चक्कर / मनोज चौहान
त्यौहार का दिन था l शाम के 6 बज रहे थे, मगर बाज़ार में भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी l बेटी के बर्थडे की शोपिंग कर रहा उमेश हाथ में 3–4 सामान से भरे लिफ़ाफ़े लिए एक बड़ी दुकान में प्रविष्ट हुआ था l दुकान में 5–6 सेल्समेन थे, जिनमें 3 लड़कियां भी थी l ग्राहकों को सामान देते हुए एक लड़की अचानक चक्कर खाकर गिर पड़ी l अन्य लड़कियों ने उसे संभाल लिया था l
आपस में बात करते हुए एक लड़की बोल पड़ी, 'इसे जल्दी पानी पिलाओ l' इसने सुबह से कुछ खाया–पिया नहीं है l दुसरी लड़की स्पष्टीकरण देते हुए बोली 'इसका तो आज करवाचौथ का ब्रत है l' दुकान का सिक्यूरिटी गार्ड भी मौके पर पहुँच कर व्यंग्यात्मक लहजे में स्थिति का आनंद लेने लगा था l दुकान के मालिक के हस्तक्षेप पर वह वापिस दुकान के मुख्य दरवाजे पर चला गया l आखिर लड़की को पानी पिला दिया गया और वह थोड़ी होश में आ गई l
हालात सामान्य हुए तो सभी सेल्समेन ग्राहकों को निपटाने में लग गए l उमेश को बातों ही बातों में पता चला कि वह लड़की दुकान में ही काम करने वाले एक सेल्समेन लड़के से प्यार करती है l उसके लिए ही उसने ब्रत रखा था l लड़का बुड़बुड़ा रहा था कि मैंने इसे पहले ही बता दिया था l मेरे चक्कर में न रहे, मेरी सेटिंग कहीं दुसरी जगह हो चुकी है l सामान लेते ही दुकान से बाहर निकलता उमेश एक तरफ़ा प्यार और बिना शादी के बाबजूद भी करवाचौथ ब्रत रखने के मायने तलाशने लगा था l