घुसपैठ / नवनीत पांडे / कथेसर
मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: कथेसर » | अंक: अप्रैल-जून 2012 |
बबलू किसन नै बताई कै सैकेण्डरी रो इम्तहान दो बार दियो पण पार कोनी लागी। जी सा घणो ई कैयो, डोफा! और कीं नींतर, पोलोटेक्निक ई कर लै। पण बबलू रै माथै बैठी कोनी। उणरो मन उचकग्यो हो। क्यूं? इणरो उथळो बबलू कांई, किणी कनै नीं हो। घर में कोई कमी नीं ही। स्हैर रै बारलै पासी पूरै खेत जित्तो बड़ो घर। जी सा री इंदिरा गांधी नहर परियोजना मैकमै में मस्त नौकरी। जावै तो ठीक, नीं जावै तो ठीक। च्यारूंपासी ठाठ ई ठाठ। घर में धीणो अर अेक बाड़ी जिणमें वै लाग्या ई रैवता। रुत रा फळ, सब्जियां हुय जावती। अेक भाई और हो, बबलू सूं बड़ो। वो ई स्कूल नै टाटा करनै बोलेरो ले राखी ही। किरायै पर चलावतो, जित्ता ई हाथ में आवता, सिंझ्या नै ठेकैआळै नै दे आवतो। अैड़ै मस्त माहौल में बबलू सूं भणाई री अर कीं न्यारी उम्मीद किसन नै घरआळां री बेवकूफी ई लखावती। भणाई अर कम्पीटीसन परीक्षावां में बार-बार फेल हुय, हार माननै बबलू अपणै आपनै तकदीर माथै छोड़ न्हांक्यो हो।
म्हूरत वाळै ई दिन किसन री दुकान बबलू आयो हो अर टॉफी रै भांड माथै पांच रो सिक्को ठणठणायो, 'अेक सिगरेट! विल्सनेवीकट।'
किसन पैली अचंभै सूं उणनै देख्यो अर पछै पूछ्यो। उण फेरूं कैयो, 'विल्स नेवीकट!' किसन धरमसंकट में पड़ग्यो देवै कै नीं देवै। इत्ती कम उमर रो टाबर। आ दूकानदारी कियां चालसी।
'कांई हुयो अंकल?' बबलू स्यात लखग्यो हो।
कीं नीं।' कैयनै किसन सिगरेट उण नैनी हथाळी माथै राख दीवी। किसन कीं सीख देवणै री सोचै हो।
'चालू माचिस!' बबलू कैयो तो अबकै किसन मुळकनै चालू माचिस उणरै हथेळी माथै राख दीवी।
'कांई नांव है थारो? अठैई रैवै कांई?' किसन पूछ्यो।
'बबलू! सगळा म्हनै इणीं नांव सूं ओळखै। उण सामली गळी में घर है।' उण सामीं सड़क कानी आंगळी सूं सैन करी। उण पछै वो सरू हुयग्यो, 'जी सा री नौकरी है। बाड़ी है। घर में ई डेयरी फार्म है। अेक बड़ो भाई है जिको बोलेरो चलावै अर आपां आ।' उण आपरी सफेदझक रैसिंग मॉडल हीरोहोण्डा जिकी लाख रै अैड़ै-गेड़ै पकायत ही अर नम्बर प्लेट माथै नम्बर री ठौड़ 'प्ले बॉय' लिख्योड़ो हो, गुमेज सूं बताई। नीचै नैना आखरां में 'डैडी गिफ्ट' ई लिख्योड़ो हो। इणरी कथा ई उण बताई, 'जी सा बिलकुल ईज राजी नीं हा, क्यूंकै वांनै तो तीस बरस पुराणै मॉडल री हरकुलिस साइकिल ई होंडा सरीखी लखावै। दिनूगै उठतां ई उण री सर्विसिंग करै, जणै वै म्हनै कियां मोटरसाइकिल दिरावता? पण जै हो म्हारी अकल अर माताराम री। म्हैं रूसग्यो अर रीस में कमरै में बंद हुयग्यो, आडो खोल्यो ईज नीं। मां रोवण लागी अर जी सा नै कैयो, 'मान जावो, टींगर कीं कोतक कर लियो तो जीवता-जी माटी खराब हुय जासी। किणनै रोवांला।' जी सा डरग्या अर आपां राजा!' बबलू आपरा औगुण गौरवगाथा भांत बखाण करै हो। सिगरेट रै धुंअै रा छल्ला बणावतै बबलू सूं किसन नै घिरणा हुयगी। दुकान रो आज पैलो ई दिन हो। किसन रै समज नीं पड़ी वो कांई करै। नूंवी जग्यां, नूंवा लोग अर नूंवा ई चितराम। वो चावै हो जित्ती जल्दी हुवै बबलू अठै सूं व्हीर हुवै, उणरी गिरायकी खराब नीं हुवै। पूरो बिगड़ैल अर छंटवां है। किसन नै पतियारो हो, कॉलोनी वासिंदा इण नवाब रै लखणां सूं वाकिफ हुवैला। जे उणां इणनै अठै देख लियो तो....!
