घर के भीतर नया घर / मनोहर चमोली 'मनु'
किसी घर में चूहे थे। वह एक बिल्ली से परेशान थे। चूहे लगातार कम होते जा रहे थे। चूहों ने मिलकर विचार किया। एक चूहा बोला,‘‘पास के जंगल में जाना होगा। बुढ़ऊ ही कोई उपाय बताएगा।’’ पूछने पर पता चला कि बुढ़ऊ एक बूढ़ा चूहा है। फिर एक दिन कुछ चूहे जंगल की ओर चल पड़े। उन्होंने बुढ़ऊ को खोज ही लिया। चूहों ने सारा किस्सा सुनाया।
नन्हा चूहा बोला,‘‘दद्दू हम उस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे।’’ बुढ़ऊ ने पूछा,‘‘अच्छा बताओ। घर में क्या-क्या है?’’ चूहों ने रसोई, कमरे, स्टोर, टॉयलेट, आँगन, वॉशरूम, चारपाई, टी॰वी॰, फ्रीज, अलमारी, वॉशिंग मशीन, बक्से, रजाई, गद्दे, तकिये, मेज, कुर्सी के बारे में बताया। बुढ़ऊ पूछता रहा। चूहे बताते रहे। एक चूहा झुंझलाते हुए बोला,‘‘उस घर में आपकी तरह एक बूढ़ा है। उसके पास घुटनों तक के कई जोड़े जूते हैं। बेचारा अब उन्हें पहन भी नहीं पाता।
बुढ़ऊ ने पूछा,‘‘वह जूते कहा हैं?’’ दूसरा चूहा बोला,‘‘बूढ़े ने उन्हें स्टोर में रख दिया है। कभी-कभार पॉलिश के लिए निकालता है।’’ बुढ़ऊ हँसने लगा। हँसते हुए बोला,‘‘उन जूतों में रहो। बिल्ली को पता भी चल गया तो वह अपना मुँह तक नहीं घुसा पाएगी।’’ चूहे ख़ुश हो गए। इतने ख़ुश हुए कि वह बुढ़ऊ की मूँछों पर झूलने लगे।