गॉडफादर और 'भीड़' संचालित व्यवस्था / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 04 जुलाई 2018
आए दिन खबरें आती हैं कि भीड़ ने न्याय अपने हाथ में ले लिया और मात्र संदेह के आधार पर कुछ लोगों को पीट दिया। दुष्कर्मियों की भीड़ द्वारा हत्या की जाती हैं और आभास होता है कि मानो सड़कों को न्यायालय की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। भंग होती व्यवस्था की दरारों में दीमक ने अपना घर बना लिया है। देश के भीतर की टूटती हुई व्यवस्था की ही परछाई हमारी विदेश नीति बन गई है कि हमारे तमाम पड़ोसी हमारे विरुद्ध चले गए हैं और चीन की गोद में बैठते जा रहे हैं। अमेरिका में संगठित अपराध को 'मॉब' अर्थात 'भीड़' कहा जाता है और हमारे यहां भी 'भीड़' ने ही सड़क पर फैसले करना आरंभ कर दिया है गोयाकि सर्वत्र 'भीड़' का ही राज चल रहा है।
मारियो पुजो का उपन्यास 'गॉडफादर' 1969 में प्रकाशित हुआ था, जब भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और भूतपूर्व राजा-महाराजाओं के सारे विशेषाधिकार छीनकर खास को आम बना दिया। मारिया पुजो जुए में भारी धन खो चुके थे और उन्होंने 'गॉडफादर' लिखकर रॉयल्टी से प्राप्त धन से कर्ज चुका दिया। फ्योदोर दोस्तोवस्की ने भी जुए का कर्ज 'क्राइम एंड पनिशमेंट' लिखकर चुकाया। एक तरह से मारिया पुजो का 'गॉडफादर' पूंजीवादी देश की 'महाभारत' जैसा माना जा सकता है। संगठित अपराध के सरगना के पास लोग स्वयं के लिए न्याय मांगने जाते थे। उपन्यास के प्रारंभ में ही स्पष्ट किया गया है कि दोषी लोग प्रमाण के अभाव में न्यायालय से निर्दोष करार दिए जाते हैं परंतु पीड़ित व्यक्ति संगठित अपराध के सरगना के पास जाकर न्याय मांगते हैं और जो न्याय उन्हें अदालत से नहीं मिला, वह न्याय 'गॉडफादर' उन्हें दिलाते हैं।
'गॉडफादर' में संगठित अपराध को 'मॉब' कहा गया है और वर्तमान भारत में भीड़ भी वही काम कर रही है। 'गॉडफादर' में 'मॉब' दुष्कर्मियों को दंडित करता है। श्रीदेवी अभिनीत 'मॉम' में एक मां अपनी सौतेली पुत्री के दुष्कर्मियों को दंडित करती है, इस तरह 'गॉडफादर' हमारी फिल्म में 'गॉडमदर' बन जाती है। गौरतलब यह है कि मारिया पुजो के उपन्यास के पहले अध्याय में डॉन कॉर्लियान को यह बात पसंद नहीं थी कि उनसे न्याय मांगने आया व्यक्ति उनका सबसे पुराना मित्र है, फिर भी उसने अपनी पुत्री की गॉडमदर का सम्मान स्वयं डॉन की पत्नी को दिया। ज्ञातव्य है कि विनय शुक्ला ने शबाना आज़मी अभिनीत 'गॉडमदर' फिल्म भी इसी विषय पर बनाई थी।
बहरहाल, 'गॉडफादर' से प्रेरित फिल्में सभी देशों में बनाई गई हैं। 'गॉडफादर' से दशकों पूर्व 'स्कारफेस' पहली बार चौथे दशक में बनी थी। यही फिल्म हॉलीवुड ने अल पचीनो के साथ आठवें दशक में दोबारा बनाई थी। 'स्कारफेस' से प्रेरित अमिताभ बच्चन अभिनीत 'अग्निपथ' बनी, जिसे दोबारा बनाया गया रितिक रोशन के साथ। 'गॉडफादर' से प्रेरित पहली हिन्दुस्तानी फिल्म फिरोज खान की धर्मात्मा थी, जिसमें डॉन कॉर्लियान की भूमिका प्रेमनाथ ने अभिनीत की थी। दक्षिण भारत में कमल हासन अभिनीत फिल्म 'गॉडफादर' से प्रेरित थी और अजीब बात यह है कि फिरोज खान ने कमल हासन अभिनीत फिल्म को ही 'दयावान' के नाम से बनाया। यह भी 'गॉडफादर' ही थी।
गौरतलब है कि संगठित अपराध से प्रेरित सारी फिल्मों के नाम धर्म और दया से जुड़े हुए हैं। रॉबिनहुड की तरह तमाम संगठित अपराध सरगना लूटी हुई रकम का बड़ा हिस्सा दान-धर्म में खर्च करते थे जो दरअसल उनकी अपनी सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा थी। दान ग्रहण करने वाले अनुग्रही व्यक्ति पुलिस की दौड़-भाग की अग्रिम सूचना संगठित अपराध को देते रहे हैं। इस तरह अपराधियों द्वारा तथाकथित 'दान' उनकी अपनी सुरक्षा करता है। दरअसल, साधनहीन व्यक्ति के अधिकारों को छीनकर 'दया' का स्वांग रचा जाता है और डॉन की भी कार्यप्रणाली यही होती है 'तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मोरा'। दीवार पर रेंगती हुई छिपकली को मारने के इरादे से एक व्यक्ति हाथ में डंडा लेकर उस ओर बढ़ता है तो छिपकली अपनी दुम गिरा देती है जो फर्श पर फड़फड़ाती है। मारने वाले का ध्यान दुम पर जाता है और छिपकली भाग जाती है। संगठित अपराध सरगना की 'दया' भी कुछ इसी तरह की चतुराई है।
यह भी गौरतलब है कि अमेरिका का माफिया उन लोगों द्वारा संचालित रहा है, जो यूरोप के सिसली नामक हिस्से से आकर अमेरिका में बसे थे। हमारा चंबल क्षेत्र और सिसली की भौगोलिक परिस्थितियां लगभग समान हैं, जमीन में भी समानता है। सच तो यह है कि कोई क्षेत्र या धरती का कोई हिस्सा अपराधियों को जन्म नहीं देता वरन् अपराध तो अन्याय और असमानता की कोख से जन्म लेते हैं। हमारी लचर व्यवस्था के कमजोर एवं छिद्रमय होने के कारण ही हुड़दंग और अपराध बढ़ रहे हैं। भय के कारण व्यक्ति उसी नेता को चुनता है जो बाद में उन्हें शोषित करता है। अवाम मेसोचिस्ट दिखाई देता है। मेसोचिस्ट वह व्यक्ति है जो अपने दर्द को प्रेम करने लगता है।