'और कांई चइजै?' किसन पूछ्यो। बबलू छल्ला बणाणै में मगन हो, सुण्यो ई नीं।
'और कीं चइजै कांई?' किसन भळै पूछ्यो।
'कांई?' वो चमक्यो।
'भणै कांई?' कांई ठाह किण वजै सूं किसन बात बदळ दीवी।
'हां......।' उण छाती चौड़ी करी।
'सैकेण्डरी में तीजो चांस है।' मुळकनै उण सिगरेट नीचै न्हांकनै रिबोक रै मूंगै जूतै सूं मसळ दीवी।
'अच्छा अंकल! अबै तो आपां मिलता ई रैयस्यां। थां भोत मजेदार हो। पैलीआळो तो भोत सडिय़ल हो।' उणरो मतलब उणसूं हुसी जिण कनै पैली आ दुकान ही। उण धूम स्टाइल में जॉन इब्राहिम दांई मोटरसाइकिल घुमाई अर तेज रफ्तार सूं पट्टी हुयो। पण किसन रै समज नीं पड़ी पैलड़ो दुकानकार कियां उणसूं सडिय़ल हो, पैली आ दुकान किणी सबजीआळै नै दियोड़ी ही। तो कांई वो सबजी साथै सिगरेट, गुटका ई राख्या करतो?
किसन उणसूं कियां ठीक हो जदकै उणरी बबलू सूं आ पैली ई मुलाकात ही अर उण में ई अैड़ी कोई बंतळ नीं हुयी ही जिणसूं कोई आच्छी-माड़ी राय बण सकै। किसन रै होठां मुळक आयगी।
बबलू नै गयां खासी ताळ हुयगी ही। उण पछै और ई कई गिरायक दुकान में सौदै सारू आया हा। कई छोरा ई बबलू स्टाइल रा सिगरेट, गुटका लेवणै आया पण किणीं में वा बात नीं ही जिकी बबलू में ही। किणी बबलू दांई खपत नीं करी। इणरी वजै स्यात आ हुवैली कै उणां में कोई इण कॉलोनी रो नीं हुवैला। हाथां में नूंवै स्टाइल रा बैग देखनै लखावतो जाणै किणी कोचिंग सैंटर में जा रैया कै वठै सूं आ रैया हा। बबलू अर उणरी बातां घड़ी-घड़ी किसन रै माथै में घूमै ही। किसन री आंख्यां सामीं कई बार हवा में धुंअै रा छल्ला बणता दीस्या। उणी दिन दुपारै बबलू फेरूं हाजर हो। सिगरेट सुलगायनै घड़ी-घड़ी आपरी इलेक्ट्रोनिक घड़ी अर सामीं सड़क ताकै हो। कीं बात नीं करी। किसन रै समज नीं पड़ी, 'कांई बात है? कोई आवणआळो है कांई?'
