चक्र / शमशाद इलाही अंसारी
चीटिय़ों के एक भोजन खोजी दस्ते को रोटी का एक बड़ा टुकड़ा मिला, सूचना वाहक के माध्यम से यह ख़बर बिल में भेजी गयी. कुशल अभियांत्रिकों के नेतृत्व में ढुलाई दस्ते को तुरंत रवाना किया गया और रोटी के उस बड़े से टुकड़े को बिल में सुरक्षित पहुँचाने की कार्यवाही युद्धस्तर पर आरंभ हो गयी. कुशल चीटियाँ मनोयोग से अपने अपने दायित्व का निर्वाह करते हुये रोटी के टुकड़े को बिल की तरफ़ ढोने लगी. चीटियों का बिल अभी कुछ ही दूर था, एक चिडिया की नज़र उस रोटी के टुकड़े पर पडी, उसके मुँह में पानी भर आया. वह फ़ौरन गयी, एक दो ठौंग मारी, चीटियाँ इधर उधर छिटक गयी, चिडिया ने अपनी चौंच में रोटी के टुकडे को दबाया और फ़ुर्र से उड़ गयी. चिडिया अपने पेड़ की डाल पर पहुँची ही थी, कि बिजली की तरह एक बाज़ उस पर झपट पड़ा, अगले ही पल चिडिया ने स्वंय को बाज़ के सख़्त पंजों में जकड़ा पाया...हमलावर बाज़ के झटके से चिडिया का वह रोटी का टुकड़ा भी नीचे ज़मीन पर गिर गया. चीटियों के एक भोजन खोजी दस्ते को रोटी का एक बड़ा टुकड़ा मिला, सूचना वाहक चीटियाँ फ़िर गतिशील हो चुकी हैं..