गाहक / दीपक मशाल
Gadya Kosh से
जाड़े से कांपते लल्लू ने स्टोव पर दूध चढ़ा दिया और कल रात के गाहकों के गिलास-प्लेट मांजने में लग गया। गिलास पोंछ कर ठेले पर सजा ही रहा था कि सामने से आवाज़ आई 'लल्लू, एक चाय बना कड़क सी।'
लल्लू ने भारी भरकम काले जूते और खाकी पेंट पहने उस गाहक को टके सा जवाब दे दिया, 'ज़रा ठहरो सा'ब सबेरे से बोहनी ना ख़राब करो'