'कोई नीं, कई।' उण मुळकनै उथळो दियो।
किसन रै बात समज नीं पड़ी पण उणी वगत उण देख्यो, स्कूल यूनिफार्म में छोर्यां रो पूरो झूलरो सामीं सड़क माथै प्रगट्यो अर किसन रै सैंग बात समज आयगी। तो आ बात ही। स्कूलां री छुट्टी रो वगत हो ओ। अेक पछै अेक कित्ता छोरा-छोर्यां साइकिल, मोपैड, स्कूल-बस अर टैकस्यां में सड़क माथै बैवै हा अर बबलू री आंख फगत वां छोर्यां माथै ही। किसन नै नीं लाग्यो उणां में सूं किणी रो ध्यान बबलू अर उणरी दीठ कानीं हो, वै तो आपरी मस्ती में आपरै घर पूगणै री खतावळ में ही। पण बबलू वांनै इयां ताकै हो जाणै मंगतो मिठाइयां नै। किसन नै उणरै घड़ी-घड़ी देखणै री वजै समज आगी अर वो डरग्यो, ओ टींगर तो पूरो ई बिगड़ैल दीसै। अर इणरो इण ढाळै दुकान माथै ऊभो रैवणो ठीक नीं है। उणरी, दुकान री साख रै बट्टो लाग जासी। पण कांई करतो? जद तांई सड़क माथै सून नीं बापरगी, बबलू वठैई जम्यो छोर्यां ताकतो रैयो। जावती वेळा अेक लांबी सांस खींचनै किसन सामीं मुळक्यो अर सिगरेट रा पइसा काउंटर माथै राखनै फुर्र हुयग्यो।
बबलू सूं इण भांत पैलड़ै ई दिन अै दो मुलाकातां दुकान रै उद्घाटन रो सारो जोस ठण्डो कर न्हांक्यो। आयला-भायलां अर रिस्तैदारां री मंगळकामनावां बिच्चै बबलू किसन रै मन में कांटै दांई खुभै हो। बो सोचण लाग्यो, इणसूं पैंडो कियां छूटै?
पण दूजी कानी अखबार अर दूध री खंदी दांई बबलू किसन री दुकान री खंदी हुयग्यो। दिनूगै दुकान खोलतां ई पांच-सात मिनटां में बबलू हाजिर। पैली बोहणी बबलू अर सिगरेट सूं ई हुवती। सरू-सरू में तो किसन विचार कर्यो, पण फेर आदत पडग़ी। बिणज री सीख हर आ जावती, 'गिरायक भगवान रो रूप हुवै अर पैलै गिरायक री तो बात ई कीं और हुवै।' किसन नै भगवान रो ओ रूप कतैई आच्छो नीं लागतो पण इलाज ई कांई हो? बबलू ई दिनूगै-दिनूगै किणी कोचिंग सेंटर जावतो हो। वो वठै कांई अर क्यूं कोचिंग लै रैयो है, किसन उणरा लखण ओळखनै आच्छी दांव समजग्यो हो। नीं जणै कोचिंग हुवता थकां बोर्ड में तीजो चांस हू सकै है कांई?
किसन उणसूं बंतळ करी तो बोल्यो, 'अंकल! भणाई रो मूड ई नीं हुवै। म्हैं कांई करूं? आपां तो मस्ती लिखायनै लायां हां ऊपरलै सूं। जठै तगड़ो माल हुवै वठै आपां हाजिर।'
'पण थनै नीं लागै, आ गळत बात है। इयां कद तांई चालसी। जिनगी फगत मटरगस्ती अर ऊंदा कामां सूं थोड़ी चालै? किसन री बात पूरी हुवणै सूं पैली ई वो जोरदार हंस्यो, 'डोंट वरी अंकल! आपणो भविस अेकदक सिक्योर अर जापतै सूं है। बापू अथाह भेळो कर मेल्यो है।'
'वै कांई इण खातर भेळो कर्यो है कै थां उणां री खून-पसीनै री कमाई इण ढाळै बिल्लै लगावो अर उणांरी साख नै बट्टो लगावो।' किसन नै थोड़ी रीस आई।
म्हैं कांई बट्टो लगाऊ? म्हारी लाइफ है, जियां चावूं जीवूं, किणनै कांई?' वो ई दोरो हुयनै उथळो दियो।
'म्हनै कांई, मरजी आवै ज्यां कर, थारी अकल है। पण आ बात थारी आच्छी कोनी।'
