गौरैया / हेमन्त शेष
ईश्वर के सम्बन्ध में तो नहीं कह सकता, पर कई बार ऐसा विश्वास सहज ही होने लगता है कि प्रकृति सर्वशक्तिमान है उसमें एक अद्वितीय प्रतिभा है. गौरैया को ही लीजिए किसी दिन प्रकृति को ख़्याल आया होगा कि किस तरह बहुत ही हल्के आकार के कुछ ऐसे जीवों की रचना की जाये जो वायु में लहरा सकें, ज़रूरत पड़ने पर जल में तैर कर अपनी जान बचा सकें, ज़मीन पर चल सकें, जिन में मनुष्यों के साथ रहने की अटूट सहनशक्ति हो और जो मानव-संसार की तमाम बेहूदगियों के बावजूद आदमी से न ऊबें.... तब शायद गौरैया का निर्माण किया गया होगा. उसकी चोंच को ध्यानपूर्वक देखें तो बहुत सी चीज़ें पायेंगे. सब से पहली तो यह कि चिड़ियों की वर्णमाला इसी से शुरू होती .है असल में यह चोंच ही चिड़िया का मुँह है. मुँह क्या यह तो निरन्तर उपयोग में आने वाला एक बहुउद्देशीय अंग है. सिवाय रात के जब गौरैया नींद में होती है यह हड्डी लगातार सक्रिय रहती है. इसी में छिपा रहता है चिड़िया का- अपने बहुत ही नन्हे, गुलाबी माँस के लोथड़ों जैसे बच्चों को दाना चुगा कर उनकी देखरेख करने का. हाथों की तरह इसी चोंच का इस्तेमाल नर-गौरैया प्रेम में अपने प्रतिद्वन्द्वी को परास्त करने के लिए भी करता है. आपने देखा होगा जैसे कोई गुब्बारा हो किस तरह उसके पंख उत्तेजना में फूल जाते हैं जब कमरे में बिल्ली का आगमन होता है. उसके भीतर भय और बेबस क्रोध की हवा भर जाती है तब चिड़िया पहचान में नहीं आती उसका आकार छोटा हो जाता है और वह किसी ठिगनी गोल-मटोल, बेबस भारतीय स्त्री जैसी लगने लगती है.
फ़ौरन से भी पूर्व गौरेया आपके अध्ययन-कक्ष में घोसला बनाने की जगह छाँट लेती है. अपनी उसी चोंच से घास के तिनके लाते हुए वह बार-बार अपनी मौजूदगी का अहसास कराती है. अगर आपका कोट बहुत दिनों तक ग़लती से एक ही जगह टँगा रह जाये तो उसमें उसकी जेब में भी अंडे देने की कूव्वत है. सब पक्षियों की बीट गर्म होती है, उसकी भी है. पर शुतुरमुर्गं नहीं. यह गौरैया ही है- जो निर्भीकतापूर्वक अक्सर चेतावनी दिए बगैर आपकी खोपड़ी को शौचालय समझ कर उसका इस्तेमाल करती है.... अगर देखना चाहें उसे, वह कहती है- देखो-देखो, मुझे देखो, मुझे सुनो, मुझे चाहो…. वह लगातार कहती है, पर आप हैं कि बस, उसकी ओर कभी झाँकते ही नहीं.
यों ऊपर से सब गौरैयाँ एक-सी दिखलायी पड़ती हैं- कम्युनिस्टों की तरह, पर अगर आप उन्हें ध्यानपूर्वक देखें, तो पायेंगे, आप कितनी बड़ी ग़लती पर थे...