चरित्र कलाकारों का वृंदावन / जयप्रकाश चौकसे

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चरित्र कलाकारों का वृंदावन
प्रकाशन तिथि : 28 अक्टूबर 2014


सफल सुपर सितारे भव्य मकानों में रहते हैं, उनकी सेवा टहल के लिए अनेक लोग तत्पर रहते हैं परंतु सितारा छवि के साथ जवाबदारियां आती है। उनकी चिंताएं आम आदमियों से अलग होती हैं। आपसी प्रतिस्पर्धा का दंश उन्हें अमन से रहने नहीं देता। मित्रों से अधिक शत्रु उनके अवचेतन को घेरे रहते हैं। फिल्म उद्योग से जुड़े अनेक लोग जो सितारा नहीं हैं परंतु उन्हें इतना पैसा मिला है कि आराम से रह सकें। किसी दौड़ में शामिल नहीं होने का अपना सुख है। फिल्म उद्योग से जुड़े ये लोग मीडिया की पकड़ से दूर हैं। केके मेनन सन् 1995 में 'नसीम' नामक फिल्म में पहली बार आए आैर अनुराग कश्यप की 'ब्लैक फ्रायडे' में खूब सराहे गए। इसी के साथ सुधीर मिश्रा की 'हजारों ख्वाहिशें' ने उन्हें समानांतर सिनेमा में गहरी पहचान दी। धीरे-धीरे उन्हें काम मिलता गया आैर किफायत से जीने के आदी मेनन ने अपनी सीमित आय में से भी कुछ बचा कर एक टेरेस फ्लैट खरीदा। उन्हें बागवानी का चस्का लगा आैर वर्षों के प्रयास के बाद उनका टेरेस गार्डन इतना घना आैर हरा हुआ कि वहां चिड़िया भी आने लगी। परिंदों का आना एक सुखद चिन्ह है। पक्षी उसी जगह आते हैं जहां अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं।

हाल ही में केके मेनन को विशाल भारद्वाज की 'हैदर' में भी सराहा गया। इस चमक-दमक वाले उद्योग में सुपर सितारों की सफलता बॉक्स ऑफिस में आंकड़े तय करते हैं परंतु मेनन की तरह के कलाकार अभिनय की कसौटी पर अपनी हर फिल्म में सफल रहते हैं। केके मेनन, राहुल बोस आैर इरफान खान की तरह के अभिनेता अभिनय की कसौटी पर शतप्रतिशत सफलता अर्जित करते हैं। फिल्म उद्योग के हर काल खंड में इस तरह के कुशल अभिनेता हुए हैं जो कभी सितारा नहीं बने परंतु फिल्म उद्योग से उन्हें इतना धन मिला कि वे अमन चैन का जीवन जी सकें। आेम पुरी आैर नसीरुद्दीन शाह भी ऐसे ही कलाकार रहे हैं। सुपर सितारों की भी श्रेणियां होती है जैसे अक्षय कुमार सुपर सितारा है परंतु वह आमिर, सलमान, शाहरुख या रनवीर कपूर की श्रेणी का नहीं है। इसी तरह अच्छे कलाकारों में भी श्रेणियां है। आेमपुरी आैर नसीरुद्दीन शाह की श्रेणी में केके मेनन आैर राहुल बोस नहीं है। वे अपने समकालीन इरफान खान की श्रेणी में भी नहीं है। इसी तरह लगातार अच्छा काम कर रहे सौरभ शुक्ला आैर संजय मिश्रा भी इरफान के श्रेणी में नहीं हैं परंतु इन सारे कलाकारों में यह समानता है कि ये प्रभावोत्पादक अभिनय करते हैं आैर दर्शक के अवचेतन में इनका स्थान है। इस कारण जब भी ये एयरपोर्ट या बाजार में देखे जाते हैं तो इन्हें आदर की दृष्टि से देखा जाता है, भले ही इनके लिए जुनूनी भीड़ नहीं जुटती।

नरगिस के भाई अनवर हुसैन भी चरित्र कलाकार रहे हैं। विजय आनंद की 'गाइड' में वे नायक के मित्र की भूमिका में थे आैर क्लाइमैक्स में उनका अभिनय आंखों में नमी पैदा करता था। इस तरह के कलाकारों के सिरमौर पांचवे दशक के बलराज साहनी थे जिन्होंने बिमल रॉय की 'दो बीघा जमीन' से एमएस सथ्यु की 'गर्म हवा' तक हमेशा बेहतरीन काम किया। हम जिस श्रेणी के कलाकारों की बात कर रहे हैं, वे कभी सुपर सितारा नहीं रहे परंतु उनके जीवन में अमन चैन सुपर सितारों से अधिक रहा। केके मेनन घंटों अपने बगीचे में पेड़-पौधों आैर परिंदों के बीच शांति से रहते हैं। उनका ख्याल है कि बागवानी विचार शैली की शुद्धि करती है।

मूल बात यही है कि प्रकृति की नजदीकी से बड़ा कोई सुख नहीं है आैर इन कलाकारों को इतना धन तो मिला है कि मुंबई जैसे महानगर में ये अपनी पसंद के घर आैर वातावरण में रहते हैं। शरद सक्सेना का मड आइलैंड में बंगला है। उन्हें भी उद्योग में तीन दशक हो गए हैं। सारांश यह कि फिल्म उद्योग में मीडिया की चकाचौंध से दूर कुछ लोग अमन का जीवन जी रहे हैं। जब 'हैदर' की कामयाबी के बाद केके मेनन से पूछा गया कि उनके मनपसंद लेखक कौन हैं तो उन्होंने काफ्का, गोर्की, चेखव, अाल्बेर कामू का नाम लिया अर्थात एक बगीचा उनके मन में भी है जहां क्लासिक्स के अतिरिक्त कुछ मौजूद नहीं। करोड़ों कमाने वाले सुपरसितारों को यह मन का वृंदावन नसीब नहीं है।