चन्द्रमा / कविता भट्ट

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चन्द्रमा एक ग्रह है, जो रात के समय आसमान में देखा जा सकता है। प्रतिदिन इसका स्वरूप घटता बढ़ता रहता है। यह महीने में एक बार अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है। उस रात को पूर्णमासी कहते हैं और एक बार यह पूर्णतः लुप्त हो जाता है जो अमावस्या की रात कहलाती है। चन्द्रमा इतना छोटा ग्र्रह है कि सूर्य से लगभग 75 लाख चन्द्रमा और पृथ्वी से 60 चन्द्रमा बन सकते हैं; लेकिन पृथ्वी के निकट होने के कारण यह बड़ा दिखाई देता है। इसकी पृथ्वी से औसत दूरी लगभग 384000 किलोमीटर है। इसे पृथ्वी के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 29 दिन लगते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। इसी वजह से एक चन्द्रोदय से दूसरे चन्द्रोदय का काल 24 घंटे 50 मिनट होता है। अन्य शब्दों में प्रतिदिन चन्द्रमा पहले दिन से 50 मिनट बाद निकलता है। हालांकि मनुष्य चन्द्रमा पर जा चुका है लेकिन वहाँ हवा व पानी न होने की वजह से जीवन व्यतीत नहीं किया जा सकता।

चन्द्रमा जब पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता है तो वह काल चन्द्रमास कहलाता है। एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा तक के समय को चंद्रमास कहते हैं। इस प्रकार एक वर्ष में 29 × 12 = 348 दिन हुए ,जबकि सूर्य वर्ष में 365 दिन होते हैं। इस प्रकार भारतीय कलैण्डर में तीन साल के बाद एक मास जोड़ देते हैं। इसी प्रकार तीसरा वर्ष 13 मास का हो जाता है। चन्द्रमा के बारे में कुछ प्रमुख जानकारी आगे दी गई है-

1.इसका अपना प्रकाश नहीं होता। यह सूर्य के परावर्तित प्रकाश के कारण चमकता है।

2. यह पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है।

3.चन्द्रमा के पृथ्वी के गिर्द एक चक्र पूरा करने में 20 दिन लगते हैं।

4.यह पृथ्वी के सापेक्ष हर रोज अपनी स्थिति बदलता रहता है, जिसके फलस्वरूप इसकी भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ बनती हैं

इस प्रकार स्पष्ट है कि चन्द्रमा एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है। हमारे जीवन में भी इसका खास महत्त्व है।

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