चन्द्रमा की कलाएँ / कविता भट्ट
चन्द्रमा की स्थिति पृथ्वी तथा सूर्य के सापेक्ष है। अतः स्पष्ट है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है तथा चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा 27. 3 दिन में पूरी करता है। इस प्रकार चन्द्रमा प्रत्येक दिन पृथ्वी के सापेक्ष अपनी दशा में परिवर्तन करता रहता है। इससे यह होता है कि चन्द्रमा की भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ बनती रहती हैं। पूर्णिमा (पूरे चाँद वाले दिन) को पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के मध्य होती है, जिस कारण हमें पूरा चन्द्रमा दिखाई देता है। इसके विपरीत अमावस्या के दिन चन्द्रमा पृथ्वी के दूसरी ओर होता है, जिस वजह से हम उसे देख नहीं पाते हैं।
यह बतलाया जा चुका है कि चन्द्रमा का अपना प्रकाश नहीं होता। यह सूर्य के प्रकाश से चमकता है। चन्द्रमा का आकार इसके उसे हिस्से पर निर्भर करता है, जिस पर प्रकाश पड़ता है। चन्द्रमा का आकार पूर्णिमा में अमावस्या तक घटता जाता है तथा अमावस्या से पूर्णिमा तक बढ़ता जाता है।