गुलबिया, खण्ड-13 / आभा पूर्वे
मजकि आबेॅ ई बात डगरिन सें लै केॅ घोॅर-दुआरी के लोग तक केॅ अनटेटलोॅ बुझावेॅ लागलोॅ छै कि गुलाबोॅ केॅ आपनोॅ गुलाब हेनोॅ बच्चा के खुशी कैन्हें नी होय रहलोॅ छै?
हेनोॅ बेरूखी तेॅ कोय जनानी केॅ दुसरोॅ बच्चा लेली भी नै होय छै, ई तेॅ आपनोॅ बच्चा छेकै। आपने कोखी के लाल।
फेनू ई बेरूखी कैन्हें? आखिर की बात छै एकरोॅ पीछू?
की मधुरिया माय केॅ रहलोॅ नै गेलै। आखिर की बात हुएॅ सकेॅ एकरोॅ पीछू।
कोय आन बात सोचलोॅ नै जाबेॅ सकै छै। बच्चा के मूठौन एकदम बसन्ते पर गेलोॅ छै। जबेॅ काहीं कोय शंका नै छै तेॅ गुलाबो के मोॅन-मिजाज आखिर हेनोॅ कैन्हें?
नै रहलोॅ गेलै तेॅ मधुरिमा एकदम देर दिन तक गुलबिये के पास बैठलोॅ रहलै आरो बाते बात में पूछी बैठलकै, "हे कनियैन, एकठो बात बतावोॅ कि तोरा माय बनला के बादो बच्चा के प्रति कोय ममता नै देखै छियौं, से कैन्हें?"
मधुरिया माय के बातोॅ केॅ गुलबिया पहिलें तेॅ गौर सें सुनैलकै, फेनू खिलखिलाय केॅ हाँसी पड़लै आरो हाँसतें-हाँसतें कहलकै, "यै में ममता-खुशी के की बात छै काकी माय। खेत में फसल होय छै तेॅ खेत के मालिक केॅ खुशी होय छैµखेत केॅ की होतै?"
आरो एकरोॅ कुच्छू देर बाद गुलाबो जे बात मधुरिया माय केॅ सुनलकैµऊ बात सें तेॅ एकदम सिहरी उठलै।
"हे कनियैन, हेनोॅ हुऐॅ छै कि? हे कनियैन, हेनोॅ कुलच्छन बात केकरा सें तोहें सुनलोॅ छौ। फेनू हेनोॅ बात बोली केॅ मूँ नै खराब करियोॅ।"
मधुरिया माय के हालत देखी केॅ गुलाबोॅ केॅ हाँसी आबी गेलै। हँसी रुकलै तेॅ कहलकै, "नै पतियाबोॅ काकी, मजकि है सब छेकै एकदम सही बात।"
"जांे सहिये छेकै कनियैन तेॅ तोरा है सब सुनावै के की ज़रूरत। जेकरोॅ साथें ई बात होलै, तेॅ होलै।"
आरो फेनू ऊ सब बात वांही पर रुकी गेलै।