गिनती का गीत / बलराम अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नृत्य एवं संगीतपरक काव्य नाटिका

गिनती का गीत

इस शिशु-नाटिका के माध्यम से शिशुओं को एक से लेकर दस तक की हिन्दी गिनतियाँ खेल-खेल में सिखाने का अभ्यास कराया गया हैय साथ ही आधा टेबल (आधा पहाड़ा) अंग्रेजी में टू का यानी ‘टू फाइव द टेन’ तक इसमें शामिल कर दिया गया है। परदा खुलने से पहले किसी लोकप्रिय लोकगीत या देशभक्ति-गीत पर आधारित संगीत की धुन नेपथ्य में बजनी प्रारम्भ होती है। इस संगीत की धुन के कुछ देर बज लेने के बाद परदा खुलता है। उसी के साथ चिडि़या के वेश में एक बालिका नृत्य करती हुई मंच पर आती है तथा कुछ समय तक संगीत की धुन पर नृत्य करती हुई एक मुद्रा-विशेष में ‘फ्रीज’ हो जाती है। नेपथ्य में संगीत-वाद्यों के साथ ही खड़े गायक-गायिकाओं द्वारा यह गीत प्रारंभ होता है और इसी के साथ मंच पर ‘फ्रीज’ हुई चिड़िया का व गीत के अनुसार एक-एक कर मंच पर आती अन्य चिडि़यों का अभिनय भी चलता रहता है। अगर सुविधाजनक समझें तो यह भी कर सकते हैं कि मंच के एक हिस्से को एक शिशु-कक्षा का रूप दे दिया जाए और कविता को नेपथ्य से न गवाकर कक्षा की अध्यापिका के मुख से गवाया जाकर मंच के शेष हिस्से पर चिडि़यों के अभिनय व नृत्य को कराया जाए यानी कि शिशुओं को पढ़ाने की जीवंत-शैली। नेपथ्य में गीत शुरू होता है-


एक चिडि़या चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थी, मेरे मन को भाती थी।

एक चिरैया चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थी, मेरे मन को भाती थी।

एक चिडि़या और आयी,

उस चिडि़या के पास आयी।

चिडि़या हो गईं दो,

''(कक्षा में बच्चों का सम्मिलित-स्वर: टू वन द टू...ऽ...)

चिडि़या हो गईं दो,

गाने लगीं वो-

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने

दुनिया को तब गिनती आई

तारों की भाषा भारत ने

दुनिया को पहले सिखलाई

देता ना दशमलव भारत तो

यूँ चांद पे जाना मुश्किल था

धरती और चाँद की दूरी का

अन्दाज़ा लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आई

पहले जनमी है जहाँ पे कला

अपना भारत वो भारत है

जिसके पीछे संसार चला

संसार चला और आगे बढ़ा

यूं आगे बढ़ा बढ़ता ही गया

भगवान करे ये और बढ़े

बढ़ता ही रहे और फूले-फले

बढ़ता ही रहे और फूले-फले!


(फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ के गीत ‘जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने...’ की शुरुआती पंक्तियाँ से ‘बढ़ता ही रहे और फूले फले तक’ तक यहाँ शुरू करनी हैं)

प्रत्येक स्टेंजा के बाद देशप्रेम अथवा पर्व-विशेष से संबंधित किसी न किसी लोकप्रिय गीत की दो पंक्तियों को गवाया जाना है। निर्देशक समय, पर्व अथवा भाषा-विशेष के अनुरूप किसी अन्य गीत की पंक्तियों का भी प्रयोग इनके स्थान पर कर सकते हैं। इस हेतु सी॰डी॰ प्लेयर का प्रयोग भी किया जा सकता है।


दो चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन दोनों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं तीन

ताक-धिना-धिन-धीन-

है प्रीत जहाँ की रीत सदा...

है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ...ऽ...

भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ...

है प्रीत जहाँ की रीत सदा...ऽ...

