गिल्लू गिलहरी / पूनम श्रीवास्तव
गोल मटोल गिल्लू गिलहरी सभी को बहुत प्यारी थी। उसके शरीर पर पड़ी लंबी धारियाँ और उसकी लंबी सी पूँछ देखते ही बनती थी। वह रोहन के बगीचे में एक पेड़ के कोटर में रहती थी।
रोहन को जब भी मौका मिलता वह उसके पास पहुँच जाता। गिल्लू को आवाज देता तो वह झट से पेड़ से उतर कर आती। और रोहन के चारों ओर चक्कर काटने लगती।
रोहन गिल्लू का सबसे अच्छा दोस्त था। रोहन से गिल्लू जरा भी नहीं डरती थी। वह रोहन की हथेलियों से दाने उठा कर इत्मिनान से कुतरती। और रोहन भी उसे उठा कर प्यार से सहलाता।
एक बार रोहन बीमार पड़ गया। डाक्टर ने उसे बिस्तर से उठने के लिए मना कर दिया। जब दो तीन दिनों तक वह बगीचे में नहीं आया तो गिल्लू परेशान हो गई। वह बार बार पेड़ से उतरती और रोहन के घर के दरवाजे की तरफ देखती। फिर दुखी होकर वापस पेड़ पर चढ़ जाती।
एक दिन वह बहुत हिम्मत करके रोहन के घर में जा घुसी। वह सीधे रोहन के बिस्तर पर चढ़ गई। रोहन उसे देखकर बहुत खुश हुआ। वह भी अपनी दोस्त से मिलने के लिए परेशान था।
डाक्टर के इलाज से रोहन की तबीयत सुधरने लगी थी। गिल्लू भी अपने दोस्त का बहुत ध्यान रखती। जब रोहन आराम करता तो वह भी अपनी कोटर में चली जाती। रोहन के जागने पर वह अपनी पूँछ हिलाती आती और झट उसके बिस्तर में घुस जाती। फिर खूब उछल कूद मचाती। गिल्लू की प्यारी हरकतों से रोहन के मम्मी पापा भी हँसते हँसते लोट पोट हो जाते।
आज रोहन स्कूल जाने लगा तो उसने देखा गिल्लू भी बहुत खुश नजर आ रही थी। उसने आँखें मटका कर रोहन को बाय किया। रोहन हाथ हिलाता अपने स्कूल की तरफ बढ़ गया।