'अबै छोड़ो ओ टॉपिक। सारो मूड खराब कर न्हांक्यो आज तो। अेक सिगरेट और द्यो।' किसन नै अचरज हो किण भांत रो टींगर है ओ? इणरी सोच अैड़ी क्यूं है? भणाई-लिखाई उमर में ओ अैड़ी बातां क्यूं कर रैयो है? तदकै इणरै घर अर घरआळां में कीं कमी नीं है। वो ई तो आपरै जी सा रै अेकलो हो आ दुकान करणै री ई दरकार नीं ही, पण फेर ई उणरै दिमाग कदेई कोई अैड़ा ऊंदा-पादरा विचार नीं आया। कांई ओ सैंग संगत रो असर है? पण अजू तांई उण बबलू साथै किणी नै नीं देख्यो, जिणसूं संगत री बात सोच सकै।
बबलू रो तै रुटीन हो सिगरेट रो। जद ई तलब हुवती, आ जावतो। स्कूल री छुट्टी रै वगत तो आवतो ई आवतो। सिगरेट रो धुंओ छोड़तो, छल्ला बणावतां छोर्यां टापतो अर उणां माथै कमेण्ट मारतो। उण खातर छोर्यां फगत माल ही। कैड़ी ई हुवो, स्यात ई किणी नै बगसतो। कोई छोरी घणी फूटरी हुवती तो सांस भरतो, 'क्या चीज है? अंकल देखी थां? नीं? बैडलक! वो किसन नै ई आपरै इण ओछै खेल में रमाणै री चेस्टा करतो, पण किसन उणनै फटकार देवतो, पण पठ्ठो फेर ई नीं मानतो। कोई बड़ी उमर री आवती तो कमेण्ट करतो, 'आ तो आण्टी जी है, थांरै लायक।' सुणनै सरू-सरू में किसन री नस्यां तण जावती, 'बदतमीजी नीं! भाग अठै सूं।' वो उणनै डांटतो पण उणरी डांट सूं साफ लखावतो, आ डांट कित्ती थोथी है। धीरै-धीरै उणनै ई रस आवणै लाग्यो अर मांयनै गुदगुदी-सी हुवणै लाग जावती। किसन नै ठाह ई नीं लाग्यो वो बबलू री लीकां चाल पड़्यो हो अर बबलूमय हुय रैयो हो। दूजी कानी बबलू किसन सूं अेकदम इत्तो खुलग्यो जित्ता किसन रा बाळगोटिया भायला ई उणसूं कदेई नीं खुल्या। कॉलोनी री कई छोर्यां अर कई घरां रा धणी-लुगायां बाबत ई उणरो सामान्य-ज्ञान गजब हो। उणनै ठाह हो किण छोरी, मिनख, लुगाई री किण साथै सैटिंग है अर कठै फंस्योड़ी है अर उण आप वां में सूं किण-किण नै सैट कर राखी है कै करनै छोड़ दीवी है। चसकारा ले लेयनै वो सैंग कथावां सुणावतो। अेकर दिनूगै-सुणी बबलू सामीं अेक फूटरी-सी लुगाई टूथपेस्ट लेवण आई।
'आप इणनै जाणो कांई?'
उणरै जाावता ई बबलू किसन नै पूछ्यो। किसन कियां जाणतो। वो अठै हाल सैंग सूं ई अणसैंधो हो बबलू रै टाळनै।
'सर्वदल वधू है।' कैवता थकां जोर सूं हंस्यो।
किसन खातर आ उपमा सफा नूंवी ही। पण वा तो विधवा लखावै ही। किसन उणरी छिब हर करनै सोची।
उणनै इण बात रो घणो पछेवो हुयो, बबलू सूं उमर में इत्तो बड़ो अर इणी स्हैर रो वासिंदो हू'र ई उणरो आपरै ईज स्हैर बाबत सामान्य-ज्ञान कित्तो पोछो हो। किसन नै बबलू सूं ईसको हुणै लाग्यो, 'साळो कांई चीज है? इणरै हियै ठा नीं और कांई-कांई कुबध्यां भरी है। उणरो जी उण लुगाई बाबत बंतळ करणै रो हो, पण अचाणचक बबलू आपरै सिगरेटआळो हाथ पीठ लारै कर लियो अर होळैसी'क कानाबाती करी, 'अै है म्हारै घर रा मुगलेआजम! म्हारा जी सा।' किसन देख्यो, पचास रै अेड़ै-गेड़ै री अेक पतळी सींकची-सी काया अेक जूनी साइकिल रै कैरियर माथै डांगरां सारू घास रो बोरो बांध्यां आपरो पूरो जोर साइकिल रै पैडल माथै लगावता धीरै-धीरै जा रैयी ही। किसन जद सूं दुकान खोली, दो-च्यार दिनां रै आंतरै हरमेस ई इणी वगत वां नै देख्या करतो।