(यहाँ पर इसी गीत की इन पंक्तियों को गाना है।)

तीन चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन तीनों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं चार

(कक्षा में बच्चों का सम्मिलित-स्वर रू टू टू द फो...ऽ...र )

चिडि़याँ हो गईं चार

गाना गाओ यार-

काले गोरे का भेद नहीं

हर दिल से हमारा नाता है

कुछ और ना आता हो हमको

हमें प्यार निभाना आता है

जिसे मान चुकी सारी दुनिया

मैं बात वही दोहराता हूं

भारत का रहनेवाला हूं

भारत की बात सुनाता हूं

(यहाँ ‘पूरब और पश्चिम’ के इसी गीत की पाँचवीं व छठी पंक्तियां गानी हैं।)

चार चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन चारों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं पाँच

करने लगीं नाच-

जीते हों किसी ने देष तो क्या

हमने तो दिलों को जीता है

जहां राम अभी तक हैं नर में

नारी में अभी तक सीता है

इतने पावन हैं लोग जहां

मैं नित नित शीष झुकाता हूं

भारत का रहनेवाला हूं

भारत की बात सुनाता हूं

(यहाँ ‘पूरब और पश्चिम’ के इसी गीत की सातवीं व आठवीं पंक्तियां गानी हैं।)

पाँच चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन पाँचों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं छः

(कक्षा में बच्चों का सम्मिलित-स्वर: टू थ्री द सिक्स...ऽ...)

चिडि़याँ हो गईं छः

गाने लगीं ये-

इतनी ममता नदियों को भी

जहां माता कह के बुलाते हैं

इतना आदर इन्सान तो क्या

पत्थर भी पूजे जाते हैं

उस धरती पे मैंने जनम लिया

ये सोच के मैं इतराता हूं

भारत का रहनेवाला हूं

भारत की बात सुनाता हूं


(यहाँ ‘पूरब और पश्चिम’ के इसी गीत का अंतिम स्टेंजा गाना है।)

छः चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन छहों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं सात

करने लगीं ये बात-

मेरे देश की धरती

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती

(गाने की पंक्तियाँ फिल्म ‘उपकार’ से पहली दो पंक्तियाँ)

सात चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन सातों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं आठ

(कक्षा में बच्चों का सम्मिलित-स्वर: टू फोर द ए...ऽ...ट)

चिडि़याँ हो गईं आठ

लगीं नाचने छम-छम-छम-छम

डाल हाथ में हाथ-

बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं

गम कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुसकाते हैं

सुन के रहट की आवाजें यों लगे कहीं शहनाई बजे

आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती

(गाने की तीसरी व चैथी पंक्तियाँ फिल्म ‘उपकार’ से)

आठ चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़़या और आयी,

उन आठों के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं नौ

गाने लगीं यों-

जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है

क्यों ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है

इस धरती पे जिसने जनम लिया उसने ही पाया प्यार तेरा

यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे माँ उपकार तेरा

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती

(गाने की पाँचवीं व छठी पंक्तियाँ फिल्म ‘उपकार’ से)

नौ चिडि़याँ चीं-चीं-चूँ-चूँ चीं-चीं-चूँ-चूँ गाती थीं, मेरे मन को भाती थीं।

एक चिडि़या और आयी,

उन नौओं के पास आयी,

चिडि़याँ हो गईं दस

(कक्षा में बच्चों का सम्मिलित-स्वर: टू फाइव द टे...ऽ...न)

चिडि़याँ हो गईं दस

एक से लेकर दस तक की यों

गिनती पूरी बस!

गिनती पूरी कर चिडि़यों ने

प्यारे देश को नमन किया

नाच किया और गाना गाया

यों जंगल को चमन किया-

इसके साथ ही फिल्म ‘उपकार’ का देशभक्ति गीत पुन: बजना शुरू हो जाता है और चिडि़यों के रूप में सजे शिशु उसके अनुरूप नृत्य प्रस्तुत करते हैं।


ये बाग हैं गौतम नानक का खिलते हैं अमन के फूल यहाँ

गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ

रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से

रंग बना बसंती भगतसिंह रंग अमन का वीर जवाहर से

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती ...


गीत की समाप्ति के साथ ही परदा धीरे-धीरे गिरना प्रारम्भ हो जाता है।