चरित्र हनन / रघुविन्द्र यादव
पूरे पाँच साल मंत्री जी ने केवल लूट और झूठ की राजनीति की और अपने हल्के की जनता के बीच गए ही नहीं। चुनाव में संभावित हार को टालने के लिए वे चंपाबाई के कोठे पर पहुँचे और अपने पुराने सम्बंधों का हवाला देते हुए बोले "चंपा किसी सुन्दर और समझदार लड़की को तैयार करो जो विरोधी दल के नेता के साथ लग कर उनका चरित्र हनन कर सके। नहीं तो इस बार चुनाव में हार निश्चित है। इस काम के मैं तुम्हें पूरे पाँच लाख रुपये नकद दूँगा।"
चंपाबाई बोली "क्षमा करें मंत्री जी, चरित्र हनन का काम नेताओं ने ले लिया है। हम तवायफ हैं। हमारे उसूल हैं। हम किसी का चरित्र हनन नहीं करतीं बल्कि अपने चरित्र का सौदा करके, नाच गाकर अपना पेट भरती हैं। हम पैसे के लिए जिस्म बेच सकती हैं आप की तरह जमीर नहीं। वैसे भी आज के नेताओं के पास चरित्र है ही कहाँ जिसका कोई हनन कर सके?"
मंत्री जी चुनाव से पूर्व ही हार गए थे और वह भी एक तवायफ से।