित हर पात्र रेलवे इंजन जैसा है और वह अन्य पर आश्रित डब्बे की जैसा नहीं होता। फिल्मकार होमी वाडिया ने अपनी पत्नी नाडिया अभिनीत ‘पंजाब मेल’ बनाई। वह चलती ट्रेन की छत पर अपना घोड़ा दौड़ाती है। यह करिश्मा उन्होंने आउटडेटेड उपकरण से किया। रमेश सहगल की फिल्म ‘रेलवे स्टेशन’ में ट्रेन लंबे समय के लिए रुकती है। खराब मौसम में कहीं दुर्घटना हुई है और व्यापारी वहीं बाजार बना लेते हैं। संकट के समय जीवन उपयोगी वस्तुएं महंगे दामों में बेची जाती हंै। इसी फिल्म में लोकप्रिय गीत ‘बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत’ है। रेल डकैती के दृश्य दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ में देसी तकनीशियनों ने रचे हैं। रमेश सिप्पी ने ‘शोले’ का ट्रेन डकैती का दृश्य विदेशी तकनीशियनों की सहायता से शूट किया। बोनी कपूर ने ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ के लिए ट्रेन डकैती दृश्य शूट किया था। राज कपूर की ‘राम तेरी गंगा मैली’ में गरीब नायिका अपने भूखे शिशु के साथ ट्रेन यात्री है। नायिका रूढ़िवादी सहयात्री से जल मांगती है, तो वह यह कहकर इंकार कर देती है कि गंगाजल परिवार के सदस्य को मृत्यु पूर्व दिया जाता है और वह जल नहीं देगी। दृश्य के लिए राजकपूर ने गीत रचना की। ‘मैं जानूं मेरा राजदुलारा भूखा है, दूध कहां से लाऊं, आंचल सूखा है।’अमेरिका में फिल्म ‘बर्निंग टॉवर्स’ बनी बलदेव राज चोपड़ा ने इसका चरवा बनाया ‘द बर्निंग ट्रेन’ के नाम से। पामेला रुक्स खुशवंत सिंह के उपन्यास में प्रयुक्त ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ बना चुकी हैं। अनिल शर्मा की ‘गदर’ का क्लाइमैक्स ट्रेन पर प्रस्तुत था। दिलीप कुमार अभिनीत ‘विधाता’ का नायक रेल चलाता है। नादिरा अभिनीत फिल्म ‘जूली’ के पात्र ओमप्रकाश रेलवे ड्राइवर हैं। इस फिल्म में भारतीय क्रिश्चयन समाज का सच्चा स्वरूप प्रस्तुत था। बाल कलाकार श्रीदेवी, नायिका की छोटी बहन थीं । खबर है कि सरकार रेलवे को प्राइवेट कंपनियों द्वारा संचालित की जाने की अपनी योजना को अब टुकड़ों में लागू करने जा रही है। यह काम किश्तवार, क्षेत्रवार होगा, परंतु अंत में पूरा विभाग ही औद्योगिक घराने के साथ चला जाएगा साथ ही बहुत सी जमीन भी पूंजी पतियों को मिलेगी। एक अलग किस्म की गुलामी रची जा सकती है। कुछ समय तक प्राइवेट और सरकारी रेल समानांतर दौड़ंेगी। कुछ लोग गर्व से कह सकेंगे कि उन्होंने प्राइवेट लग्जरी ट्रेन में यात्रा की है। समाज में 2 वर्ग होंगे प्राइवेट लग्जरी ट्रेन में यात्रा करने वाले व साधन हीन सरकारी गाड़ी के यात्री। कहीं कुली उपलब्ध होंगे और कहीं आम आदमी खुद कुली बनेगा। बुलेट ट्रेन का किराया हवाई यात्रा से कहीं अधिक आंका गया है। भारतीय ट्रेन में यात्रा सबसे सस्ती रही और अब उसे महंगा बना दिया जाएगा। पेंच यह है कि नई निजी ट्रेन में ड्राइवर और टिकट चेकर सरकारी कर्मचारी होगा, गोया कि वहां भी पूरा नियंत्रण नहीं दिया जाएगा। उम्रदराज लोग अपने नाती-पोतों को कथा सुनाएंगे कि वे कभी रेल यात्रा कर चुके हैं। गोयाकि रेल भी एक किस्सा बन जाएगी।