गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी
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गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी

| जन्म | 26 अप्रैल 1895 |
|---|---|
| निधन | 1977 |
| उपनाम | प्रीतलड़ी (ਗੁਰਬਖ਼ਸ਼ ਸਿੰਘ ਪ੍ਰੀਤਲੜੀ) |
| जन्म स्थान | स्यालकोट, (तब हिन्दुस्तान) अब पाकिस्तान |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| 'भाभी मैना', 'नवें खंडर दी उसारी', 'शबनम', 'आखरी सबक', 'प्रीतां दे पहरेदार' और 'इश्क जिन्हां दे हड्डीं रचया' — प्रमुख कहानी संग्रह | |
| विविध | |
| 'प्रीतलड़ी' मासिक पत्रिका के संस्थापक रहे और प्रीत नगर की स्थापना भी की। पंजाबी कहानी की प्रारम्भिक कथा पीढ़ी के ये एक मजबूत स्तम्भ माने जाते हैं। इनकी सभी कहानियों में 'प्रेम' विषय प्रमुख है। यूँ तो गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी ने अनेक नाटक भी लिखे हैं, लेकिन पंजाबी साहित्य में उनकी पहचान एक महान कहानीकार के रूप में ही हैं। 'राजकुमारी लतिका', 'प्रीत मुकट', 'पूरब-पश्चिम', और 'प्रीतमणि' इनके प्रमुख नाटक हैं। | |
| जीवन परिचय | |
| गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी / परिचय | |
