गोविन्द मिश्र / परिचय
गोविन्द मिश्र (जन्म- १ अगस्त १९३९) हिन्दी के जाने-माने कवि और लेखक हैं। गोविन्द मिश्र के पिता का नाम माधव प्रसाद मिश्र तथा माता का नाम सुमित्रा देवी मिश्रा था। उनका बचपन गाँव के प्राकृतिक वातावरण में व्यतीत हुआ। उनकी माँ अध्यापिका थीं, जिनसे मध्यवर्गीय कुलीनता से संस्कार सहज ही उन्होंने ग्रहण किए। गुरू देवेन्द्रनाथ खरे से उन्होंने साहित्यिक संस्कार पाए। उनके आठवीं कक्षा तक की शिक्षा गंगा सिंह हाईस्कूल चारबारी में हुई। नौवीं से बारहवीं की पढ़ाई बाँदा के डी.ए.वी. स्कूल तथा राजकीय इंटर कॉलेज में हुई। दोनो परीक्षाओं में ही उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। स्नातक की उपाधि के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए जहाँ उन्होंने संस्कृत साहित्य, मध्यकालीन इतिहास और अंग्रेज़ी साहित्य के साथ यह उपाधि प्राप्त की। उन्होंने १९५७ में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की विशारद परीक्षा उत्तीर्ण की और १९५९ में (अंग्रेजी साहित्य में) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। परीक्षा पास करते ही वे सेंट एंड्रू कॉलेज गोरखपुर में प्राध्यापक बन गए। लगभग एक साल तक वहाँ काम करने के बाद वे अतर्रा डिग्री कालेज में विभागाध्यक्ष बनकर आ गए। इसके साथ ही वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करते रहे। १९६० में पहले ही प्रयत्न में वे चुन लिए गए और १९६१ में उनकी पहली नियुक्ति धनबाद में हुई। कर्म के क्षेत्र में उन्होंने जिस ईमानदारी और कार्य कुशलता का परिचय दिया उसने उन्हें राजस्व सेवा के सर्वोच्च पद अध्यक्ष, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड तक पहुँचाया। इसके बाद वे केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के निदेशक भी बने और १९९७ में सेवानिवृत्त हुई। गोविन्द मिश्र ने १९६३ से नियमित लेखन के संसार में प्रवेश किया जो अभी तक निर्बाध गति से जारी है।
प्रकाशित कृतियाँ
- उपन्यास - वह अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली जमीन, हुजूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीर समीरे, पाँच आंगनों वाला घर, फूल... इमारतें और बन्दर, कोहरे में कैद रंग, धूल पौधों पर।
- कहानी संग्रह - नये पुराने माँ-बाप, अंत:पुर, धांसू, रगड़ खाती आत्महत्यायें, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपाहिज, खुद के खिलाफ, खाक इतिहास, पगला बाबा, आसमान कितना नीला, स्थितियाँ रेखांकित, (साठ के बाद की हिन्दी कहानी का संकलन सम्पादित) हवाबाज, मुझे बाहर निकालो।
- यात्रा-वृत्तान्त - धुंध भरी सुर्खी, दरख्तों के पार... शाम, झूलती जड़ें, परतों के बीच, और यात्राएं ...
- साहित्यिक निबंध - साहित्य का संदर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना
- बाल साहित्य - कवि के घर में चोर-राधाकृष्ण प्रकाशन, मास्टर मन्सुखराम, आदमी का जानवर
- कविता - ओ प्रकृति माँ
- विविध - मुझे घर ले चलो (सभी विधाओं का प्रतिनिधि संकलन, लेखक की जमीन-अलग-अलग समय पर दिये गये साक्षात्कारों का संकलन, अर्थ ओझल (भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित प्रमुख बीस कहानियों का संग्रह), दस प्रतिनिधि कहानियाँ, चर्चित कहानियाँ, निर्झरिणी (दो खण्डों में सम्पूर्ण कहानियों का संकलन, प्रतिनिधि कहानियाँ, मेरे साक्षात्कार, चुनी हुई रचनाएँ-तीन खंडों में
पुरस्कार व सम्मान
गोविन्द मिश्र अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत सम्मानित किया गया है। उनके उपन्यास लाल पीली जमीन को ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया द्वारा, हुजूर दरबार को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रेमचन्द पुरस्कार द्वारा, उपन्यास धीर समीरे को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा, उपन्यास कोहरे में कैद रंग को साहित्य अकादमी द्वारा तथा उपन्यास पाँच आँगनों वालो घर को व्यास सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें अपने समग्र साहित्यिक योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा २००१ का 'सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान' भी प्रदान किया गया है। विविध साहित्य अकादमी पुरस्कार (2008)