गुमशुदा तालाब-बडी ख़बर / गोवर्धन यादव

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लोकमत समाचार ने एक सनसनीखेज ख़बर प्रकाशित की, ख़बर इस प्रकार थी,

" जनसुविधा को नद्देनजर रखते हुए सरकार ने मानेगांव में एक तालाब का निर्माण करवाया,

खबर प्रकाशित होते ही पूरे शहर में, गुमशुदा तालाब की बात हर ज़ुबान पर तैर रही थी, लेकिन जल्दी ही वह चर्चा जिस तेजी से फ़ैली थी, उसी तेजी के साथ बंद भी हो गई, क्योंकि कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब कोई उससे बडी ख़बर अख़बार में स्थान न पाती हो, कोई भी नयी ख़बर एक दो दिन तक चर्चा में बनी रहतीहै फिर कोई उससे बडी ख़बर के प्रकाशन के साथ आदमी के दिमाक में भरी पुरानी ख़बर की जगह नई फ़ाइल स्थान ले लेती है, फ़िर आदमी उसे ध्यान में रखे भी तो क्यों? दरअसल गांव के सरपंच ने गाँव में तालाब खुदवाने के लिए जनता कि ओर से आवेदन प्रस्तुत किया भी और समय रहते उस पर दयालु विधायक महोदस्य ने अपने फ़ंड में से दो लाख रुपया तत्काल मंजूर भी कर दिया था, समय-समय पर अखबार में तालाब खोदे जाने का कार्य शुरु हो चुका है कि खबरें प्रकाशित होती रहीं, बाद में किसी अख़बार में बारिक अक्षरों में खब्र प्रकाशित की गयी कि जनता के विरोध के चलते उस तालाब को पाट दिया गया,

इस तरह न तो तालाब खुदा और न ही पाटा गया, लेकिन एक बडी रक़म चंद लोगों की जेब में समा गयी।