गोरा रंग लइले, श्याम रंग दई दे / जयप्रकाश चौकसे

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गोरा रंग लइले, श्याम रंग दई दे
प्रकाशन तिथि : 20 नवम्बर 2018


रजनीकांत अभिनीत और शंकर द्वारा निर्देशित फिल्म '2.0' की लागत 500 करोड़ से अधिक हो चुकी है परंतु अभी विशेष प्रभाव वाले दृश्यों पर काम जारी है। अत: लागत में 20 फीसदी का इजाफा हो सकता है। सफलतम फिल्म की आय से अधिक लागत फिल्म पर लगाई जा चुकी है। इसका प्रदर्शन अगले वर्ष ही हो सकता है। फिल्म में अक्षय कुमार खलनायक की भूमिका कर रहे हैं। यह फिल्म रजनीकांत और शंकर की पिछली फिल्म 'रोबोट' का ही अगला हिस्सा है, इसलिए नाम भी 2.0 रखा गया है। रजनीकांत अभिनीत फिल्म के प्रदर्शन के दिन दक्षिण भारत में छुट्टी का माहौल होता है। यह सरकार द्वारा घोषित अवकाश नहीं है परंतु रजनीकांत प्रशंसकों को कोई रोक नहीं सकता। वे अपने प्रिय सितारे को पूजते हैं। कुछ सितारों के मंदिर भी बनाए गए हैं। फिल्म प्रदर्शन के दिन रजनीकांत के प्रचार के लिए बनाए गए कट आउट को दूध से स्नान कराया जाता है, नारियल फोड़े जाते है। इस तरह के जुनून के मामले में मुंबईयां सितारे रजनीकांत से बहुत पीछे हैं। उनके बीच सदियों का फासला है।

दरअसल, रजनीकांत और शंकर के सिंहासन को राजामौली के 'बाहुबली' ने डिगा दिया है। तर्कहीनता का उत्सव मनाने वाली 'बाहुबली' ने सबसे अधिक आय अर्जित की है। अपनी नई फिल्म '2.0' के द्वारा 'बाहुबली' से अधिक आय अर्जित करने के लिए परिश्रम किया जा रहा है और पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। कुछ समय पूर्व रजनीकांत के राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने की खबर आई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि वे कांग्रेस या भाजपा में किसके साथ जाएंगे या निरपेक्ष बने रहेंगे।

रजनीकांत अभिनीत फिल्म 'काला' को दोबारा देखना आवश्यक है क्योंकि अभी एक मित्र ने बताया है कि फिल्म 'काला' को रजनीकांत का चुनावी मेनिफेस्टो माना जाना चाहिए। आर्य-अनार्य का युद्ध सदियों पुराना है। कुछ लोग सप्रमाण सिद्ध करते हैं कि आर्य भारत पर आक्रमण करने वाली प्रथम प्रजाति है। द्रविड़ लोग इस देश के मूल निवासी हैं और आर्यों ने उन्हें खदेड़कर दक्षिण में सीमित कर दिया है। आर्य गौर वर्ण के लोग हैं और द्रविड़ काले रंग के हैं तथा उन्हें अपना काला होना गर्व का विषय लगता है। दरअसल फिल्म 'काला' का गहरा अध्ययन किया जाना चाहिए। दक्षिण भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर प्राय: फिल्म वाले आसीन रहे हैं। करुणानिधि ने अनेक सफल फिल्में लिखी थीं। जयललिता अभिनेत्री रही हैं। 'द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' की स्थापना फिल्म उद्योग से जुड़े हुए लोगों ने की थी।

शंकर अपनी फिल्मों में अतिरेक करते हैं। दक्षिण के दर्शक अतिरेक पसंद करते हैं। मसलन नायक एक गोली से खलनायक को मार सकता है परंतु अपनी कमर में पिस्तौलों वाली करधनी धारण करता है और अदृश्य ट्रिगर दबाकर सैकड़ों गोलियां दागते हुए मशीनगननुमा व्यक्ति बन जाता है। कमल हासन की फिल्म 'हे राम' में एक स्त्री को बंदूक में बदलते हुए दिखाया गया था। नारी देह की मारक शक्ति से उनकी विचार प्रक्रिया संचालित रहती है। कमल हासन ने सामाजिक सोद्‌देश्यता वाली फिल्म रची है परंतु रजनीकांत उनसे कहीं अधिक लोकप्रिय हैं। कमल हासन भी राजनीति में प्रवेश करने जा रहे हैं। हुक्मरान चाहते हैं कि रजनीकांत कमल हासन एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए खर्च हो जाए और उनका सिंहासन बना रहे। फिल्म जगत में '2.0' की प्रतीक्षा की जा रही है। राजनीति में भी सत्ता में बने रहने की गुप्त योजना का कोड '2.0' ही है। फिल्म '2.0' का प्रदर्शन अगले वर्ष के आम चुनाव के पहले है। जिसकी बॉक्स ऑफिस सफलता राजनीति के 2.0 को टॉरपीडो कर सकती है। पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत हुक्मरान का स्वप्न भंग कर सकते हैं। यह भी गौरतलब है कि 'द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' की स्थापना से प्रेरणा लेकर ही बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी। शिवसेना के वर्तमान अध्यक्ष प्राय: दिल्ली के तख्त के खिलाफ बयान देते हैं। अतः दक्षिण भारत और बंगाल की तरह महाराष्ट्र में भी हुक्मरान के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है। चुनाव प्रचार मशीन नोटबंदी और बिना पूर्व तैयारी के लगाए गए जीएसटी के द्वारा पहुंचाई गई हानि ढंकने का प्रयास कर रही है। प्रचार शैली हमेशा सफलता नहीं देती। लोगों को बांटकर शासन करने वाले लोग मुतमइन हैं परंतु आख्यानों के रेशों से बने सामूहिक अवचेतन पर फिल्म का प्रभाव भी कमतर नहीं आंका जा सकता, क्योंकि सिनेमा वर्तमान समय में लिखा जा रहा आख्यान है जो भविष्य में धार्मिक आख्यान की तरह पढ़ा जा सकता है।