गोरा पैकेट / जयप्रकाश मानस
वह दुकानदार ने उसे देखा तो झट से अलमारी के पिछले हिस्से से एक डिब्बा निकाला-"यही लो मैडम, विशेष ऑफ़र चल रहा है। गोरा करने वाला नया क्रीम। सात दिन में गोरा। नहीं हुआ तो पैसा वापस।"
उसने डिब्बे को पलटा। एक गोरी औरत हँस रही थी। उसके दाँत मोती जैसे चमकदार थे। उसकी अपनी त्वचा पर धूप के काले धब्बे थे, जो उसकी माँ को विरासत में मिले थे।
"कितना?"
"सिर्फ़ पाँच सौ निन्यानवे। आज खरीदिए तो फ़ेसवॉश फ्री।"
उसके पास बैठी दूसरी औरत ने कहा: "मैं भी लूँगी। मेरी बेटी की शादी है। दूल्हे वाले गोरा चाहते हैं।"
टीवी पर एक विज्ञापन चल रहा था। दो बहनें। एक गोरी, एक साँवली। गोरी वाली की शादी हो गई। साँवली रो रही है। फिर वही क्रीम लगाती है और गोरी हो जाती है। अंत में दोनों हँस रही हैं।
उसने क्रीम ख़रीद ली। घर आकर बाथरूम के शीशे के सामने खड़ी हो गई। उसकी बेटी ने पूछा: "माँ, यह क्या?"
"खुश होने की दवाई बेटा।"
उस रात उसने पति से झगड़ा किया। "तुम्हारी ही काली क़िस्मत ने मेरा रंग खराब कर दिया।" पति ने टीवी की तरफ़ देखा जहाँ एक और विज्ञापन चल रहा था-गोरे बच्चे के लिए चॉकलेट दूध।
अगले दिन वह दुकान पर फिर खड़ी थी। "क्रीम काम नहीं कर रहा।"
दुकानदार ने नया डिब्बा निकाला: "यह लो मैडम, सुपर एक्स्ट्रा व्हाइटनिंग। असली स्विस तकनीक।"
डिब्बे पर दो गोरी औरतें हँस रही थीं। एक दूसरे को गले लगाए हुए। बहनें। उसने पैसे दिए और डिब्बा लेकर चली गई।
घर लौटकर जैसे ही उसने ट्यूब खोली, अंदर से एक नोट निकला: "इस उत्पाद को बनाने वाली साँवली महिलाओं की टीम की ओर से। हमें गोरा बनाने के लिए धन्यवाद।"
ट्यूब के पीछे छपे थे छोटे-छोटे अक्षर: "चेतावनी: यह उत्पाद आपके आत्मसम्मान को स्थायी रूप से नुक़सान पहुँचा सकता है।"
उसी क्षण टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आ: "स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी फ़ेयरनेस क्रीम्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। निर्माता कंपनियों पर मानसिक स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचाने का मुकदमा दर्ज..."
उसने शीशे में अपना चेहरा देखा। आँखों के नीचे काले घेरे थे। क्रीम के निशान थे और एक नया भाव-शायद पहली बार, अपने असली रंग को स्वीकार करने का साहस।
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