'अै है थारा जी सा?' किसन नै अचरज हुयो। 'कित्ता दुख झेलै बापड़ा। ओ काम तो थूं ई कर सकै। मोटरसाइकिल माथै दस मिनट सूं घणा नीं लागै।'
'आपरो दिमाग तो ठीक है? म्हैं? होण्डा? अर घास?' बबलू नै रीस आयगी। 'बिंया ई ओ वगत म्हारै कोचिंग रो हुवै।' आगै कीं बात हुवै उणसूं पैली ई उण जूतै तळां सिगरेट मसळी अर फुर्र हुयग्यो। इण चितराम किसन सामीं बबलू रो अेक और रूप प्रगट्यो। किसन रो मन खराब हुयग्यो। उण सारै दिन ई उणरी आंख्यां में वो डोकर अर बबलू घूमता रैया अर बबलू री बातां ई।
अेक-दो-तीन अर पूरा च्यार दिन हुयग्या हा। बबलू नै दुकान कानी मूंडो कर्यां। कांई हुयग्यो। रीसाणो तो नीं हुयग्यो? किसन सोची। किसन अणमणो हुयग्यो। बबलू सूं हथाई किसन रो बिलम हुयग्यो हो। अेक दिन नीं आयो तो कोई बात नीं। आदमी किणी काम में उळझ सकै। पण लागोतार च्यार दिन। बबलू दुकान आगै सूं ई नीं निसर्यो। कांई बात हुगी? किसन नै चिंता हुयगी। किणी लफड़ै में तो नीं फंसग्यो। का उणरी सीख सूं रीसाणो हुयग्यो? किसन नै आ ई बात साची लागी। उणनै लाग्यो उणसूं भूल हुगी है। उणनै बबलू नै उण ढाळै नीं कैवणो चइजै हो। वो जचै जियां करै, उणरी मरजी।
पांचवैं दिन बबलू आयो। आपरै सागी ढंग-ढाळै साथै। किसन कीं पूछै इणसूं पैली ई वो चालू हुयग्यो।
'जैपर गयो हो, भायलां साथै। कोई कम्पीटीसन देणै अर मौजमस्ती सारू। अेक गुड न्यूज और है अंकल। सुणोला तो मजो आ जासी।' उण उछाव सूं बतायो।
'कांई?' किसन पूछ्यो।
'भायली पटाई है नूंवी-नूंवी। थारै अठै रो ई ठिकाणो दियो है बंतळ सारू। अबार आवैला। थां देख्या, थां सामीं ई बंतळ करूंला.. साची में...। थां मान जास्यो आपां ई कोई चीज हां। डोंट वरी! चिंता ना करो। कीं नीं हुवै, पुराणी सैटिंग है। थांरो मूड हुवै तो..
'बकवास नीं! किसन टोकतो नीं तो जाणै वो और कांई-कांई बकतो रैवतो। किसन साफ देख्यो, आज बबलू रो मूड कीं अलग ढाळै रो ई हो। गजब उछाह हो। टोक्यां पछै ई उणरा होठ इयां फडफ़ड़ावै हा जिण ढाळै तेज बायरै रो फटकारो लागतां ई हाथां किणको। उणरो हाल देखनै किसन रै होठां मुळक आयगी। बबलू मुळक नै ग्रीन सिग्नल माननै फेरूं सरू हुयग्यो, ' सांची थे देख्या! मान जास्यो। और कीं नीं तो चा-पाणी तो करा ई सकां हां नीं? म्हनै पतियारो है, मना कोनी करै।'
'कैयो नीं! समज नीं आवै कांई। अै ईज धनकनामां करणै लाग्योड़ो हो कांई इत्ता दिन। जे अैड़ी ई बात है तो फूट अठै सूं।' किसन कीं करड़ो हुवणै री कूड़ी चेस्टा करी, क्यूंकै उणरै हियै कठैई बबलू री बातां सूं कीं हुवणै लाग्यो हो अर उणनै धोळै-दुपारै जागती आंख्यां किणी छोरी भेळा चा-पाणी पीवणै रा सुपना दीसणै लाग्या।
