ग्रह के फेर में यम / चित्तरंजन गोप 'लुकाठी'
"जानती हो संजू, यम अब नहीं है।"
खेलते-खेलते पाप-पुण्य की बात निकली तो बबलू ने संजू से कहा। संजू को बात अविश्वसनिय लगी—धत् क्या कहते हो, यम मर गया?
"नहीं, मरा नहीं है। वैज्ञानिक लोगों ने उसे आउट कर दिया।"
"आउट कर दिया मतलब?"
"मतलब, हमारे एरिया से बाहर कर दिया।"
बगल में बैठी शांति मौसी सब सुन रही थी। बातचीत में शरीक होते हुए बोली—तुम्हें किसने बताया बबलू?
"पापा बता रहे थे।" बबलू ने जवाब दिया।
"तब तो बात सही होगी। वाह! मैं बहुत खुश हूँ। वैज्ञानिक लोगों ने आज एक बहुत अच्छा काम किया है।" मौसी खुशी से झूम उठी।
"क्यों मौसी?" बबलू ने पूछा।
"निरबंसिया थोड़े से पाप के चलते कड़ी सजा देता था। अच्छा किया भगा दिया निरबंसिया को।" मौसी के मुंह से गाली छूट रही थी।
"उसे निरबंसिया मत कहो मौसी। उसका एक बच्चा भी है।"
"उ मुंहजरा कहाँ है?"
"अपने बाप के साथ ही बाहर भटक रहा है।"
"ठीक है, भटकने दो। इधर न आवे। उधर ही भटक-भटक के मरे।"
तभी सरपतिया चाची कमर पर हाथ रखे चली आयी—"का कहा तड़ू शांति, यमराज ना रहियन त पाप-पुण्य के विचार के करी? इ विज्ञानिकवा लोग एक-एक करके सभे देवतवन के भगा देलसन। बाप रे बाप। अब त पाप से दुनिया डूब जायी। गिरह के इ कौन-सा फेरा लागल कि यमराजवो के इ खराब दिन के पड़ गइल।"