गुलामगीरी / भाग-2 / जोतीराव गोविंदराव फुले

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[मत्स्य और शंखासुर के संबंध में]

धोंडीराव : इस देश में (बटू) वामन के पहले इराण से आर्य लोगों के कुल मिला कर कितने जत्थे आए होगें?

जोतीराव : इस देश में आर्य लोगों के कई जत्थे जलमार्ग से आए।

धोंडीराव : उनमें से पहला जत्था जलमार्ग से लड़ाकू नौका से आया था या किसी और मार्ग से?

जोतीराव : लड़ाकू नौकाएँ उस काल में नहीं थी। इसलिए वे जत्थे छोटी-छोटी नौकाओं पर आए थे और वे नौकाएँ मछ्लियों की तरह तेजी से पानी के ऊपर चलती थीं। इसलिए उस जत्थे के अधिकारी का उपनाम मत्स्य हो गया होगा।

धोंडीराव : फिर ब्राह्मण इतिहासकारों ने भागवत आदि ग्रंथों में इस तरह लिखा है कि उस जत्थे का मुखिया मत्स्य से पैदा हुआ था, इसका क्या मतलब होगा?

जोतीराव : उसके बारे में तुम ही सोचो कि मनुष्य और मछली इनके इंद्रियों में, आहार में, निद्रा में, मैथुन में और पैदा होने की प्रकिया में कितना अंतर है? उसी प्रकार उनके मस्तिष्क में, मेधा में, कलेजे में, फेंफड़े में, अंतडियों में, गर्भ पालने-पोसने की जगह में और प्रसूति होने के मार्ग में कितना चमत्कारिक अंतर है। मनुष्य जमीन पर रह कर अपनी जिंदगी बसर करनेवाला प्राणी है। वह जरा-सी असावधानी से पानी में गिरने पर तैरना न आए तो डूब कर मर जाता है; किंतु मछली हमेशा ही पानी में रहती है। लेकिन मछली को पानी से बाहर निकाल कर जमीन पर रखते ही तिलमिला कर मर जाती है। नारी स्वाभाविक रूप में एक समय एक ही बच्चे को जन्म देती है। लेकिन मछली सबसे पहले कई अंडे देती है। उसके कुछ दिनों बाद उन अंडों को फोड़ कर उसमें से अपने सभी बच्चों को बाहर निकालती है। अब जिस अंडे में यह मत्स्य-बालक था, उसको उसने पानी से बाहर निकाल कर जमीन पर फोड़ा होगा उस अंडे से उसने उस मत्स्य-बालक को बाहर निकाला होगा। यदि यह कहा जाए, तो उस मछली की जान पानी से बाहर जमीन पर कैसे बची होगी? कोई आदमी इस तरह का सवाल उठा सकता है कि मनुष्यों में से किसी मँजे हुए गोताखोर ने पानी के अंदर गहरी डुबकी लगा कर मत्स्य-बालक जिस अंडे में था, उस अंडे को पहचान कर उसने उसको जमीन पर लाया होगा। खैर, यह भी सच मान लीजिए। लेकिन बाद में किस चतुर मर्द ने मछ्ली के उस अंडे को फोड़ कर उसमें से उस मत्स्य-बालक को बाहर निकाला होगा, क्योंकि यूरोप और अमेरिकी देशों में काफी विकास हुआ है और बड़े-बड़े ख्यातिप्राप्त विद्वान चिकित्साशास्त्र में विज्ञ हुए हैं, फिर भी उनमें से किसी एक ने भी अपनी छाती पर हाथ रख कर यह दावा नहीं किया है कि मैं मछ्ली के अंडे को फोड़ करके उसमें से बच्चे को जिंदा बाहर निकाल देता हूँ। खैर, वह अंडा पानी में है, इस तरह का महत्वपूर्ण संदेश किस अमर मछली ने पानी से बाहर आ कर उस गोताखोर को बताया होगा और उस जलचर संदेशवाहक की भाषा मानव को कैसे समझ में आई होगी? इस प्रकार की एक से अधिक शंकाओं से भरे उन लेखों में से सही समाधान होना बिलकुल असंभव है। इसलिए उसके बारे में यह अनुमान प्रमाणित होता है कि, बाद में कुछ मूर्ख लोगों ने मौका मिलते ही अपने प्राचीन ग्रंथों में इस तरह की काल्पनिक कथाओं को घुसेड़ दिया होगा।

धोंडीराव : अच्छा, फिर सवाल यह उठता है कि उस जत्थे का नायक अपने लोगों से साथ किस जगह पर आ कर रूका होगा?

जोतीराव : पश्चिम के समुद्र को पार करते हुए वह एक बंदरगाह पर उतरा।

धोंडीराव : उस बंदरगाह पर उतरने के बाद उसने क्या किया?

जोतीराव : उसने शंखासुर नाम के क्षेत्रपति को जान से मार डाला और उसके राज्य को छीन लिया। बाद में शंखासुर का वह राज्य मत्स्य के मरते ही शंखासुर के लोगों ने अपना राज्य वापस लेने के उद्देश्य से मत्स्य के कबीले पर बड़ा ही खतरनाक हमला बोल दिया।

धोंडीराव : बाद में इस खतरनाक हमले का क्या परिणाम हुआ?

जोतीराव : उस करारी हमले में मत्स्य के कबीले की करारी हार हुई। इसलिए उसने युद्धभूमि से ही भाग जाना बेहतर समझा और भाग निकला। बाद में शंखासुर के लोगों द्वारा उसका पीछा करने की वजह से वह अंत में किसी पहाड़ी पर जा कर घने जंगल में छुप गया। उसी समय इराण से आर्य लोगों का दूसरा एक बड़ा कबीला कचवे से बंदरगाह पर आ पहुँचा और वे कचवे मछवे से कुछ बड़े होने की वजह से पानी पर कछुए की तरह धीरे-धीरे चल रहे थे। इसी की वजह से उस कबीले के मुखिया का उपनाम कच्छ हो गया।