ओ कांई खेलो है? आज ओ खुद ई ठुकैला अर म्हनै ई ठुकावैला। किसन देख्यो, अेक छोरी जिकी वाकई भोत ई फूटरी ही, सड़क माथै उणी ठौड़ अेकदक आपरी अक्टीवा रै ब्रेक मार्या जठै उणनै देखतांई बबलू भागनै ऊभो हुयो हो। छोरी रै होठां गजब मुळक ही। निरी ताळ बबलू सूं बंतळ करती रैयी। किसन उणांरी बंतळ सुण नीं सक्यो, पण उणनै पतियारो हुयग्यो हो, बबलू री बात कूड़ नीं ही। अेकर दो बार बबलू दुकान कानी सैन करनै छोरी नै कीं कैयो तो छोरी मुळक मारनै किसन कानी देख्यो तो किसन रा होठ सूखग्या। कांई ठाह कांई चक्कर हो, वो समज नीं सक्यो। पक्कायत बबलू रो बच्चो उणसूं चा-पाणी री बात करी हुसी। चा-पाणी रो सोचतां ई किसन रो मन मोरियै दांई उछाळा मारण लाग्यो अर उणनै लाग्यो सड़क माथै उण छोरी सागै बबलू नीं वो है। पण उणरी हिम्मत नीं हू रैयी ही उणसूं कीं बंतळ करण री। छोरी मुळकनै पूछ्यो, 'कांई बात है? तबीयत तो ठीक है? धूजो क्यूं हो?' किसन री जबान ताळवै रै चिपगी जाणै। बोल ई नीं फूट्या।
'कांई हुयो अंकल!' बबलू रो हाथ कांधै माथै पड़्यो तो किसन चमकनै सोच रै गतागम सूं बारै आयो..हे भगवान! ओ कांई रामरासो है? बचग्या आज तो। किसन री आखी देह पसीनै सूं चोवण लागी ही। अर बबलू सामीं ऊभो दांत काढै हो। स्यात वो किसन रै मन रो चोर झाल लियो हो।
'क्यूं अबै तो पतियारो हुयग्यो नीं? ओ देखो!' बबलू अेक नैनो-सो गिफ्ट पैक किसन री आंख्यां सामीं कर्यो।
'कांई दे गी है?' किसन गिफ्ट पैक कानीं देख्यो।
'ओ तो कट्टी खतम रो है। कई दिनां सूं म्हैं उणसूं रीसाणो हो।' बबलू हंस्यो।
किसन रै झटको-सो लाग्यो। बबलू रीसाणो हो अर वा मनाण सारू गिफ्ट लायी ही। गजब! काळजो बळ्यां कांई हुवै, बबलू तो वास्तव में हीरो है।
'पण अबै सब ठीक है, वा भोत राजी है। बेगो ई काम हू जासी। फेर आवूंला, पूरी कथा बताऊंला। अबार अेक जरूरी काम है।' बबलू री आंख्यां में आज अेक न्यारी ई चमक ही। मोटर-साइकिल नै आपरी ई स्टाइल में घुमाई अर वो जा......
किसन फेर सोच रै गतागम में हो। वो बबलू री इण कथा में किण ढाळै घुसपैठ करली ही ठाह ई नीं लाग्यो। उणरै मांय-बारै बबलू ई बबलू हो जिको दावै जियां उण साथै रमै-रमावै हो। उणनै लाग्यो जाणै बो बबलू रै सरूर मांय डूबतो ई जावै।
सिंझ्या नै बबलू फेर आयो। जिण ढाळै बंतळ करी, किसन समजग्यो होठां कीं और है, मांयनै कीं और।
'मुळकै कांई? बात है जिकी बता।' किसन गंभीर हुयनै कैयो।
'असल बात आ है कै जग्यां चइजै।'
'मतलब?' किसन चमक्यो।
'कीं तो समज्या करो अंकल! थानै तो सगळी बातां खोलनै बतावणी पड़ै।' बबलू चिडऩै बोल्यो।
किसन रै पगां तळै सूं जगां निकळगी। काळजो फड़कै चढग्यो। तन तातो हुयग्यो। डील में खारी-मीठी पीड़ रो रीळो-सो चालग्यो। पण बो फैसलो नीं लेय सक्यो कै हां कैवै कै नां?
'थासूं बंतळ फालतू है। म्हैं चालू म्हनै उण माल री आरती उतारणै सारू इंतजाम करणो है।' उण कैयो अर व्हीर हुयग्यो।
किसन लारै सूं हेलो मारणो चायो। पण अेक अणजाणी सगती उणरै मूंडै आगै हाथ देय दियो। बो भळै अेक मीठै नसै मांय डूबग्यो अर पछतावण लाग्यो- जगां दे देवतो तो ठीक ई रैवतो।